कॉर्टिसोल हार्मोन को स्ट्रेस हार्मोन भी कहते हैं। इसके होने से शरीर में कई तरह के बदलाव भी होते हैं। महिलाओं के मामले में अक्सर लोग इसे पीरियड्स से जोड़कर देखते हैं लेकिन हाई कॉर्टिसोल हार्मोन शरीर में केवल एक ही कारण से नहीं होता। यह ज्यादा गुस्सा और तनाव के कारण भी हो सकता है। अक्सर महिलाओं में जब हार्मोनल इंबैलेंस होता है तो कॉर्टिसोल हार्मोन इसका कारण हो सकता है।
शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन की मात्रा बढ़ने से बुरा असर पड़ता है। इस हार्मोन के बढ़ने से स्ट्रेस और एंग्जायटी में बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा, हृदय रोग, डायबिटीज और अन्य लंबे समय तक चलने वाली बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। कॉर्टिसोल हार्मोन हमारे शरीर में कई कामों को ठीक से करने में मदद करता है। इसमें इम्यूनिटी सिस्टम, स्ट्रेस लेना, गुस्सा आना आदि शामिल है। इस हार्मोन के बढ़ने से शरीर में सूजन भी होती है।
कॉर्टिसोल हार्मोन के लक्षण
मोटापा बढ़ने की समस्या- शरीर में कॉर्टिसोल की मात्रा बढ़ने पर मोटापा भी बढ़ने लगता है। दरअसल, यह हार्मोन शरीर में फैट को स्टोर करने लगता है। इस स्थिति में एब्डॉमिन के आसपास जरूरत से ज्यादा फैट की मात्रा बढ़ जाती है और इंसान मोटा दिखने लगता है।
नींद पूरी न होना- अगर आप रोजाना रात में 2-3 बजे जाग जाते हैं या फिर रात में नींद नहीं आती है तो यह कॉर्टिसोल हार्मोन बढ़ने के कारण हो सकता है। इस स्थिति में आपको नींद कम आती है और सुबह उठते ही सिरदर्द महसूस कर सकते हैं।
दिन भर थकान महसूस होना- कई लोग रात में 7-8 घंटे सोने के बाद भी थका हुआ महसूस करते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति को बिना कुछ किए दिन भर थकान महसूस होती है। अगर आप भी हर वक्त थके हुए रहते हैं, तो ऐसा कॉर्टिसोल हार्मोन बढ़ने की वजह से हो सकता है।
पाचन से जुड़ी समस्याएं- अगर आप पाचन-तंत्र से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो यह कॉर्टिसोल हार्मोन बढ़ने का लक्षण हो सकता है। हालांकि, यह स्थिति कई अन्य समस्याओं में भी उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह लेना बेस्ट ऑप्शन होता है। इस स्थिति में आपको कब्ज, अपच और ब्लोटिंग जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
मूड स्विंग की समस्या- आमतौर पर मूड स्विंग्स की समस्या महिलाओं में पीरियड्स के दौरान होती है लेकिन शरीर में कॉर्टिसोल लेवल बढ़ने पर भी मूड स्विंग हो सकते हैं। ये हार्मोन शरीर में फील गुड हार्मोन यानी एंडोर्फिन और डोपामाइन को बढ़ने नहीं देता है। ऐसे में व्यक्ति को मूड स्विंग्स हो सकते हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
इस हार्मोन के बारे में एक्सपर्ट का कहना है कि कॉर्टिसोल हार्मोन हमारे मस्तिष्क में डर, मोटिवेशन और मूड को नियंत्रित करने का काम करता है। इसके अलावा यह हमारे शरीर की अलग-अलग कोशिकाओं में शामिल होता है जो शरीर पर गलत असर डाल सकता है। शरीर में कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ने से न सिर्फ मानसिक समस्याएं पैदा होती हैं बल्कि कई शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं। जिसमें ब्लड शुगर, मेटाबॉलिज्म का अनियंत्रित होना जैसी परेशानियां शामिल हैं। शरीर में कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ने से कई तरह की परेशानियां बढ़ सकती हैं। इसके कारण आपके शरीर का वजन अचानक से बढ़ने लगता है। साथ ही अन्य परेशानियां भी होने लगती हैं।
क्यों की जाती है कॉर्टिसोल लेवल की जांच?
कॉर्टिसोल हार्मोंन का स्तर जानने के लिए कोर्टिलोस की जांच की जाती है ताकि पता चल सके कि शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर कम है या ज्यादा। क्योंकि कुछ बीमारियां कॉर्टिसोल के स्तर के बढ़ने के कारण शरीर में असर डालती हैं। इन बीमारियों में एडिसन डिजीज, एंड्रेनल डिजीज और कुशिंग डिजीज शामिल हैं। कॉर्टिसोल का स्तर जांचने के बाद बीमारियों की पता लगाने की कोशिश की जाती है।
कैसे करें बैलेंस?
अगर आप कॉर्टिसोल हार्मोन को बैलेंस करना चाहते हैं तो खराब जीवनशैली और डाइट में सुधार कर सकते हैं। इस हार्मोन को बैलेंस करने के लिए आपको डाइट में विटामिन्स की मात्रा बढ़ानी चाहिए। इसके अलावा, कैफीन का सेवन कम करें और नियमित रूप से एक्सरसाइज पर ध्यान दें। आप रोजाना मेडिटेशन और योग भी कर सकते हैं। इस तरह शरीर में कॉर्टिसोल हार्मोन को बैलेंस किया जा सकता है। साथ ही और कई अन्य बीमारियों से भी बचा सकते हैं।