आज के समय में हर किसी के पास स्मार्ट फोन है। स्मार्ट फोन के आने के बाद लोग अपनों को भूल गए हैं। एक कमर में रहते हुए भी घर के सभी सदस्य अपने-अपने फोन में लगे हुए होते हैं। हम स्मार्ट फोन के जरिए दुनिया के किसी भी कोने में अपने परिजनों से बात कर सकते हैं, उन्हें वीडियो कॉल कर सकते हैं। अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए इमोजी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
स्मार्ट फोन ने हमारी जिंदगी को आसान कर दिया है लेकिन कहीं न कहीं अपनों से दूर भी हो गए। पहले के समय में स्मार्ट फोन नहीं थे तो लोग एक-दूसरे को चिट्ठियां लिखते थे। इन चिट्ठियों में वे अपनी जिंदगी से जुड़ी हर बात को लिखते थे। उन चीट्ठियों का इंतजार लोगों को बेसब्री से रहता था।
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क्या शुरू होनी चाहिए चिट्ठी लिखने की कवायद
चिट्ठियां अगर पहुंचने में किसी भी कारण से लेट हो जाती तो इंतजार करना मुश्किल हो जाता है। आज के इस भागदौड़ वाली जिंदगी में चिट्ठी लिखने का समय किसी के पास नहीं है। हाइटेक चीजों के बीच चिट्ठी लिखना लोगों को ओल्ड फैशन लग सकता है। हालांकि इंडिया पोस्ट विभाग ने वर्ल्ड पोस्ट डे के मौके पर इस कवायद को फिर से शुरू किया।
दिल्ली के राजीव चौक में भारतीय डाक विभाग का दफ्तर है। यहां पर पोस्ट विभाग के लोगों ने कार्यक्रम की शुरुआत की जिसमें लोग चाहें तो अपनी मर्जी से अपने परिजनों को पत्र लिख सकते थे। इस कार्यक्रम में लोगों ने कहा कि ये बहुत ही अच्छी चीज है। पत्र लिखना हमारे कल्चर का हिस्सा है। इन चीजों को कभी बंद नहीं होना चाहिए। हम अपनी भावनाओं को लिखकर सबसे अच्छे तरीके से व्यक्त करते हैं।
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चिट्ठी, पत्र और खत जैसे शब्दों का इस्तेमाल हिंदी सिनेमा के गीतों में भी खूब हुआ है। उदाहरण के तौर पर 'ये मेरे प्रेम पत्र पढ़कर', 'लिखे जो खत तुझे', 'डाकिया डाक लाया', 'चिट्ठी आई है', 'चिट्ठी न कोई संदेश' जैसे कई गाने हैं जिसे सुनकर दिल को सुकून मिलता है।