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कैसे करें ‘हाथीपांव’ बीमारी की पहचान? यहां जानें सभी जरूरी बातें

हाथीपांव गंभीर बीमारियों में से एक है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति के शरीर का अंग अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाता है। आइए जानते हैं क्या है ये बीमारी और इससे बचने के उपाय।

Image of Elephantiasis mosquito

मच्छर से फैलती है हाथीपांव बीमारी।(Photo Credit: Freepik)

हाथीपांव , जिसे मेडिकल भाषा में लिंफैटिक फिलेरियासिस कहा जाता है, एक गंभीर लेकिन दुर्लभ बीमारी है जो मच्छरों के काटने से फैलती है। यह बीमारी ज्यादातर जंगल से जुड़े इलाकों में पाई जाती है, जहां साफ-सफाई और स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुंच होती है। इस बीमारी का सबसे आम लक्षण शरीर के कुछ हिस्सों में असामान्य रूप से सूजन आ जाना है, जिससे प्रभावित अंग का आकार बहुत बड़ा हो सकता है।

क्या होती है हाथीपांव बीमारी?

हाथीपांव राउंडवर्म के कारण होती है, जो मच्छरों के जरिए इंसानों तक पहुंचते हैं। जब कोई संक्रमित मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है, तो वह अपने लार्वा को खून में छोड़ देता है। ये लार्वा शरीर के लिंफेटिक सिस्टम में पहुंचकर सालों तक वहीं रहते हैं और धीरे-धीरे उसे नुकसान पहुंचाते हैं। जब यह संक्रमण गंभीर रूप धारण कर लेता है, तो व्यक्ति के पैर, हाथ आदि अंग असामान्य रूप से फूलने लगते हैं।

 

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लक्षण और प्रभाव

शुरुआती चरण में इस बीमारी के कोई खास लक्षण नहीं दिखते लेकिन समय के साथ संक्रमित अंगों में सूजन बढ़ती जाती है। यह सूजन त्वचा को कठोर, मोटी और झुर्रियों वाली बना देती है, जिससे वह हाथी की त्वचा जैसी दिखने लगती है। इसके अलावा, इस बीमारी के अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे-

 

प्रभावित अंगों में भारीपन और असहजता
तेज दर्द और जलन
बुखार और ठंड लगना
पूरे शरीर में कमजोरी और थकान जैसे लक्षण भी शामिल हैं।

कैसे की जाती है पहचान?

किसी को यदि हाथीपांव के लक्षण दिखते हैं, तो डॉक्टर सबसे पहले जांच करवाना चाहिए। इसके अलावा, यह जानने के लिए कि क्या शरीर में राउंडवर्म मौजूद है या नहीं, इसके ब्लड टेस्ट की जाती है। यह जांच आमतौर पर रात में की जाती है, क्योंकि इस समय ये सबसे ज्यादा सक्रिय होते हैं।

इलाज और बचाव के उपाय

हाथीपांव का कोई स्थायी इलाज नहीं है लेकिन कुछ दवाओं और देखभाल से इस बीमारी को सीमित किया जा सकता है। डॉक्टर आमतौर पर डाइएथाइलकार्बामेजिन (DEC) नामक दवा देते हैं, जिसे साल में एक बार लिया जाता है। यह दवा खून में मौजूद राउंडवर्म को मारने में मदद करती है। कई बार, इस दवा को इवरमेक्टिन के साथ भी दिया जाता है, हालांकि बिना डॉक्टर के सलाह लिए कोई भी दवाई न लें।

 

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घरेलू देखभाल के उपाय

प्रभावित अंगों को रोजाना साफ और सूखा रखें।
त्वचा को मॉइस्चराइज़र से नम बनाए रखें ताकि वह फटने न लगे।
घाव या चोट लगने पर तुरंत एंटीसेप्टिक क्रीम लगाएं।
शरीर में सूजन को कम करने के लिए व्यायाम करें और टहलें।
यदि पैर या हाथ सूज गए हों, तो लेटते समय उन्हें ऊंचाई पर रखें।

डॉक्टर की सलाह से प्रभावित अंगों पर पट्टी बांध सकते हैं, जिससे सूजन बढ़ने से रोका जा सके।
कुछ मामलों में, जब सूजन ज्यादा हो जाती है और दूसरे उपचार काम नहीं करते हैं, तो डॉक्टर सर्जरी करने की सलाह देते हैं।

 

Disclaimer: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों और सामान्य बातचीत पर आधारित है। खबरगांव इसकी पुष्टि नहीं करता है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने किसी डॉक्टर की सलाह लें।

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