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आसिम मुनीर फील्ड मार्शल बने, मतलब से मकसद तक, सब समझिए

आसिम मुनीर को पाकिस्तानी सरकार ने प्रमोशन दिया है। उन्हें फील्ड मार्शल का पद दिया गया है। अब उनकी भूमिका कैसे बदल गई, आइए समझते हैं।

Asim Munir

पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर।

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना से बुरी तरह हारने के बाद पाकिस्तान की सेना ने आसिम मुनीर को पाकिस्तान का फील्ड मार्शल बना दिया। चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल आसिम मुनीर अब इतिहास के दूसरे शख्स हैं, जिन्हें सरकार ने फील्ड मार्शल पद पर पदोन्नत किया है। पाकिस्तान के पहले फील्ड मार्शल मोहम्मद अयूब खान थे। वह साल 1958 से 1969 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति भी रहे हैं।

अयूब खान ने खुद को फील्ड मार्शल बनाया था, लेकिन आसिम मुनीर को यह पद पाकिस्तान की सरकार ने दिया है। उन्हें लोकतांत्रिक तरीके से इस पद पर बैठाया गया है। अयूब खान के प्रमोशन से यह प्रमोशन बेहद अलग है। अयूब खान फील्ड मार्शल बनने के बाद सेना प्रमुख नहीं रहे थे, वहीं आसिम मुनीर इस पद पर बने रहेंगे और 2027 तक सेना प्रमुख के रूप में सेवा देंगे। नवंबर 2024 में पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने सेना, नौसेना और वायुसेना प्रमुखों का कार्यकाल 3 साल से बढ़ाकर 5 साल कर दिया, जिसके कारण उनकी रिटायरमेंट अब 2027 में होगी।

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कौन थे अयूब खान, पहले फील्ड मार्शल?
अयूब खान ने 1958 में तख्तापलट कर खुद को राष्ट्रपति बना लिया था। साल 1959 में, रिटायरमेंट की उम्र जैसे ही नजदीक आई, उन्होंने खुद को फील्ड मार्शल का पद दे दिया। उन्होंने तब तर्क दिया था कि जनता चाहती है, वह फील्ड मार्शल बनें। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने सेना की कमान नहीं संभाली और जनरल मूसा खान को सेना प्रमुख बनाया।


आसिम मुनीर को क्यों बनाया गया फील्ड मार्शल?

पाकिस्तान का मानना है कि भारत के साथ ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुए संघर्ष में पाकिस्तान की जीत हुई है, इसलिए आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाया गया है। आसम मुनीर को पाकिस्तान एक असाधारण अधिकारी मानता है। आसिम मुनीर 1986 में फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट में कमीशन हुए थे। उन्होंने मंगला के ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल से ट्रेनिंग ली, वहां उन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर मिला। उन्होंने जापान, मलेशिया और पाकिस्तान में सैन्य प्रशिक्षण लिया और सऊदी अरब में कुरान की शिक्षा ली। आसिम मुनीर ने लेफ्टिनेंट कर्नल के तौर पर 23वीं बटालियन और ब्रिगेडियर के तौर पर उत्तरी क्षेत्रों में एक इन्फैंट्री ब्रिगेड की कमान संभाली। मेजर जनरल के तौर पर वह नॉर्दर्न एरियाज के फोर्स कमांडर और डायरेक्टर जनरल मिलिट्री इंटेलिजेंस रहे। लेफ्टिनेंट जनरल के तौर पर वह डीजी आईएसआई और 30 कॉर्प्स के जीओसी रहे। नवंबर 2022 में सेना प्रमुख बनने से पहले वे क्वार्टरमास्टर जनरल थे।

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पाकिस्तान में फील्ड मार्शल के क्या अधिकार होते हैं?
भारत और पाकिस्तान की सेनाएं ब्रिटिश सैन्य परंपराओं की तरह ही पदों का वितरण करती हैं। आसिम मुनीर के भी प्रमोशन का सांकेतिक मतलब है।  फील्ड मार्शल का पद जीवन भर सक्रिय सूची में रहता है। रिटायरमेंट के बाद वे कोई आधिकारिक पद नहीं संभालते, लेकिन जब चाहें अपनी वर्दी पहन सकते हैं। उनकी गाड़ी पर पांच सितारे लगे होते हैं। वे सलामी देते वक्त स्पेशल फील्ड मार्शल बैटन का इस्तेमाल करते हैं। उन्हें रणनीतिक तौर पर अहम पद दिया जाता है।

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अयूब खान का कैसा था सैन्य करियर?

अयूब खान ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और यूके के रॉयल मिलिट्री कॉलेज, सैंडहर्स्ट में पढ़ाई की। 1928 में वे भारतीय सेना में कमीशन हुए और ज्यादातर समय पंजाब रेजिमेंट में रहे। द्वितीय विश्व युद्ध में वे असम रेजिमेंट के बटालियन कमांडर बने, लेकिन उनके कमांडर ने उन्हें युद्ध में डरपोक मानकर हटा दिया। विभाजन के बाद वे पाकिस्तानी सेना में जनरल बने और 1951 से 1958 तक सेना प्रमुख रहे। इसके बाद वे राष्ट्रपति बने।
 
अयूब खान के प्रमोशन से अलग कैसे असिम मुनीर का प्रमोशन?
आसिम मुनीर की फील्ड मार्शल के रूप में पदोन्नति अयूब खान से अलग है। उन्हें यह पद सरकार ने दिया है। वह सेना प्रमुख के तौर पर सक्रिय रहेंगे। भारत में सैम मानेकशॉ और केएम करियप्पा दो फील्ड मार्शल रहे हैं।

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