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विदेशी ताकत या कट्टरपंथ? तारिक रहमान के आते ही बांग्लादेश में बढ़ी हथियार तस्करी

तारिक रहमान अपनी पार्टी और संगठन को नए सिरे से तैयार कर रहे हैं। उनकी पार्टी पर कट्टरपंथी होने के आरोप लगते रहे हैं। अब बांग्लादेश में क्या हो रहा है, आइए समझते हैं।

Bangladesh News

तारिक रहमान और बांग्लादेश के अंतिरम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस। (Photo Credit: BNP)

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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान, 17 साल लंदन में रहने के बाद अब अपने वतन लौटे हैं। बांग्लादेश में जगह-जगह उनका स्वागत हो रहा है। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की आवामी लीग पार्टी पर पाबंदियां लगाई गई हैं, यह पार्टी, चुनाव में नहीं उतर सकती है, ऐसे में उनकी प्रधानमंत्री पद को लेकर भी प्रबल दावेदारी मानी जा रही है। 

आवामी लीग के चुनावी मैदान में न होने की वजह से ऐसी अटकलें भी लगाई जा रहीं हैं कि वह चुनाव जीत सकते हैं। उनके पास जन समर्थन है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी, पहले भी अतिवादी इस्लामिक समूहों को लुभाती रही है। अब तारिक रहमान के सामने चुनाती है कि कैसे वह सबको साथ रखकर सत्ता में आए। यही वजह है कि उन्होंने सोमवार को अपनी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय का दौरा कर चुके हैं। 

तारिक रहमान बांग्लादेश नेशनिस्ट पार्टी के 'नए पलटन' कार्यकाल का दौरा कर रहे हैं लेकिन उनकी 'पुरानी पल्टन' के सहयोगी सक्रिय हो रहे हैं। उन्होंने कुछ चुनिंदा नेताओं से मुलाकात की बात कही है। द ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट बताती है कि तारिक रहमान पार्टी के पुराने भरोसेमंद लोगों को बुला रहे हैं, बात कर रहे हैं। एक तरफ वह अपनी सियासी जमीन को हवा दे रहे हैं, दूसरी तरफ बांग्लादेश में हथियारों की तस्करी बढ़ गई है। 

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हथियारों की तस्करी क्यों बढ़ी?

बांग्लादेश में चुनावों से ठीक पहले अचानक हथियारों की तस्करी बढ़ गई है। बांग्लादेश के गृह मंत्रालय के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जहांगीर आलम चौधरी ने सोमवार को कहा है कि देश में हथियारों की तस्करी बढ़ गई है। उन्होंने कहा है कि देश में चुनाव हैं, हथियारों की तस्करी बढ़ रही है।

जहांगीर आलम चौधरी:-
फासीवादी ताकतें हमेशा चुनाव में खलल डालने की कोशिश करती हैं। जनता और कानून की संरक्षा करने वाले लोग मिलकर निष्पक्ष चुनाव कराएंगे। बांग्लादेश की सेना और सुरक्षाबलों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। 

जहांगीर आलम ने कहा, 'कुछ हथियार लगातार सरहद से आ रहे हैं। उन्हें सीज किया जा रहा है। कानून और सुरक्षाबल काम कर रहे हैं। बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश हथियारों की हिफाजत कर रहे हैं।' 

बांग्लादेश के सियासी हलचल का भारत में डर क्या है?

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार की विदाई के बाद से ही अल्पसंख्यकों को निशाने पर लिया जा रहा है। दीपू चंद्र दास नाम के एक युवक की हाल ही में हत्या हुई थी, जिसमें ईशनिंदा के आरोप में उसे पीट-पीटकर मार दिया गया था। अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने कहा था कि हत्यारों को सजा मिलेगी। उस्मान हादी की मौत पर भी बांग्लादेश में हंगामा हुआ। दावा किया गया कि हत्या के बाद हत्यारे भारत भाग गए, जिसे भारत ने खारिज किया है। भारत को एक बार फिर सीमा पर तनाव बढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार में भी दोनों देशों के रिश्ते बुरे दौर में पहुंच गए हैं।

यह भी पढ़ें: 'सैनिकों के नाखून तक नोचे गए थे,' तारिक रहमान और BNP से भारत को डर क्या है?

बांग्लादेश में अब क्या होगा?

बांग्लादेश में 12 फरवरी को राष्ट्रीय चुनाव होंगे। देश में जनमत संग्रह भी कराया जा रहा है। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 दिसंबर है। नामांकन पत्रों की जांच 30 दिसंबर से 4 जनवरी तक होगी। 

बांग्लादेश की जनमत संग्रह का क्या होगा?

बांग्लादेश में साल 2024 में एक देशव्यापी आंदोलन हुआ था, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा था। जुलाई में छात्रों के नेतृत्व में हुए आंदोलन के बाद एक 'जुलाई चार्टर' तैयार किया गया था, जिसे लागू करने के लिए संसदीय चुनाव के साथ-साथ जनमत संग्रह भी होने वाला है।  

 


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