अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर अमेरिका की तीनों सेनाएं वेनेजुएला की घेरेबंदी में जुटी हैं। पिछले कार्यकाल से ही ट्रंप और वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के बीच तनातनी का माहौल है। अमेरिका की खुफिया एजेंसी ने कई बार निकोलस को पद से हटाने और यहां तक मारने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। हाल ही में ट्रंप ने वेनेजुएला में सीआईए के एक सीक्रेट मिशन को हर झंडी दी है। इसके अलावा ट्रंप के आदेश पर दुनिया का सबसे बड़ा योद्धपोत वेनेजुएला की तरफ बढ़ रहा है। वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो का आरोप है कि अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा युद्धपोत भेजकर उनके खिलाफ युद्ध की साजिश रचने में जुटा है।
बता दें कि अमेरिका ने हाल ही में अपने विमानवाहक पोत यूएसएस गेराल्ड आर फोर्ड को वेनेजुएला की तरफ रवाना किया है। यह युद्धपोत 90 फाइटर प्लेन और अटैक हेलीकॉप्टरों को ले जाने में सक्षम है। यूएसएस गेराल्ड तेजी से वेनेजुएला की तरफ बढ़ रहा है। इसके अलावा स्ट्राइक समूह के पांच विध्वंसक भी तैनात किए गए हैं। अमेरिका ने करीब 10 हजार सैनिकों को प्यूर्टो रिको में तैनात किया है, ताकि आपात स्थिति में इनका इस्तेमाल वेनेजुएला के खिलाफ किया जा सके।
यह भी पढ़ें: मलेशिया, जापान, साउथ कोरिया क्यों जा रहे ट्रंप? जिनपिंग से मीटिंग का एजेंडा क्या
युद्ध की साजिश रचने में जुटे ट्रंप: मादुरो
मादुरो ने सरकारी मीडिया में कहा कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन नए युद्ध को की साचिश रचने में जुटा है। उन्होंने बिना सबूत संगठित क्रिमिनल गैंग ट्रेन डी अरागुआ का नेता होने का आरोप लगाया है। वह बिल्कुल अतिरंजित, अश्लील, आपराधिक और पूरी तरह बेबुनियाद कहानी गढ़ने में जुटे हैं, जबकि वेनेजुएला में कोकीन का एक पत्ता भी नहीं होता है।
बता दें कि ट्रेन डी अरागुआ वेनेजुएला की जेल से जुड़ा एक आपराधिक गैंग है। दुनियाभर में इसकी पहचान सुपारी लेकर हत्या करना, जबरन वसूली और मानव तस्करी के तौर पर होती है। नशा तस्करी में इसकी कोई बड़ी भूमिका नहीं है। हालांकि ट्रंप अब इसी गैंग के सहारे मादुरो को सत्ता से हटाना चाहते हैं।
अमेरिका ने कौन-कौन से हथियारों की तैनाती की?
- अमेरिका के आठ युद्धपोत में 6000 मरीन सैनिक मौजूद
- यूएसएस गेराल्ड युद्धपोत पर भी 4500 सैनिक तैनात हैं
- अभियान बल, अमेरिकी नौसेना, वायुसेना की विशेष यूनिट
- चार सतही लड़ाकू पोत और एक पनडुब्बी की तैनाती
- परमाणु पनडुब्बी यूएसएस न्यूपोर्ट न्यूज
- अमेरिकी तट रक्षक बल
- 10 एफ-35 स्टेल्थ लड़ाकू विमान
- एमक्यू-9 रीपर ड्रोन
- सीएच-53ई सुपर स्टैलियन हेलीकॉप्टर
- पी-8 पोसाइडन गश्ती विमान
- एमएच-60 सीहॉक हेलीकॉप्टर
- एसी-130जे गनशिप
- एमएच-60 ब्लैक हॉक्स हेलीकॉप्टर।
- एएच-एमएच-6 लिटिल बर्ड हेलीकॉप्टर
ये विध्वंसक तैनात
- यूएसएस जेसन डनहम (डीडीजी-109)
- यूएसएस स्टॉकडेल (डीडीजी-106)
- यूएसएस ग्रेवली (डीडीजी-107)
मादुरो की सरकार उखाड़ फेंकना चाहते हैं ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर अमेरिकी सेना ने कैरिबियन क्षेत्र में 2 सितंबर से अब तक 10 नावों पर हमला किया। इसमें कुल 43 लोगों की जान गई। वेनेजुएला के सरकारी टेलीविजन ने तटीय क्षेत्रों में तैनात सैनिकों की फोटो साझा की। खास बात यह है कि इन सैनिकों के कंधे पर रूस की इंग्ला-एस मिसाइल है। अमेरिका ने नशा तस्करी अभियान के बहाने वेनेजुएला के करीब आठ अमेरिकी नौसेना जहाज, 10 एफ-35 फाइटर प्लेन और एक परमाणु पनडुब्बी तैनात की है। वेनेजुएला ने आरोप लगाया कि अमेरिका की इस कार्रवाई का मकसद हमारी सरकार को उखाड़ फेंकना है।
यह भी पढ़ें: 'घुटने नहीं टेकूंगा', ट्रंप को उन्हीं की भाषा में जवाब देने वाले पेट्रो कौन?
इस बीच, वेनेजुएला ने भी जवाबी तैयारी शुरू कर दी है। उसकी सेना अभ्यास कर रही है। वेनेजुएला के रक्षा मंत्री व्लादिमीर पैड्रिनो लोपेज ने बताया कि हम बड़े पैमाने पर तटीय रक्षा अभ्यास कर रहे हैं। इसका उद्देश्य बड़े सैन्य खतरे से खुद को बचाना, नशीले पदार्थ की तस्करी रोकना, आंतकी खतरे और गुप्त अभियान से देश के भीतर पैदा होने वाली अस्थिरता से खुद को बचाना है। पिछले महीने वेनेज़ुएला के दो एफ-16 लड़ाकू विमानों ने यूएसएस जेसन डनहम के ऊपर से उड़ान भरी। इससे अमेरिका खफा हो गया। उनसे वेनेजुएला के इस कदम को बेहद भड़काऊ बताया।
हम युद्ध नहीं, शांति चाहते हैं: वेनेजुएला
निकोलस मादुरो ने साफ शब्दों में कहा कि अगर अमेरिका ने सरकार गिराने की कोशिश की तो कड़ा जवाब दिया जाएगा। हम वाशिंगटन के सामने डटे रहेंगे, क्योंकि उनका देश अब हाई-अलर्ट पर है। अमेरिका की सैन्य तैनाती पर वेनेजुएला के विदेश मंत्री व्लादिमीर पैड्रिनो ने कहा कि यह पिछले 100 वर्षों का सबसे बड़ा सैन्य खतरा है। हम युद्ध नहीं, शांति चाहते हैं।
पिछले साल वेनेजुएला में चुनाव हुए। अमेरिका का आरोप है कि निकोलस मादुरो ने धांधली करके सत्ता हासिल की है। अमेरिका समेत कई देशों ने उनसे कुर्सी छोड़ने की मांग की। डोनाल्ड ट्रंप खुलकर कई मौकों पर मादुरो को अवैध राष्ट्रपति बता चुके हैं।