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अमेरिका में आखिर ऐसा क्या है कि वहां जाकर बसना चाहते हैं भारतीय?

हर साल हजारों-लाखों की तादाद में भारतीय अमेरिका पहुंचते हैं। हजारों भारतीय ऐसे होते हैं जो अवैध तरीके से अमेरिका में एंट्री करते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर भारतीय अमेरिका जाते क्यों हैं?

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप आ गए हैं। ट्रंप ने आते ही चुनावी वादों पर काम करना भी शुरू कर दिया है। ट्रंप को 4 साल बाद चुनाव जीताने में जिस मुद्दे ने अहम भूमिका निभाई, वो था अवैध प्रवासियों का मुद्दा। ट्रंप ने वादा किया था कि अगर वो सत्ता में आए तो हरेक अवैध अप्रवासी को अमेरिका से बाहर निकाल देंगे।


ट्रंप ने अब सत्ता संभालते ही एक्शन भी शुरू कर दिया है। उन्होंने आते ही मेक्सिको से लगने वाली सीमा पर इमरजेंसी लगा दी। शपथ लेने के बाद ट्रंप ने कहा, 'अवैध तरीके से अमेरिका में घुसने वालों को तुरंत रोका जाएगा। हम लाखों अपराधियों को उनके देश वापस भेजना शुरू कर देंगे।' ट्रंप शुरू से ही अमेरिका में बढ़ते अपराध के लिए इन अवैध प्रवासियों को ही जिम्मेदार मानते हैं। उनका मानना है कि दूसरे देशों से लोग गैरकानूनी तरीके से अमेरिका आते हैं और यहां आकर हत्या और बलात्कार जैसे अपराध करते हैं।


इसके साथ ही ट्रंप ने एक और बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने जन्म से ही अमेरिकी नागरिकता देने वाले प्रावधान को खत्म करने वाले आदेश पर दस्तखत कर दिए हैं। अब तक ऐसा होता था कि अमेरिका में अगर कोई पैदा हुआ है तो उसे जन्म से ही अमेरिकी नागरिकता मिल जाती थी, भले ही उसके माता-पिता किसी भी देश के हों। मगर अब ऐसा नहीं होगा। ट्रंप के इस फैसले का भारतीयों पर बड़ा असर पड़ सकता है। अमेरिका में अनुमानित 54 लाख भारतीय रहते हैं। इनमें से दो तिहाई अप्रवासी हैं, जबकि 34 फीसदी अमेरिका में ही जन्मे हैं।

'अमेरिकन ड्रीम' के लिए जान जोखिम में डाल रहे भारतीय

हर साल लाखों भारतीय 'अमेरिकन ड्रीम' पूरा करने के लिए अपनी जान तक जोखिम में डाल देते हैं। अवैध तरीके से अमेरिका में एंट्री करने वाले भारतीयों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसे 'डंकी रूट' कहा जाता है। 


यूएस कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (USCBP) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में डंकी रूट अपनाकर एंट्री करने वाले भारतीयों की संख्या 5 साल में 2 लाख तक पहुंच चुकी है। आंकड़े बताते हैं कि अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024 के बीच 90,415 भारतीयों को बगैर दस्तावेज के अमेरिका में घुसते हुए पकड़ा गया था। इनमें से 43,764 भारतीयों को कनाडा बॉर्डर तो 25,616 को मेक्सिको बॉर्डर से अमेरिका में घुसते हुए पकड़ा गया था। इनमें से कुछ को हिरासत में लिया गया तो कुछ को वापस भेज दिया गया। इससे पहले अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच 96,917 को भारतीयों को अवैध तरीके से एंट्री करते हुए पकड़ा गया था।


आंकड़े बताते हैं कि कोविड के बाद जब लॉकडाउन हटा तो अवैध तरीके से एंट्री करने वाले भारतीयों की संख्या तेजी से बढ़ गई। 2020-21 में 30,662 भारतीयों को पकड़ा गया था। 2023-24 में 90,415 भारतीयों को पकड़ा गया।

 

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कैसे पहुंचते हैं अमेरिका?

