सिंधु नदी पर बन रही नहरों का पाकिस्तान में विरोध क्यों हो रहा है?
सिंधु नदी पर पाकिस्तान सरकार सेना की सहायता से पांच नहरों का निर्माण कर रही है। इससे नाराज सिंध प्रांत के लाखों लोग सड़कों पर उतरकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।

सड़कों पर प्रदर्शनकारी। Photo Credit (@Ejazale9)
सिंधु नदी इन दिनों भारत-पाकिस्तान दोनों की देशों में चर्चा का विषय बनी हुई है। यह नदी जहां भारत को अपना 20 फीसदी पानी देकर उसकी जरूरतें पूरी करती है तो वहीं सिंधु पाकिस्तान के लिए जीवनदायिनी है। सिंधु नदी पाकिस्तान के लिए कितनी महत्वपूर्ण है इसको इसी बात से समझा जा सकता है कि इस नदी से पाकिस्तान की 80 फीसदी खेती की सिंचाई और 90 फीसदी खाद्य उत्पादन होता है। यह पाकिस्तान के लोगों और उसकी अर्थव्यवस्था के लिए बेहद जरूरी है।
भारत ने पहलगाम आंतकी हमले के बाद 'सिंधु जल संधि' को निलंबित कर दिया है। पाकिस्तान इस संधि के निलंबन को लेकर परेशान ही था कि उसके सामने एक और अंदरूनी दिक्कत मुंह खोले खड़ी हो गई है।
परियोजना में सेना शामिल
दरअसल, सिंधु नदी पर पाकिस्तान सरकार 3.3 बिलियन डॉलर की ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव (GPI) के अंतर्गत छह नहरों का निर्माण कर रही है। इस परियोजना की नहरें पंजाब, सिंध और बलूचिस्तान में 4.8 मिलियन एकड़ बंजर जमीन में सिंचाई करने के लिए बनाई जा रही हैं। पाकिस्तानी अखबार डॉन की खबर के मुताबिक इस परियोजना में सेना भी शामिल है।
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इसी साल की शुरुआत में 15 फरवरी को सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने सिंध में लोगों के विरोध के बावजूद दक्षिण पंजाब की जमीन की सिंचाई के लिए 'चोलिस्तान परियोजना' का उद्घाटन किया था। सिंध विधानसभा ने भी मार्च में इस परियोजना के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था। पिछले कुछ महीनों में नहरों की प्रस्तावित परियोजना के खिलाफ देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन देखा गया है।
असीम मुनीर शुरू की थी परियोजना
साल 2023 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव (GPI) के तहत छह नहरों वाली परियोजना शुरू की थी। बता दें कि पाकिस्तान की सेना सरकार के कामों में भी घुसी हुई है। सेना का दखल सिर्फ सैन्य अभियानों तक ही सीमित नहीं है बल्कि वह रियल एस्टेट, विनिर्माण, एयरलाइंस, खाद्य और उपभोक्ता वस्तुएं, लॉजिस्टिक्स, बैंकिंग और बीमा के क्षेत्र में भी शामिल है।
सिंधु पर पांच और सतलुज पर एक नहर
परियोजना के तहत सिंधु नदी पर पांच और सतलुज पर एक नई नहर बनाई जानी है। इन परियोजनाओं को सेना का समर्थन है। इसके खिलाफ पिछले 14 दिनों में सिंध के क्षेत्रिय राजनीतिक दल, वकील और आम लोग व्यापक विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
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सड़कों पर उतर आई जनता
नहरें बनाने के खिलाफ सिंध में जनता सड़कों पर उतर आई है। लोग सिंधु नदी को बचाने के लिए बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार की नहर बनाने की नीति को लेकर पूरे देश में आक्रोश पैदा हो गया है। प्रदर्शन को देखते हुए पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह से मुलाकात करके इसके समाधान की चर्चा कर चुके हैं।
Dharna at Sukkur against Canals on Indus which has taken the toll on the lives of millions in Sindh. Sit-In protest is 24/7. People are not leaving the venue for last 8 days until govt issues notification to CANCEL the project.#NoMoreCanalsOnIndus#SindhRejectsCorporateFarming pic.twitter.com/CbZc3KTVB0
— Ejaz Ali 🇨🇦.. Engineer by profession (@Ejazale9) April 26, 2025
सिंध प्रांत में सबसे विरोध
प्रदर्शन सिंध प्रांत में सबसे ज्यादा फैला हुआ है क्योंकि सिंध प्रांत खेती के लिए सिंधु नदी पर सबसे ज्यादा निर्भर है। नहर परियोजना में सिंधु का पानी दक्षिणी पंजाब के चोलिस्तान क्षेत्र (ग्रेटर थार का हिस्सा) में मोड़ने की आशंका है, जिसको लेकर लोग विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि सिंध प्रांत को सरकार की तरफ से जो नदी का पानी आवंटित किया गया है, उसको हिस्से से 20 फीसदी कम पानी मिलता है। नहरों के बन जाने से सिंधु का पानी इस क्षेत्र को और भी कम मिलेगा, जिसे सिंध प्रांत में पर्यावरणीय जोखिम बढ़ेगा।
सिंधु नदी का पानी कम मिलने से किसानों की खेती पर असर पड़ेगा। वहीं, कम पानी मिलने से यहां की मिट्टी बंजर भी हो सकती है।
नेशनल हाइवे को प्रदर्शनकारियों ने रोका
नहर परियोजना के खिलाफ सिंध में बड़े पैमाने पर धरना-प्रदर्शन चल रहा है, जिसकी वजह से वहां की प्रमुख सड़कें और नेशनल हाइवे को प्रदर्शनकारियों ने रोक दिया है। इन मार्गों के अवरुद्ध हो जाने से रास्तों में ही जहां-तहां हजारों ट्रक फंस गए हैं, जिससे पाकिस्तान में औद्योगिक संचालन ठप हो गया है। डॉन की एक रिपोर्ट के मुताहिक, लगभग एक लाख ट्रक चालक राज्यों में ही फंसे हुए हैं। फिलहाल इस गतिरोध का कोई अंत नहीं दिख रहा है।
सरकार ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के प्रयास विफल हो गए हैं। इस नाकेबंदी की वजह से कराची बंदरगाह से माल की आवाजाही भी बाधित हो रही है। बलूचिस्तान पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंध पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाने की भरसक कोशिश की। इसमें पुलिस ने प्रदर्शकारियों पर बल प्रयोग भी किया और कई लोगों को हिरासत में लिया है।
'परियोजना स्थगन तक जारी रहेगा विरोध'
देश के कई कंपनी मालिकों ने कहा है कि प्रदर्शन की वजह से उन तक कच्चा माल नहीं पहुंच पा रहा है, जिसकी कमी के कारण उन्हें उत्पादन रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा है। प्रदर्शनकारी सरकार की तरफ से नहर परियोजनाओं पर ठोस कदम का आश्वासन चाहते हैं। उन्होंने सरकार से कहा है कि इन नहरों की परियोजना को जबतक स्थगित नहीं किया जाता तबतक उनका विरोध जारी रहेगा।
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