'घुटने नहीं टेकूंगा', ट्रंप को उन्हीं की भाषा में जवाब देने वाले पेट्रो कौन?
गुस्तावो पेट्रो को आधुनिक कोलंबियाई इतिहास का पहला वामपंथी राष्ट्रपति माना जाता है। ट्रंप की हर बात का उन्हीं की भाषा में जवाब देने वाले पेट्रो कई मौकों पर अमेरिकी राष्ट्रपति से भिड़ चुके हैं। अब अमेरिका ने उन पर प्रतिबंध लगा दिया है।

गुस्तावो पेट्रो और डोनाल्ड ट्रंप। ( Photo Credit: Social Media)
अमेरिका ने कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो पर प्रतिबंध लगाया है। इसी साल 20 जनवरी के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप और पेट्रो के बीच तनाव भरा माहौल है। दक्षिण अमेरिकीय देश कोलंबिया और वेनेजुएला के साथ ट्रंप की नहीं बन रही है। दोनों देशों के साथ ट्रंप का तनाव बढ़ता जा रहा है। यही वजह है कि कैरिबियन क्षेत्र के आसपास अमेरिका ने अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा दी है। वेनेजुएला और कोलंबिया के बीच तनातनी से युद्ध का खतरा बढ़ता जा रहा है। ट्रंप ने न केवल कोलंबिया के राष्ट्रपति बल्कि उनके परिवार और गृह मंत्री अरमांडो बेनेडेटी पर भी प्रतिबंध लगाया है।
अमेरिका ने क्या आरोप लगाया?
अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने आरोप लगाया कि कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो आपराधिक समूहों का बचाव कर रहे हैं। उन्होंने अपने देश में फैले कोकीन उद्योग पर लगाम नहीं लगाई है। अमेरिका के ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट का कहना है कि गुस्तावो पेट्रो के शासन में कोलंबिया में कोकीन का उत्पादन चरम पर पहुंच गया है। अमेरिकी नागरिकों को जहर दिया जा रहा है। अमेरिका में कोकीन की बाढ़ आ गई है। पेट्रो ने ड्रग कार्टेल को फलने-फूलने का मौका दिया और इस पर रोक लगाने से मना कर दिया।
अमेरिका को सीधा जवाब- कभी घुटने नहीं टेकूंगा
अमेरिकी सीनेटर बर्नी मोरेनो काफी समय से कोलंबिया के राष्ट्रपति को धमकाने में जुटे थे। अब प्रतिबंध लगने के बाद कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने उन्हीं का नाम लिया और लिखा, 'बर्नी मोरेनो की धमकी पूरी हो गई है। मेरी पत्नी, मेरे बच्चों और मुझे विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय की सूची में डाल दिया गया है। उन्होंने स्पष्ट कह दिया है कि वह ट्रंप की धमकी के आगे झुकने वाले नहीं है। अपने एक्स पर लिखा, 'एक कदम भी पीछे नहीं हटूंगा और कभी भी घुटने नहीं टेकूंगा।'
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पेट्रो का कहना है कि वह अमेरिका की अदालत में इस फैसले को चुनौती देंगे। उन्होंने ड्रग कार्टेल को बढ़ावा देने के अमेरिकी आरोपों का खंडन किया और कहा कि कोलंबिया लंबे समय से नशा तस्करी के खिलाफ एक प्रभावी जंग लड़ रहा है।
मादुरो, पुतिन और पेट्रो एक ही सूची में
कोलंबियाई राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो का संबंध वामपंथी विचारधारा से है, जबकि ट्रंप की नाता दक्षिणपंथ से है। दोनों के बीच नहीं बनने की एक वजह यह भी है। दक्षिण अमेरिका में वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के अलावा पेट्रो को ट्रंप का मुखर आलोचक माना जाता है। फिलहाल पेट्रो का कार्यकाल कुछ ही महीनों का बचा है। साल 2026 में उन्हें पद छोड़ना है। पेट्रो अब उन वैश्विक नेताओं की सूची में शामिल हो गए हैं जिन पर अमेरिका प्रतिबंध लगा चुका है। इनमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो का नाम शामिल है।
कहां से शुरू हुआ ट्रंप और पेट्रो का विवाद?
डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी 2025 को दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ ली। कार्यभार संभालने के साथ ही ट्रंप ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ अभियान शुरू किया। अमेरिका ने अप्रवासियों को हथकड़ी बांधकर सैन्य विमानों में ठूंस-ठूंसकर भेजना शुरू किया। 26 जनवरी को दो अप्रवासियों से भरे दो विमान कोलंबिया के हवाई क्षेत्र में पहुंचे तो राष्ट्रपति पेट्रो ने इन्हें उतरने नहीं दिया। इतना ही नहीं उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ;अमेरिका कोलंबियाई प्रवासियों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार नहीं कर सकता।"
कोलंबिया के कदम से ट्रंप भड़क उठे। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि वहां के राष्ट्रपति पेट्रो ऐसा कदम भी उठा सकते हैं। जवाब में अमेरिका ने कोलंबियाई समान पर 30 फीसद टैरिफ लगाने की धमकी दी तो पेट्रो को पीछे हटना पड़ा।
क्या बदला निकालने में जुटे ट्रंप?
पेट्रो के पीछे हटने के बाद भी ट्रंप का गुस्सा शांत नहीं हुआ। अब कोकीन के बहाने कोलंबिया को अपने निशाने पर ले रखा है। ट्रंप के आदेश पर 2 सितंबर से अमेरिकी सेना कैरेबियन सागर और प्रशांत महासागर में कई जगहों पर हमला किया। अमेरिका का कहना है कि वह ड्रग तस्करों को निशाना बना रहा है, जबकि कोलंबिया ने कहा कि अमेरिकी हमलों में मछुआरों की जान गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी हमले में 34 लोगों की जान गई है। इसके बाद पेट्रो ने एक्स पर लिखा कि यह युद्ध में गई जानें नहीं है। यह सभी हत्याएं है। इसके बाद ही अमेरिका ने उन पर प्रतिबंध लगाया है।
क्या पेट्रो की न्यूयॉर्क रैली ने आग में घी का काम किया?
सितंबर महीने में पेट्रो अमेरिका के न्यूयॉर्क पहुंचे थे। यहां उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की बैठक में हिस्सा लिया था। बैठक के बाद पेट्रो ने न्यूयॉर्क में फिलिस्तीन समर्थकों के साथ एक रैली निकाली थी। इससे ट्रंप प्रशासन और भड़क गया। कुछ ही समय में उनका वीजा भी रद्द कर दिया गया। ट्रंप ने कोलंबिया को दी जाने वाली आर्थिक सहायता बंद कर दी और भागीदार के तौर पर उसकी मान्यता को भी कैंसिल कर दिया।
ट्रंप की धमकी- बड़ी कार्रवाई करेंगे
ट्रंप और पेट्रो के बीच विवाद का असर दोनों देशों के संबंधों पर भी पड़ रहा है। कोलंबिया ने वाशिंगटन डीसी से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है। उधर, अमेरिका ने राष्ट्रपति पेट्रो, उनके परिवार और गृह मंत्री बेनेडेटी की अमेरिका में स्थित संपत्ति को जब्त कर लिया है। डोनाल्ड ट्रंप ने पेट्रो को धमकी दी और कहा कि अगर उन्होंने कोकीन की तस्करी रोकने के लिए कदम नहीं उठाया तो हम उनके देश के खिलाफ बहुत बड़ी कार्रवाई करेंगे। उसने अपने देश को मौत के जाल में धकेल दिया है।
सैन्य तैनाती बढ़ा रहा अमेरिका, युद्ध का खतरा
इस बीच अमेरिका ने कोलंबिया और वेनेजुएला के साथ बढ़ती तनातनी के कारण कैरिबियन क्षेत्र में हजारों सैनिकों, युद्धपोतों और विमानों की तैनाती की है। पिछले हफ्ते ही ट्रंप ने वेनेजुएला में सीक्रेट सीआईए ऑपरेशन की मंजूरी दी है। इसके तहत वेनेजुएला पर जमीन से हमला करने की तैयारी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लैटिन अफ्रीका में अमेरिका की सेना का सबसे बड़ा जमावड़ा देखने को मिल रहा है। अब तक अमेरिकी हमले में 10 से अधिक नावों को निशाना बनाया जा चुका है।
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अमेरिका रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने यूएसएस गेराल्ड फोर्ड और उसके एक विध्वंसक को इलाके में तैनात करने का आदेश दिया। अमेरिकी तैनाती के जवाब में वेनेजुएला ने भी बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास शुरू किया है। वेनेजुएला के दो एफ-16 लड़ाकू विमानों ने यूएसएस जेसन डनहम के ऊपर से उड़ान भरी। अमेरिका ने इस कार्रवाई को भड़काऊ कहा और जवाब में प्यूर्टो रिको में 10 एफ-35बी लड़ाकू विमान और दो MQ-9 रीपर की तैनाती की। वेनेजुएला के साथ-साथ कोलंबिया के साथ अमेरिका की तनातनी से युद्ध का खतरा बड़ा जा रहा है।
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