भाषा उर्दू और PAK में अल्पसंख्यक, आखिर कौन होते हैं मुहाजिर?
लंदन में निर्वासित जीवन जी रहे पाकिस्तान के नेता अल्ताफ हुसैन ने पीएम मोदी से मुहाजिरों का मुद्दा उठाने की अपील की है। ऐसे में जानते हैं कि यह मुहाजिर कौन होते हैं?

MQM नेता अल्ताफ हुसैन। (Photo Credit: X@AltafHussain_90)
पाकिस्तान के एक नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है। यह अपील की है पाकिस्तान के निर्वासित नेता और मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) के नेता अल्ताफ हुसैन ने। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुहाजिरों का मुद्दा अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठाने की अपील की है। अल्ताफ हुसैन ने कहा कि जैसे पीएम मोदी ने बलोच लोगों के अधिकारों का समर्थन किया है, वैसे ही उन्हें मुहाजिरों की परेशानी भी उठानी चाहिए।
मुहाजिर असल में वे लोग होते हैं, जिनकी भाषा उर्दू है और बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए थे। यह लोग पाकिस्तान में शरणार्थी के तौर पर जी रहे हैं। इन्हीं के नेता हैं अल्ताफ हुसैन, जो लंदन में निर्वासित जीवन जी रहे हैं। अल्ताफ हुसैन ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई में 25 हजार से ज्यादा मुहाजिरों की मौत हो गई है और हजारों गायब हो गए हैं।
'मुहाजिर बेजुबान हो गए हैं। उनके पास कोई ताकत नहीं है। पीएम मोदी उनके सम्मान, सुरक्षा और अधिकारों का मुद्दा अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठाएं। मुहाजिर निहत्थे हैं और बहुत ही खराब हालात में जी रहे हैं। 61 साल से उन्हें परेशानी झेलनी पड़ रही है और अब इसे और अनदेखा नहीं किया जा सकता।'- अल्ताफ हुसैन (MQM नेता)
यह भी पढ़ें-- भारत में बनेंगे 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान, क्या होगा खास? सबकुछ जानिए
अल्ताफ हुसैन कौन हैं?
अल्ताफ हुसैन का परिवार उत्तर प्रदेश का रहने वाला था, जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान चला गया था। उनका जन्म 1953 में सिंध प्रांत के कराची शहर में हुआ था। कराची यूनिवर्सिटी से मेडिकल की पढ़ाई करने के बाद अल्ताफ राजनीति में आ गए।
उन्होंने देखा कि मुहाजिरों की हालत बिगड़ती जा रही है। उनकी जगह धीरे-धीरे सिंधी और पंजाबी बढ़ने लगे। यही देखते हुए उन्होंने 1984 में MQM पार्टी बनाई। पार्टी को कराची में जबरदस्त समर्थन मिला और देखते ही देखते पार्टी पाकिस्तानी संसद की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई। इस कारण कराची शहर में अल्ताफ का दबदबा हो गया। उनके खिलाफ हत्या के कई केस भी दर्ज हुए। हालात इतने बिगड़ गए कि 1992 में उन्हें पाकिस्तान छोड़कर ब्रिटेन जाना पड़ा।
میں نے اپنے لائیوخطاب میں بھارتی وزیراعظم کو مخاطب کیوں کیا؟
— Altaf Hussain (@AltafHussain_90) May 27, 2025
۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔۔
27،مئی 2025ء
میں نے گزشتہ روزمورخہ26،مئی 2025ء کوبھارتی وزیراعظم نریندر مودی کوکوئی خط نہیں لکھاتھا بلکہ اپنے لائیو خطاب میں نریندر مودی صاحب کو مخاطب کیاتھاجسے نریندرمودی صاحب کےنام میراخط… pic.twitter.com/yEx6YnByMx
ब्रिटेन में भी उन पर हमले हुए। बाद में ब्रिटेन ने उन्हें न सिर्फ शरण दी, बल्कि नागरिकता भी दे दी। अल्ताफ बाद में वीडियो जारी कर कराची के लोगों को संबोधित करने लगे।
यह भी पढ़ें-- समय और पैसा बचेगा, भारत के लिए कितना खास है कालादान प्रोजेक्ट?
पर यह मुहाजिर कौन हैं?
मुहाजिर असल में एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब है प्रवासी या शरणार्थी। ऐसा कहा जाता है कि इस्लामिक इतिहास में सबसे पहले 'मुहाजिर' उन लोगों को कहा गया जो पैगंबर मुहम्मद साहब और उनके साथी थे, जिन्होंने मक्का से मदीना हिजरत (प्रवास) किया था। उन्हें बहुवचन में 'मुहाजिरून' कहा जाता है। इस वजह से इस्लामिक कैलेंडर को 'हिजरी' भी कहते हैं।
1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद उन मुसलमानों को 'मुहाजिर' कहा गया, जो भारत के अलग-अलग हिस्सों से अपना घर-बार छोड़कर नए बने पाकिस्तान में बसने चले गए। यह लोग ज्यादातर कराची और पाकिस्तान के दूसरे बड़े शहरों में बसे।
पाकिस्तान में मुहाजिरों को अक्सर भेदभाव का सामना करना पड़ा। खासकर बिहार और यूपी से गए मुसलमानों को 'बिहारी' या 'मुहाजिर' कहकर अपमानित किया गया।
यह भी पढ़ें-- जेसन मिलर और कीथ शिलर; भारत-PAK के लिए US में लॉबिंग करने वाले कौन?
पर यह तो मुस्लिम हैं, फिर भेदभाव क्यों?
अब सवाल उठता है कि बंटवारे के बाद जो पाकिस्तान गए, वे सब मुस्लिम थे तो फिर उन्हें वहां भेदभाव का सामना क्यों करना पड़ता है? दरअसल, ज्यादातर मुहाजिर उर्दू बोलने वाले थे और इनकी संस्कृति, बोली और रहन-सहन स्थानीय पंजाबी, सिंधी, पश्तून या बलोच लोगों से अलग थी।
मुहाजिरों की उर्दू को राष्ट्रीय भाषा बनाया गया, जिससे सिंधी, पश्तो और दूसरी स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा नहीं मिला। इससे स्थानीय लोगों में और नाराजगी बढ़ी।
मुहाजिर पढ़े-लिखे थे और सरकारी नौकरियों, बिजनेस और शहरों में अच्छी पोजिशन लेने लगे। इससे स्थानीय लोगों को जलन हुई और वो इन्हें 'बाहरी' कहने लगे। 80-90 के दशक में कराची में जबरदस्त हिंसा हुई, जिसमें कथित तौर पर हजारों मुहाजिरों की मौत हो गई थी।
यह भी पढ़ें-- भारत-पाकिस्तान संघर्ष में चीन का क्या था रोल? जयशंकर ने सब बता दिया
अभी क्या है स्थिति?
ऐसा कहा जाता है कि बंटवारे के वक्त 70-80 लाख लोग ऐसे थे जो यूपी-बिहार से जाकर पाकिस्तान में बसे। 2017 में हुई आखिरी जनगणना के मुताबिक, पाकिस्तान में मुहाजिरों की आबादी 1.47 करोड़ है।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap