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रैकून डॉग या चमगादड़, किसकी देन है कोविड महामारी? असमंजस में वैज्ञानिक

वैज्ञानिक अभी भी इस पहेली को हल करने में जुटे हुए हैं कि COVID-19 वायरस कहां से आया। आइए जानते हैं, इसपर वैज्ञानिकों का क्या मत हैं?

Image of Raccoon Dog for COVID 19

रैकून डॉग पर की जा रही है स्टडी।(Photo Credit: Canva)

पांच साल पहले, पूरी दुनिया में एक घातक वायरस तेजी से फैल रहा था, जिसने लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया। कोविड-19 वायरस कहां से आया, यह सवाल आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बनी हुई है। हालांकि, कई शोधों से यह संकेत मिलता है कि यह वायरस चीन के वुहान शहर के हुआनान सीफूड मार्केट में जंगली जानवरों से इंसानों तक पहुंचा। इस कड़ी में सबसे ज्यादा ध्यान जिस जानवर पर केंद्रित है, वह रैकून डॉग है।

रैकून डॉग और महामारी की शुरुआत

वैज्ञानिकों का मानना है कि रैकून डॉग इस वायरस को इंसानों तक पहुंचाने की कड़ी हो सकता है। वैज्ञानिकों का यह मानना नया नहीं है, बल्कि महामारी की शुरुआत में ही कुछ वैज्ञानिकों ने इसपर संदेह जताया था। 2014 में वुहान के हुआनान बाजार का दौरा कर चुके ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक एडवर्ड होम्स ने जनवरी 2020 में अपने सहयोगियों को ईमेल भेजकर यह अनुमान लगाया था कि यह वायरस रैकून डॉग से जुड़ा हो सकता है।

 

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हालांकि, वैज्ञानिक इस बात को पूरी तरह सिद्ध नहीं कर पाए हैं, क्योंकि अन्य जानवरों की तुलना में रैकून डॉग पर अधिक शोध किए गए हैं। इसलिए यह जरूरी नहीं कि सिर्फ यही इस वायरस के प्रसार का मुख्य स्रोत हो।

कोविड-19 का क्या हो सकता सोर्स

इस महामारी की उत्पत्ति को लेकर विभिन्न सिद्धांत सामने आए हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वायरस दक्षिणी चीन में रहने वाले चमगादड़ों से निकला होगा और संभावना है कि इसके माध्यम से इंसानों तक पहुंचा। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ अब भी इस संभावना को नहीं नकारते कि यह वायरस किसी प्रयोगशाला से बाहर आया हो सकता है।

 

हुआनान सीफूड मार्केट को इस महामारी के केंद्र के रूप में देखा जाता है, क्योंकि शुरुआती मामलों में संक्रमित लोगों का इस बाजार से सीधा संबंध पाया गया। 2017 से 2019 के बीच यहां विभिन्न जंगली जानवरों की बिक्री होती थी, जिनमें रैकून डॉग, अमूर हेजहॉग, मास्क्ड पाम सिवेट, और बैजर जैसे जीव शामिल थे।

रैकून डॉग पर ज्यादा ध्यान क्यों?

रैकून डॉग को कोविड-19 के संभावित स्रोत के रूप में इसलिए देखा जा रहा है क्योंकि यह पहले भी सार्स वायरस से जुड़ा रहा है। 2003 में जब सार्स फैला था, तब ग्वांगडोंग प्रांत के एक बाजार में रैकून डॉग और सिवेट में इस वायरस की मौजूदगी पाई गई थी।

 

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बाद में जर्मनी में वैज्ञानिकों ने शोध किया और पाया कि रैकून डॉग न सिर्फ सार्स-कोविड-2 वायरस से संक्रमित हो सकते हैं, बल्कि वे इसे अन्य जीवों तक फैला भी सकते हैं। इसके अलावा, चीन में पाले जाने वाले और जंगली रैकून डॉग में कई प्रकार के वायरस पाए गए हैं, जो एक प्रजाति से दूसरी में स्थानांतरित हो सकते हैं।

इसपर क्या हुए हैं शोध

2023 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, जब हुआनान बाजार को जनवरी 2020 में बंद कर दिया गया था, तब वहां से लिए गए सैंपलों में रैकून डॉग के माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए के साथ-साथ सार्स-कोविड-2 के अंश भी पाए गए थे। हालांकि, यह प्रमाणित नहीं हो सका कि वे वास्तव में संक्रमित थे या नहीं।

 

कुछ वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि बाजार में मौजूद अन्य जानवर जैसे कि बांस चूहे, मालायन पोर्क्यूपाइन और अमूर हेजहॉग भी इस वायरस के संभावित वाहक हो सकते हैं। लेकिन इन जानवरों पर कोविड-19 के प्रभाव को लेकर बहुत कम शोध हुए हैं।

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