कैंसर नाम की जानलेवा बीमारी पिछले दो दिनों से खूब चर्चा में है। अब तक लगभग लाइलाज मानी जा रही इस बीमारी को लेकर रूस की ओर से दावा आया है कि उसने कैंसर की वैक्सीन खोज ली है। रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि अगले साल से ही कैंसर की यह वैक्सीन लोगों को लगाई जा सकेगी। रूस का कहना है कि यह वैक्सीन सिर्फ कैंसर मरीजों के लिए है, ट्यूमर को बनने से रोकने के लिए नहीं। इस खबर को बेहद उम्मीद से देखा जा रहा है क्योंकि हर साल दुनियाभर के लाखों लोग कैंसर की चपेट में आकर अपनी जान गंवाते हैं। कैंसर मरीजों के लिए सबसे बड़ी समस्या इसका इलाज है। खर्चीला इलाज होने की वजह से लाखों लोग अपना इलाज भी नहीं करवा पाते या करवाते भी हैं तो वे इलाज पूरा या सही समय पर न हो पाने की स्थिति में अपनी जान गंवा देते हैं।
आमतौर पर वैक्सीन किसी भी रोग के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने के लिए होती है। हालांकि, इस वैक्सीन को बनाने का दावा करने वाले लोगों का कहना है कि यह उन लोगों को दी जाएगी जो कैंसर से जूझ रहे होंगे। यानी इसे एक तरह के कैंसर की दवा भी समझा जा सकता है। एक अनुमान के मुताबिक, इस वैक्सीन के एक डोज की कीमत लगभग 3 लाख रूबल यानी लगभग 2.4 लाख रुपये होगी। वैक्सीन की घोषणा करते हुए रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय से संबंधित रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर के एंड्री कैप्रिन ने कहा, 'यह वैक्सीन कैंसर के मरीजों का इलाज करने के लिए है, रोकथाम के लिए नहीं।'
कितना बड़ा है संक्रमण का दायरा
हाल ही में भारत सरकार ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (ICMR-NCRP) के डेटा के आधार पर बताया है कि हर साल औसतन 14 लाख लोग कैंसर से संक्रमित हो रहे हैं। इसी डेटा के मुताबिक, साल 2021 में 1426447 लोग, 2022 में 1461427 लोग और 2023 में 1496972 लोग कैंसर से संक्रमित हुए।
ICMR के मुताबिक, कैंसर संक्रमण बढ़ने का कारण यह है कि अब इसकी पहचान करने की तकनीक और बेहतर हो गई है, लोगों की स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है और जनसंख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। ICMR ने यह भी बताया है कि तंबाकू और शराब के ज्यादा इस्तेमाल, कम शारीरिक गतिविधि, खराब डाइट, नमक, चीनी और सैचुरेटेड फैट के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से भी कैंसर के मामले बढ़े हैं।
कैंसर के मरीजों का इलाज और उनका परीक्षण करने के लिए भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ नॉन कम्युनिकेबल डिजीज (NP-NCD) कार्यक्रम चल रहा है। इसके तहत देश में जिला स्तर पर 770 NCD क्लीनिक, 372 जिला डे केयर सेंटर, 233 कार्डिएक केयर यूनिट और 6410 कम्युनिटी हेल्थ सेंटर एनसीडी क्लीनि खोले गए हैं।
कितने लोग जान गंवाते हैं?
ICMR के डेटा के मुताबिक, हर 8वें मिनट में भारत की एक महिला की मौत सर्वाइकल कैंसर की वजह से हो जाती है हर दिन लगभग 2500 भारतीय तंबाकू संबंधी बीमारियों की वजह से जान गंवाते हैं। WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल लगभग 9 लाख भारतीय कैंसर की वजह से अपनी जान गंवाते हैं। वैश्विक स्तर पर देखें तो 2022 में लगभग 2 करोड़ नए कैंसर मरीजों का पता चला और 97 लाख लोगों की कैंसर की वजह से जान गई। इसी साल पूरी दुनिया के 5.3 करोड़ लोग ऐसे थे जो कैंसर से संक्रमित थे और जूझ रहे थे।
कैसे होता है कैंसर?
इंसान का शरीर कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। इन्हीं कोशिकाओं में समस्या आने को कैंसर कहा जाता है। कई बार कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं या विभाजित हो जाती हैं। अगर सही समय पर इसका इलाज न हो तो इसे रोका भी नहीं जा सकता है क्योंकि कैंसर सेल बहुत तेजी से फैलती हैं और कई बार तो जब तक इनका पता चलता है तब तक इंसान की मौत पास आ चुकी होती है। कैंसर वैसे तो शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है लेकिन हड्डियों, फेफड़े, दिमाग, लीवर, लिम्फ नोड्स, मुंह या ब्रेस्ट में इसके होने के चांस सबसे ज्यादा होते हैं।
तंबाकू उत्पाद मुंह के कैंसर का कारण बनते हैं। शराब लिवर कैंसर को बढ़ावा देती है। इंसान के जीन भी कैंसर का कारण बनते हैं। खराब लाइफस्टाइल, रेडिएशन और खराब डाइट भी अब कैंसर का कारण बनने लगी है। अगर सही समय पर कैंसर का पता चल जाए तो शुरुआती स्तर पर ही इसे रोका जा सकता है। इसके लिए सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी और हार्मोन थेरेपी जैसे तरीके काम आते हैं। हालांकि, कैंसर का असर ज्यादा हो जाने की स्थिति में इसे रोकना लगभग नामुमकिन हो जाता है।