अमेरिका में अवैध तरीके यानी डंकी रूट से घुसने के दो रास्ते हैं। पहला है- कनाडा और दूसरा है- मेक्सिको। कनाडा से अमेरिका की उत्तरी तो मेक्सिको से दक्षिणी सीमा लगती है। 


डंकी रूट के जरिए भारत से अमेरिका पहुंचने का सारा काम गैरकानूनी तरीके से होता है। इस तरीके से अमेरिका पहुंचने में दिन नहीं, बल्कि कई हफ्ते और महीने तक लग जाते हैं। ये सारा काम एजेंट या तस्कर करते हैं। इसके लिए लोगों से लाखों रुपये लिए जाते हैं। अमेरिका पहुंचाने के लिए पहले लोगों को मध्य पूर्व या किसी यूरोपीय देश ले जाया जाता है। वहां से अफ्रीका या फिर मेक्सिको या कनाडा लाया जाता है। आखिरी पड़ाव अमेरिका होता है।


इस तरीके से अमेरिका जाने में जान का खतरा भी होता है। जनवरी 2022 में चार लोगों का गुजराती परिवार अमेरिका-कनाडा बॉर्डर से 10 किलोमीटर की दूरी पर मृत मिला था। ये लोग बर्फीले तूफान की चपेट में आ गए थे।

लेकिन अमेरिका जाते क्यों हैं?

अमेरिका जाने का ख्वाब तो बहुत लोग देखते हैं लेकिन बहुत कम ऐसे होते हैं जो इसे पूरा कर पाते हैं। कुछ लोग वैध तरीके से अमेरिका जाते हैं तो कुछ अवैध तरीका अपनाते हैं। अपना घर और मुल्क छोड़कर अमेरिका इसलिए जाते हैं, ताकि वहां अच्छी जिंदगी जी सकें। अवैध तरीके से जाने वाले भारतीय पहले वैध तरीका अपनाते हैं और जब वहां बात नहीं बनती है तो डंकी रूट के जरिए अमेरिका जाने का खतरा उठाते हैं।


भारत में अब भी एक बहुत बड़ा तबका ऐसा है, जिन्हें नौकरियां नहीं मिल रहीं हैं। पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के नतीजों के मुताबिक, 2023-24 में ग्रेजुएशन या पीजी करने वालों में बेरोजगारी दर 12 फीसदी से भी ज्यादा थी।


पंजाब के रहने वाले राजीव कुमार ने CNN को बताया था कि उनका भाई मलकीत डंकी रूट के जरिए अमेरिका पहुंचने में कामयाब रहा था। उन्होंने कहा था कि यहां नौकरियां नहीं हैं इसलिए वो अमेरिका जाकर परिवार के लिए कुछ कमाना चाहता था।


दूसरी वजह ये है कि अमेरिका में नौकरी लगी तो भारत से ज्यादा कमाई होगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका में भारतीयों की सालभर की औसत सैलरी 60 से 65 हजार डॉलर होती है। भारतीय करंसी के हिसाब से ये 51 से 56 लाख के बीच बैठती है। जबकि, भारत में सालाना औसत कमाई 2 लाख रुपये से भी कम है। अगस्त 2024 में आई प्यू रिसर्च की रिपोर्ट बताती है कि अगर कोई भारतीय अमेरिका आकर अच्छे से सेटल हो गया है और यहां परिवार बसा लिया है तो वो अच्छा-खासा कमा लेता है। प्यू रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में एक भारतीय परिवार की सालाना औसत कमाई 1.45 लाख डॉलर यानी 1.25 करोड़ रुपये तक होती है। जबकि, अमेरिकी परिवार की औसत कमाई इससे आधी यानी 70 हजार डॉलर के आसपास होती है।

 

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क्या वाकई अमेरिका में सपने पूरे होते हैं?

आमतौर पर लोग मानते हैं कि अमेरिका जाकर वो अपने सपने पूरे कर सकते हैं। मगर क्या ऐसा वाकई होता है? पिछले साल प्यू रिसर्च ने एक सर्वे किया था। इसमें बताया था कि अमेरिका में एशियाई मूल के 23 लाख लोग ऐसे हैं, जो गरीबी में जी रहे हैं। इसमें सामने आया था कि हर 10 में से एक एशियाई अमेरिकी गरीब है। 


हालांकि, भारतीय-अमेरिकी बाकी एशियाई मूल के लोगों की तुलना में बेहतर जी रहे हैं। भारतीय-अमेरिकियों में गरीबी की दर सबसे कम 6 फीसदी है।


प्यू रिसर्च के सर्वे में सामने आया था कि एशियाई मूल के 38 फीसदी वयस्क ऐसे हैं जो खाने के लिए फूड बैंक या चैरिटेबल ट्रस्ट पर निर्भर हैं। वहीं, 47 फीसदी लोगों का मानना था कि अमेरिका आकर भी उनके सपने कभी पूरे नहीं हो सकते। 

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