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मायोपिया की चपेट में आ रहे हैं भारतीय बच्चे, जानें कैसे करें बचाव

बच्चे अक्सर घंटों तक फोन और लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं। इस वजह से बच्चों में मायोपिया के केस बढ़ते जा रहे हैं।

myopia case

चश्मा पकड़े नजर आ रहा है बच्चा (क्रेडिट इमेज-फ्रीपिक)

दुनिया का हर तीसरा बच्चा आंखों की गंभीर बीमारी मायोपिया की चपेट में है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थैल्मोलॉजी में एक रिसर्च हुई है, इसमें बताया गया है कि 5 से 15 वर्ष की उम्र के लगभग एक तिहाई शहरी भारतीय बच्चे 2030 तक आंखों की बीमारी मायोपिया का शिकार हो सकते हैं। ये आंकड़ा अगले 25 साल बाद काफी ज्यादा बढ़ सकता है। अगर इसे समय पर कंट्रोल न किया गया तो इससे कई अन्य गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। एक सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा है।

 

सर्वे के मुताबिक, अभी दुनिया में करीब 35% बच्चे मायोपिया की चपेट में है। ये आंकड़ा 2050 तक 40% तक बढ़ सकता है। आइए जानते हैं बच्चों में होने वाला मायोपिया कितना खतरनाक है। इससे उन्हें कैसे बचा सकते हैं?

 

मायोपिया क्या है?


मायोपिया एक ऐसी बीमारी है, जो हमारी आंखों की देखने की पावर को कम कर देता है। मायोपिया को नियर आई साइटनेस भी कहते हैं जिसमें आपको पास की चीजें तो साफ दिखती हैं लेकिन दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं। ये बीमारी बच्चों में तेजी से बढ़ रही है है। बच्चे की उम्र बढ़ने पर उनकी हालत ओर खराब हो सकती है। ये परेशानी न केवल बच्चों पर प्रभाव डालते है, बल्कि उनकी पढ़ाई-लिखाई और उनकी जीवनशैली पर भी असर डालते है।

 

मायोपिया से अपने बच्चों को बचाने के लिए यह कुछ सुझाव-

 

  1. नियमित आंखों की जांच कराएं- बच्चों की आंखों की नियमित जांच करवाना आवश्यक है ताकि मायोपिया का जल्दी पता लगाया जा सके। नेत्र विशेषज्ञ के पास एक या दो साल में एक बार जरूर जाना चाहिए।  खासकर उन बच्चों के लिए जो अक्सर ज्यादा स्क्रीन का उपयोग करते हैं या पढ़ाई करते हैं।
  2. चश्मा लगाना- नजर को सही करने के लिए चश्मा लोगों की पहली सुविधा और पसंद है। मायोपिया वाले बच्चों को नजर का ध्यान रखने के लिए फिल्म देखते समय या कार चलाते समय चश्मा पहनना चाहिए। यदि आप ज्यादा मायोपिक हैं, तो आपको हर समय चश्मा लगाकर रखना चाहिए।
  3. नियमित व्यायाम- नियमित व्यायाम बच्चों की आंखों की सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है।
  4. कंप्यूटर और मोबाइल का अधिक उपयोग- लंबे समय तक कंप्यूटर, मोबाइल या अन्य डिजिटल उपकरणों का उपयोग करने से आंखों पर तनाव बढ़ता है, जिससे मायोपिया हो सकता है।
  5. पर्याप्त विटामिन डी- विटामिन डी की कमी मायोपिया के खतरे को बढ़ा सकती है। बच्चों को पर्याप्त विटामिन डी देने के लिए उन्हें धूप में खेलने दें और विटामिन डी युक्त आहार दें।

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है। किसी भी तरह की चिकित्सकीय जानकारी या इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। 

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