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अल फलाह से AMU तक, 2025 में विवादों में रहे ये विश्वविद्यालय

साल 2025 में यूनिवनर्सिटी और कॉलेजों से कई ऐसे विवाद शुरू हुए, जिन्होंने पूरे देश का ध्यान अपनी और आकर्षित किया। आइए इनके बारे में जानते हैं।

Protest

मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में छात्रों का प्रदर्शन, Photo Credit: Social Media

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साल 2025 के आखिरी कुछ दिन बचे हैं और नए साल के जश्न की तैयारियां दुनियाभर में शुरू हो चुकी हैं। सिनेमा, राजनीति से लेकर अंतरराष्ट्रीय संबंधों तक में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जो कई सालों तक जहन में रहने वाली हैं। देश की कई बड़ी यूनिवर्सिटी और कई कॉलेजों में कई बड़े विवाद हुए। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का बीफ विवाद हो या फिर ऑपरेशन सिंदूर पर अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर का बयान यह साल विवादों से भरा रहा। इसके अलावा कई संस्थानों में प्रशासन की अनदेखी या लापरवाही का विरोध कर रहे छात्र हिंसक भी हो गए। कुल मिलाकर यह साल उतार-चढ़ाव भरा रहा है।

 

यूनिवर्सिटी और कॉलेजों से शुरू हुए कुछ मामले सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट तक गए तो कुछ में छात्रों ने हंगामा भी किया। फीस बढ़ाने से लेकर हॉस्टल मेस में परोसे जा रहे खाने में हुई गड़बड़ी तक कई कारणों से विवाद हुए। इस साल के खत्म होने पर हम यूनिवर्सिटी या कॉलेज में हुए उन पांच बड़े विवादों की बात करेंगे, जिन्होंने देश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। 

 

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लंच में बीफ बिरयानी विवाद

इस साल फरवरी में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में एक बड़ा विवाद हुआ। यह विवाद खाने को लेकर हुआ था, जिसमें यूनिवर्सिटी ने लंच के मेन्यू में 'बीफ बिरयानी' परोसे जाने की बात लिखी थी। इसका नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस नोटिस में लिखा था, 'रविवार के लंच मेन्यू में बदलाव किया गया है। डिमांड के चलते चिकन बिरयानी की जगह बीफ बिरयानी परोसी जाएगी। बदलाव इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि कई लोगों ने इसकी मांग की थी।'

 

यह पोस्ट सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई थी और सियासी मुद्दा बन गया था। कई नेताओं ने इस फैसले को शर्मनाक बताया था। इस मामले में विवाद बढ़ा तो यूनिवर्सिटी ने सफाई भी दी और कहा कि यह तो बस एक टाइपिंग एरर था। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मेन्यू में बीफ बिरयानी नहीं जोड़ी है। इसके बाद यह विवाद शांत हुआ लेकिन इस विवाद के कारण देश की निगाहें एक बार फिर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर टिक गई थीं।

प्रोफेसर के बयान पर राष्ट्रीय बहस

इस साल 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत को झकझोर कर रख दिया था। इसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। भारतीय सेना के इस ऑपरेशन को लेकर हरियाणा में स्थित अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद ने एक आपत्तिजनक पोस्ट किया। इस पोस्ट पर विवाद इतना बढ़ गया कि पुलिस ने भी कार्रवाई की और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। प्रोफेसर अली महमूदाबाद ने ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग देने वालीं कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर बयान देते हुए एक लंबी सोशल मीडिया पोस्ट की थी।

 

इस पोस्ट में उन्होंने कहा था , 'कई दक्षिणपंथी कर्नल सोफिया कुरैशी की तारीफ कर रहे हैं। यह देखकर मैं खुश हूं लेकिन उन्हें मॉब लिंचिंग के पीड़ितों, मनमाने ढंग से बुलडोजर चलाने और बीजेपी के नफरत फैलाने के शिकार लोगों की आवाज भी उठानी चाहिए कि इन लोगों को भी भारतीय नागरिक के तौर पर सुरक्षा दी जाए। सरकार जो दिखाने की कोशिश कर रही है, उसकी तुलना में जमीन पर आम मुसलमानों की हकीकत बिल्कुल अलग है।'

 

 

यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया और कोर्ट में इस पर लंबी बहस हुई। अली महमूदाबाद का पक्ष रखने वाले वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि प्रोफेसर ने पोस्ट करके कोई अपराध नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि उन्होंने डॉग व्हिस्लिंग यानी किसी को भड़काने के मकसद से यह पोस्ट किया था। कोर्ट ने कहा था कि प्रोफेसर ने जानबूझकर दूसरों को अपमानित और असहज करने वाले शब्दों का इस्तेमाल किया।

 

इस विवाद में बोलने की आजादी को लेकर नागरिक के अधिकारों पर भी बहस हुई। कोर्ट ने भी कहा, 'हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है लेकिन राक्षस हर तरफ से वार कर रहा है। ऐसे मौके पर सस्ती लोकप्रियता के लिए इस तरह की पोस्ट करने का क्या मतलब है।' हालांकि, लंबी बहस के बाद कोर्ट ने अली खान महमूदाबाद को जमानत दे दी थी।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी

इस साल नवंबर में दिल्ली के लाल किले के पास हुए ब्लास्ट में कई लोगों की जान चली गई थी। इस ब्लास्ट के तार फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से भी जुड़े। दिल्ली क्राइम ब्रांच ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के खिलाफ एक्शन लिया। यूनिवर्सिटी के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में FIR दर्ज की गई। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) की आपत्ति के बाद यह एक्शन लिया गया था। 

 

अधिकारियों ने बताया था कि यूनिवर्सिटी के कामकाज की समीक्षा के दौरान बड़ी अनियमितताओं की जानकारी मिली। इसके बाद दिल्ली क्राइम ब्रांच ने धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में मामला दर्ज किया है। इसके बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चांसलर जावेद अहमद सिद्दीकी पर दिल्ली के मदनपुर खादर इलाके में झूठे कागजात बनाकर जमीन हड़पने का गंभीर आरोप भी लगे। इन आरोपों की अभी जांच जारी है। 

 

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खाने और पानी के लिए प्रोटेस्ट

हायर एजुकेशन के लिए ज्यादातर छात्र अपना शहर छोड़कर किसी दूसरे शहर में जाते हैं और वहीं हॉस्टल में रहते हैं। हॉस्टल में खाने और पानी की समस्या हर यूनिवर्सिटी कॉलेज में अक्सर चर्चा में रहती है। मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में स्थित वेल्लोर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (VIT) यूनिवर्सिटी में हजारों नवंबर के महीने में प्रोटेस्ट किया। छात्रों का आरोप है कि हॉस्टल में लंबे समय से गंदा पानी और खाने की खराब क्वालिटी के कारण कई छात्रों को पीलिया हो गया है। करीब 100 छात्र अस्पताल में भर्ती हैं।

 

 

दो दिनों तक चले इस हिंसक विवाद में यूनिवर्सिटी में छात्रों ने खूब हंगामा किया। प्रशासन ने 5 दिनों की छुट्टी घोषित करके कैंपस खाली करवाया। जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए। यूनिवर्सिटी पर अनदेखी के आरोप लगे साथ में तीन छात्राओं की मौत की खबर छिपाने के गंभीर आरोप भी यूनिवर्सिटी प्रशासन पर लगे लेकिन प्रशासन ने इस आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। इस मामले में जिला प्रशासन अभी जांच कर रहा है। 

 

यूपी में सरकार VS ABVP

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं ने एक प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने आरोप लगाया था कि श्रीराम स्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय बिना मान्यता के फर्जी कोर्स में एडमिशन करवा रहा है और छात्रों के साथ धोखा कर रहा है। इस प्रदर्शन में स्थिति बिगड़ने के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया और ABVP कार्यकर्ताओं को बुरी तरह पीटा गया। कुछ ही समय में प्रदर्शन के वीडियो सोशल मीडिया पर फैल गए। विवाद इतना बढ़ गया कि बाराबंकी से लखनऊ तक सियासत गर्मा गई।

विवाद यूनिवर्सिटी के फर्जी कोर्स से कहीं आगे बढ़कर ABVP के लिए नाक की लड़ाई बन गया था। विवाद बढ़ता देख बड़े नेताओं ने दखल दिया और ABVP कार्यकर्ताओं की यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ बैठक हुई। इस बैठक के बाद पूरे राज्य की यूनिवर्सिटी की मान्यता की जांच करने के आदेश दे दिए गए। इस बैठक के बाद ही यह मामला शांत हुआ। 

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