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तंदुरुस्त रहने के लिए इंसान खाते हैं कोदो, जानें फायदे

कोदो को इंगलिश में पसपालम स्क्रोबिकुलैटम कहते है। किसान इस फसल को इसलिए उगाते हैं क्योंकि यह भारत के आदिवासी समूहों और गरीब लोगों का मुख्य खाना है।

what is kodo and its side effects

कोदो बाजरा, Image Credit: common license

मोटा अनाज या गरीबों का चावल कहे जाना वाला कोदो आखिर 10 हाथियों की मौत का कारण कैसे बन सकता है? मध्य प्रदेश में 3 दिन के अंदर 10 हाथियों की मौत की वजह कोदो की फसल को बताया जा रहा है जिस पर स्थानीय किसानों को रत्ती भर भी भरोसा नहीं हो रहा। किसानों का कहना है कि वन विभाग जिस फसल को अब नष्ट करने पर तुले हुए है उसी चारे को मवेशी भी खाते है और वह पूरी तरह से सुरक्षित है। 

 

दरअसल, 13 हाथियों के झुंड ने उमरिया जिले के बांधवगढ़ नेशनल पार्क में कोदो की फसल खा ली थी। शुरुआती जांच में कोदो फसल को हाथियों की मौत का कारण बताया गया है। अब सवाल है कि गरीबों का चावल कहे जाने वाले कोदो फसल से किसी की सच में जान जा सकती है क्या? हाथियों की मौत के बाद से ऐसे सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मोटे अनाज की कैटेगरी में आने वाला कोदो क्या है, और क्या यह इसके जहरीले होने की संभावना है? और खासकर जब हरित क्रांति के बाद भारत में अनाज का उत्पादन काफी बढ़ गया है तो ऐसी स्थिति में किसान इस फसल को क्यों उगाते हैं? 

 

क्या है कोदो? 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिलेट्स या मोटे अनाज जिक्र करते हुए इस 'श्री अन्न' कहा। मिलेट्स कई तरह के होते हैं, जिनमें ज्वार, बाजरा, कंगनी, रागी आदि शामिल हैं। इन्हीं में से एक कोदो भी अपने अनेक गुणों की वजह से सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। कोदो को इंग्लिश में पसपालम स्क्रोबिकुलैटम कहते है। इसे भारत में कोदरा और वरगु के नाम से जाना जाता है। इसका पौधा 60-90 सेमी तक ऊंचा, सीधा और देखने में बिल्कुल धान के पौधे की तरह होता है। इसके बीज चमकीले, छोटे और सफेद होते हैं। 

 

कोदो कितना फायदेमंद? 

किसान इस फसल को इसलिए उगाते हैं क्योंकि यह भारत के आदिवासी समूहों और गरीब लोगों का मुख्य भोजन है। कोदो में विटामिन और खनिज की अच्छी मात्रा होती हैं। ऐसा भी दावा है कि यह ग्लूटेन फ्री होता है। यह आसानी से पच जाता है और एंटीऑक्सीडेंट्स का इसे अच्छा सोर्स माना जाता है। रिसर्चर्स मानते हैं कि इसमें कैंसर को रोकने वाले गुण भी होते हैं। 

कोदो क्या जहरीला हो सकता है?

4 मार्च, 1922 को कोदो के जहरीले होने के मामले सामने आए थे। इसको खाने से कई लोग बेहोश हो गए थे। मरीजों ने बताया था कि कोदो के आटे की रोटी खाने से उल्टी होने और ठंड लगने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा। तो सवाल है कि क्या कोदो जहरीला हो सकता है? दरअसल, डायवर्सिटी इन कोदो मिलेट्स  शीर्षक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि कोदो को अर्ध शुष्क इलाकों में उगाया जाता है और किसानों का मानना है कि बारिश के बाद कोदो जहरीला हो जाता है। रिसर्च पेपर के मुताबिक, कोदो के बीजों से जुड़े प्रमुख माइकोटॉक्सिन कोदो के जहरीले होने की वजह बनता है। 

 

जानवरों पर कितना पड़ता है असर? 
कोदो अगर जहरीला हो गया और उसे किसी जानवर ने खा लिया तो उसे उल्टी, चक्कर, बेहोशी आने की संभावना हो सकती है। इसको खाने से जानवरों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बीमारियां हो सकती हैं। 

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