क्या है ईरान का परमाणु कार्यक्रम, इजरायल क्यों तबाह करना चाहता?
इजरायल की कोशिश है कि ईरान किसी भी हाल में परमाणु हथियारों को हासिल न कर सके और इसके लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार है।

परमाणु बम। (AI Generated Image)
परमाणु कार्यक्रम पर ईरान और अमेरिका के बीच बातचीत का दौर जारी है। इस बीच इजरायल का कहना है कि अगर दोनों देशों के बीच वार्ता विफल रही तो इजरायल किसी भी वक्त ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला कर सकता है। पिछले साल यानी 2024 में इजरायल तेहरान के पास एक ऐसी ही इमारत को निशाना बना चुका है, जहां परमाणु हथियारों पर शोध हो रहा था। 27 नवंबर 2020 को मोसाद ने ईरान में ही उसके परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख वैज्ञानिक मोहसेन फखरजादे की गोलियों से भूनकर हत्या करवाई थी। पिछले कई वर्षों से इजरायल ईरान के परमाणु कार्यक्रम के पीछे पड़ा है। ऐसे में आइए जानते हैं कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम क्या है, इजरायल इसे क्यों खतरा मानता है और क्या उसके पास हमला करने की क्षमता है या नहीं।
ईरान का परमाणु कार्यक्रम लगभग 5 दशक पुराना है। मगर साल 2002 में पहली बार इसका खुलासा हुआ तो दुनिया दंग रह गई। पिछले कई दशकों से ईरान गुप्त रूप से परमाणु हथियारों को बनाने की कोशिश में जुटा है। अमेरिका, इजरायल, सऊदी अरब जैसे देश ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खतरा मानते हैं। पिछले साल ईरान ने दो बार बैलेस्टिक मिसाइलों से इजरायल पर हमला किया था। इसके बाद से ही इजरायल अधिक सतर्क है। उसका मानना है कि परमाणु हथियार होने पर ईरान सीधे हमला कर सकता है।
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जब अमेरिका ने तोड़ा समझौता
साल 2010 में अमेरिका और यूरोपीय संघ ने ईरान पर आर्थिक पाबंदी लगाई। दोनों का मानना था कि ईरान परमाणु बम बनाने में जुटा है। उसकी लगभग 100 बिलियन डॉलर की संपत्तियों को जब्त कर लिया गया था। पांच साल बाद 2015 में ईरान ने अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस, जर्मनी और ब्रिटेन के साथ संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA ) पर सहमति जताई। उसने IAEA को अपने परमाणु सुविधाओं तक निरीक्षण करने की अनुमति दी।
बदले में ईरान को JCPOA के तहत 300 किलोग्राम यूरेनियम रखने की इजाजत मिली। मगर शर्त यह थी कि यूरेनियम सिर्फ 3.67 फीसदी तक संवर्धित हो और इसका इस्तेमाल परमाणु ऊर्जा और अनुसंधान में ही किया जाएगा। कई अन्य प्रतिबंधों में ढील दी गई, लेकिन 2018 में डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को इस समझौते से अलग कर लिया। इसके बाद ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को हथियार की तरफ मोड़ना शुरू किया।
कितना उन्नत है ईरान का परमाणु कार्यक्रम?
2018 में अमेरिका के परमाणु समझौते से अलग होने के बाद ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को आक्रामक रूप से बढ़ाया। उसने अपने यहां हजारों उन्नत सेंट्रीफ्यूज की स्थापना की। इन्हीं सेंट्रीफ्यूज के माध्यम से यूरेनियम का संवर्धन किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ( IAEA ) ने अनुमान जताया था कि मार्च 2025 तक ईरान के पास लगभग 275 किलोग्राम यूरेनियम होगा। यह 60 फीसदी तक शुद्ध है। अगर इसे अधिक संवर्धित किया जाता है तो इससे आधा दर्जन परमाणु बम बनाए जा सकते हैं। बता दें कि परमाणु हथियारों के लिए 90 फीसदी संवर्धित यूरेनियम की जरूरत होती है। अमेरिका का मानना है कि ईरान के पास इतनी क्षमता आ चुकी है कि वह एक हफ्ते में ही एक बम बनाने के लिए हथियार ग्रेड यूरेनियम संवर्धित कर सकता है।
ईरान के परमाणु हथियारों से क्या खतरा?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ईरान परमाणु हथियारों को हासिल करने में कामयाब होता है तो इससे मध्य पूर्व में नई समस्याओं का जन्म होगा। काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में जोनाथन मास्टर्स, विल मेरो और मारियल फेरागामो ने लिखा कि ईरान के पास परमाणु हथियार होने से सबसे उसके दुश्मन इजरायल के सामने अपने अस्तित्व का खतरा पैदा होगा। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ईरान ने भविष्य में इजरायल पर परमाणु हमला किया तो उसकी बर्बादी बिल्कुल तय है। ईरान के परमाणु हासिल करने के बाद मध्य-पूर्व में एक नई होड़ शुरू हो सकती है। सबको पता है कि ईरान और सऊदी अरब के बीच नहीं बनती है। अगर ईरान के पास परमाणु बम होंगे तो सऊदी अरब भी परमाणु हथियारों की तरफ अपने कदम बढ़ा सकता है।
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तो अमेरिका नहीं देगा इजरायल का साथ
इजरायल के अलावा डोनाल्ड ट्रंप भी कह चुके हैं कि अगर ईरान के साथ नया समझौता नहीं हुआ तो बमबारी की जाएगी। ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज भी कह चुके हैं कि राष्ट्रपति ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह से नष्ट करना चाहते हैं। उधर, ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांति उद्देश्यों के लिए हैं। मगर कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान के परमाणु सुविधाओं पर हमला करने के मामले में इजरायल को अमेरिका का साथ मिलना जरूरी नहीं है। अमेरिका अपने आपको इससे अलग कर सकता है।
क्या इजरायल कर पाएगा हमला?
ईरान से पहले इराक और सीरिया ने परमाणु हथियारों को बनाने की कोशिश की, लेकिन इजरायल के सामने उनकी एक भी नहीं चली। इजराइल ने 1981 में इराक और 2007 में सीरिया में दो परमाणु रिएक्टर साइटों पर हमला करके इनको तबाह कर चुका है। इजरायल के पास ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हमला करने की पूरी क्षमता है। पिछले कई सालों से इजरायल की निगाहें ईरान की परमाणु साइटों पर टिकी हैं। 2004 में इजरायल ने तेहरान के पास परचिन सैन्य परिसर में एक इमारत को नष्ट किया था। यहां ईरान के वैज्ञानिक गुप्त तरीके से परमाणु हथियारों पर शोध करने में जुटे थे। 2020 में ईरान के नातान्ज में एक सेंट्रीफ्यूज उत्पादन केंद्र का निर्माण शुरू किया था। मगर इजरायल ने इस पर भी हमला कर दिया था।
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