logo

ट्रेंडिंग:

क्या USA से छिन जाएगा डिएगो गार्सिया, चागोस की आजादी के क्या मायने?

ब्रिटेन की गुलामी से चागोस द्वीप समहू को आजादी मिल गई है। मगर सवाल यह है कि क्या यहां के डिएगो गार्सिया द्वीप पर बना अमेरिकी मिलिट्री बेस भी खतरे में आ जाएगा?

Diego garcia

डिएगो गार्सिया द्वीप। (Photo Credit: Google Maps)

211 साल की गुलामी के बाद चागोस द्वीपसमूह को ब्रिटेन से आजादी मिल गई है। अब दुनियाभर में बसे चागोसियन लोगों की वापसी का रास्ता खुल गया। ब्रिटेन ने साल 1814 में चागोस पर कब्जा किया और 1965 में ब्रिटेन ने चागोस को मॉरीशस से अलग कर दिया, ताकि मॉरीशस को आजादी मिलने के बाद भी उसका कब्जा यहां बना रहे। 1968 में मॉरीशस को ब्रिटेन से आजादी मिली, लेकिन चागोस को नहीं। मॉरीशस ने ब्रिटेन के खिलाफ 57 साल की लड़ाई लड़ने के बाद चागोस द्वीपसमूह को आजाद कराने में कामयाबी हासिल की।

 

चागोस की लोकेशन रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। यहां के डिएगो गार्सिया में अमेरिका और ब्रिटेन का सबसे अहम सैन्य अड्डा है। मध्य पूर्व में हवाई हमलों को अमेरिका इसी बेस से अंजाम देता है। 1960 के दशक में ब्रिटेन के कहने पर अमेरिका ने यहां अपना सैन्य अड्डा बनाना शुरू किया था, लेकिन द्वीप में रहने वाले हजारों लोगों को जबरन अपना घर छोड़ना पड़ा था। हालांकि 1968 में ब्रिटेन ने चागोस द्वीपसमूह के बदले 3 मिलियन पाउंड का भुगतान मॉरीशस को किया था।

 

यह भी पढ़ें: जासूसी के शक में CRPF जवान गिरफ्तार, NIA कर रही पूछताछ

कैसे मिली चागोस को आजादी?

मॉरीशस ने ब्रिटेन के कब्जे को अंतरराष्ट्रीय अदालत में चुनौती दी। उसने दावा किया कि ब्रिटेन ने आजादी के बदले हम पर चागोस द्वीपसमूह देने का दबाव बनाया। मजबूरी में हमें द्वीप ब्रिटेन को सौंपना पड़ा। 2019 में अदालत ने मॉरीशस के पक्ष में फैसला सुनाया और ब्रिटेन को चागोस द्वीपसमूह को सौंपने को कहा। संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी ब्रिटेन को मुंह की खानी पड़ी। इसके बाद 2024 में ब्रिटेन चागोस द्वीप समूह को मॉरीशस को सौंपने पर सहमत हुआ। 

आजादी मिलने के क्या मायने?

चागोस द्वीप समूह से जबरन निकाले गए चागोसियन लोगों ने दक्षिण पूर्व इंग्लैंड के क्रॉली और मॉरीशस में शरण ले रखी है। अब ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद मॉरीशस डिएगो गार्सिया को छोड़कर अन्य द्वीपों पर चागोसियन लोगों को बसा सकता है। समझौते में उसको पूरी आजादी दी गई है। मतलब साफ है कि 211 साल बाद चागोसियन लोगों की घर वापसी का रास्ता खुल गया है। 

 

ब्रिटेन मॉरीशस के साथ क्या समझौता हुआ?

22 मई 2025 को ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच एक समझौता हुआ। समझौते के तहत चागोस द्वीपसमूह मॉरीशस को सौंप दिया गया है। हालांकि उसके एक द्वीप डिएगो गार्सिया पर ब्रिटेन का पट्टा जारी रहेगा। समझौते के तहत ब्रिटेन हर साल मॉरीशस को 101 मिलियन पाउंड का भुगतान करेगा। अगले 99 साल तक डिएगो गार्सिया से अमेरिका सैन्य बेस का संचालन होता रहेगा। खास बात यह है कि अमेरिका ने भी इस समझौते का स्वागत किया।

 

समझौते के अहम प्वाइंट

  • समझौते के मुताबिक डिएगो गार्सिया के चारों तरफ 24 मील का क्षेत्र बफर जोन होगा।
  • यहां ब्रिटेन की मंजूरी के बिना कुछ भी निर्माण नहीं किया जा सकेगा।
  • किसी अन्य देश की सेना से जुड़े लोग चागोस द्वीपसमूह में नहीं जा सकेंगे।
  • ब्रिटेन के पास द्वीपों तक किसी भी पहुंच पर वीटो करने का अधिकार होगा।
  • मॉरीशस और ब्रिटेन के सहमत होने पर पट्टे को 40 साल और बढ़ाया जा सकता है।
  • डिएगो गार्सिया पर मॉरीशस का नियंत्रण होगा, मगर लोग नहीं बसा सकेगा।
  • 40 मिलियन डॉलर का ट्रस्ट फंड बनेगा, जो चागोसवासियों की मदद करेगा।


यह भी पढ़ें: भारत पर हमले की फोटो बताकर असीम मुनीर ने शहबाज को गिफ्ट की झूठी तस्वीर

 

अमेरिका के लिए क्यों अहम है डिएगो गार्सिया?

बीसीसी की खबर के मुताबिक डिएगो गार्सिया चागोस द्वीपसमूह का सबसे बड़ा द्वीप है। ब्रिटेन और अमेरिका ने यहां गुप्त सैन्य अड्डा बनाया है। यह सैन्य बेस हवाई अड्डा, उन्नत संचार व निगरानी सिस्टम और बंदरगाह से लैस है। इस बेस की अहमियत इतनी है कि 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान में अल कायदा, तालिबान और इराक के खिलाफ सैन्य अभियान यही से चलाया था। मौजूदा समय में यमन के हूती विद्रोहियों के खिलाफ अमेरिका डिएगो गार्सिया से ही सैन्य अभियान चला रहा है। ईरान के खिलाफ दबाव बनाने में भी यही बेस काम आता है। हाल ही में ईरान के साथ तनाव बढ़ने पर अमेरिका ने यहां अपने 6 बी-2 स्टील्थ बमवर्षक विमानों को तैनात किया है। 

कहां पर है चागोस द्वीप समूह?

चागोस द्वीप समहू हिंद महासागर के मध्य में है। मालदीव से इसकी दूरी लगभग 500 किमी दूर है। यह समूह लगभग 60 द्वीपों से मिलकर बना है। 1814 से पहले यहां फ्रांस का कब्जा था। मगर पेरिस संधि के बाद चागोस ब्रिटेन के हाथ में आ गया था। चागोस द्वीप समूह में रहने वाले लोग क्रियोल भाषा बोलते थे। उन्हें चागोसियन कहा जाता है।

 

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap