logo

ट्रेंडिंग:

देश के 250 विरासत स्थलों पर वक्फ का कब्जा, ASI के सर्वे में खुलासा

देश के करीब 250 विरासत स्थल वक्फ प्रॉपर्टी के तौर पर रजिस्टर्ड हैं। इनके प्रबंधन और संरक्षण को लेकर एएसआई और वक्फ बोर्ड के बीच टकराव की स्थिति है।

Old mosque in Firoz Shah Kotla : Wikimedia Commons

फिरोज़ शाह कोटला में पुरानी मस्जिद। विकीमीडिया कॉमन्स

एक अंदरूनी सर्वे में पता चला है कि 250 से ज्यादा संरक्षित स्मारकों या विरासत स्थलों को वक्फ प्रॉपर्टी के रूप में रजिस्टर किया गया है।

 

माना जा रहा है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति के सामने एएसआई इस तथ्य को रखेगी ताकि इस पर फिर से वह अपना अधिकार पा सके।

 

सूत्रों का कहना है कि मौजूदा सूची में भारत के मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति पर 2006 की सच्चर समिति की रिपोर्ट में सूचीबद्ध कई विरासत स्थल भी शामिल हैं। इस सूची में वे संपत्तियां हैं जिसके बारे में कहा गया है कि 'भारत में ये वे वक्फ संपत्तियां हैं जो एएसआई के अनाधिकृत कब्जे' में हैं।

दिल्ली के कई स्थल शामिल

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, हालांकि ये सभी स्थल राष्ट्रीय महत्व के संरक्षित विरासत स्थल नहीं हैं, लेकिन इनमें दिल्ली के कुछ प्रमुख स्थल भी शामिल हैं, जैसे- फिरोजशाह कोटला में जामा मस्जिद, आरके पुरम में छोटी गुमटी मकबरा, हौज खास मस्जिद और ईदगाह। सूत्रों का कहना है कि ये विरासत स्थल देश के अधिकांश हिस्सों में फैले हुए हैं।

 

सूत्रों के मुताबिक सितंबर में जेपीसी की चौथी बैठक के दौरान एएसआई ने इस तरह के विरासत स्थलों की संख्या 120 बताई थी। इसके परिणामस्वरूप, इसने विभिन्न हलकों से रिपोर्ट मांगी और अब यह संख्या 250 तक पहुंच गई है।

ASI और वक्फ बोर्ड में टकराव

एजेंसी जेपीसी को बताएगी कि यह किस तरह प्रबंधन और संरक्षण को लेकर टकराव पैदा करती है और इनमें से कई विरासत स्थलों को वक्फ बोर्ड ने एकतरफा तरीके से अपनी संपत्ति के रूप में पंजीकृत कर लिया है।

 

सितंबर में संशोधन की जांच करने वाली जेपीसी की चौथी बैठक के दौरान, एएसआई ने संरक्षित विरासत स्थलों में वक्फ से संबंधित मुद्दों पर एक प्रेज़ेंटेशन दिया था, साथ ही इन विरासत स्थलों में संरक्षण और प्रबंधन के संबंध में एजेंसी द्वारा सामना की जा रही समस्याओं के बारे में भी बताया था।

 

एएसआई और वक्फ बोर्ड के बीच विवाद का एक और कारण यह है कि वक्फ अधिनियम 1995, बोर्ड को यह शक्ति देता है कि वह किसी भी संपत्ति को वक्फ प्रॉपर्टी घोषित कर सकता है।

 

इस अधिकार का उपयोग करते हुए, बोर्ड ने संरक्षित विरासत स्थलों को वक्फ संपत्ति घोषित करने के लिए अधिसूचनाएं जारी की हैं, जिसके परिणामस्वरूप प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम (एएमएएसआर) 1958 के तहत दिए गए अधिकारों के साथ टकराव हुआ है।

Related Topic:

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap