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भारत या पाकिस्तान, अमेरिका ने बताया- कैसे रहेंगे दोनों देश से रिश्ते

अमेरिका अब भारत के साथ साथ पाकिस्तान से भी अच्छे संबंध चाहता है। इशारों-इशारों में उसका कहना है कि हमारे रिश्ते ठीक वैसे हैं, जैसे भारत के रूस और हमारे साथ हैं। मतलब जिससे हमारी नहीं बनती उससे भारत जुड़ा है तो भारत की जिससे नहीं बनती है तो उससे हमारे रिश्ते कैसे गलत हैं?

Marco Rubio.

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो। ( Photo Credit: X/@SecRubio)

अमेरिका और भारत के बीच रिश्ते सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। खासकर ट्रंप टैरिफ के बाद से। इस बीच डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान से बेहतर रिश्ते बनाने में जुटे हैं। वह कई मौकों पर न केवल पाकिस्तान, बल्कि वहां के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर को 'महान' बता चुके हैं। दूसरी तरफ रूसी तेल समेत कई मुद्दों पर भारत के साथ तनातनी है। 

 

अब अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी पाकिस्तान के साथ बेहतर रिश्तों की वकालत की। मगर उन्होंने एक लकीर खींच थी। लकीर यह कि अमेरिका पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है, लेकिन यह भारत की कीमत पर नहीं। मतलब यह है कि अमेरिका सिर्फ पाकिस्तान को पाने की खातिर भारत जैसा अहम साक्षेदार खोना नहीं चाहता है। 

 

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रूसी तेल पर क्या बोले रुबियो?

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो रविवार को आसियान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने मलेशिया पहुंचे। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात से पहले रूबियो ने दावा किया कि नई दिल्ली ने कच्चे तेल खरीद में विविधता लाने की इच्छा व्यक्त की है। उधर, भारत का कहना है कि किससे तेल खरीदना है, यह तय करने का अधिकार हमारे पास है।


रूसी तेल खरीदना पर रुबियो ने आगे कहा कि हम उन्हें (भारत) जितना अधिक बेचेंगे, वह दूसरों से उतना ही कम खरीदेंगे। रुबियो के बयान से एक बात तो साफ है कि अमेरिका भारत को अधिक तेल बेचना चाहता है। इसके संकेत आंकड़ों से भी मिल रहे हैं। अमेरिका से भारत अभी 647,000 बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल खरीदता है। जबकि पिछले साल सिर्फ 199,000 बैरल प्रतिदिन खरीद रहा था।

'भारत को पाकिस्तान के साथ हमारे रिश्तों को समझना होगा'

जब पाकिस्तान के साथ अमेरिका की बढ़ती जनदीकियों के बारे में मार्को रुबियो से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'भारत स्पष्ट कारणों से चिंतित है। मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान के साथ हम जो भी कर रहे हैं, वह भारत के साथ हमारे संबंधों की कीमत पर है। भारत के साथ हमारे रिश्ते गहरे, ऐतिहासिक और अहम हैं। भारत को यह समझना होगा कि हमें कई अलग-अलग देशों के साथ रिश्ते रखने पड़ते हैं। पाकिस्तान के साथ भी हम अपने रणनीतिक संबंधों को बढ़ाने का मौका देख रहे हैं।' 

 

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उन्होंने आगे कहा, 'विदेश नीति के मामले में भारतीय बहुत परिपक्व हैं। उनके कुछ ऐसे देशों के साथ रिश्ते हैं, जिनके साथ हमारे (अमेरिका) रिश्ते नहीं है। यह एक परिवक्व और व्यावहारिक विदेश नीति का हिस्सा है।'

कहां से बिगड़े भारत और अमेरिका के रिश्ते?

मई महीने में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन का सैन्य संघर्ष हुआ। 10 मई की दोपहर डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच सीजफायर का दावा किया। उसी दिन शाम लगभग छह बजे भारतीय विदेश सचिव बिक्रम मिसरी ने ट्रंप के दावे का खंडन किया और कहा कि सीजफायर पाकिस्तान के गिड़गिड़ाने पर किया गया है। ट्रंप ने अलग-अलग मौकों पर सीजफायर करवाने का दावा किया तो वहीं भारत ने हार बार इसे खारिज किया।

 

विश्वेषकों का मानना है कि ट्रंप इसी वजह से भारत से खफा है। जबकि दूसरी तरफ पाकिस्तान ने ट्रंप को शांति का नोबल पुरस्कार देने तक की सिफारिश कर दी। अगस्त महीने में ट्रंप ने भारतीय सामान पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दी। इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच रिश्ते सबसे निचले स्तर पर हैं।

 

 

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