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अहमदाबाद: अधजले शवों की कैसे की जाएगी पहचान? AIIMS के डॉक्टर ने बताया

अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे में मारे गए लोगों के शवों को अब प्रशासन ने उनके परिवारों को सौंपना शुरू कर दिया है।

ahmedabad flight crash

घटनास्थल की फोटो। Photo Credit- PTI

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अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे में मारे गए लोगों के शवों को अब प्रशासन ने उनके परिवारों को सौंपना शुरू कर दिया है। दिल्ली एम्स के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉक्टर सुधीर गुप्ता ने कहा है कि मारे गए लोगों के अवशेष सौंपना शुरू कर रहे हैं, लेकिन सभी शवों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट की जरूरत नहीं होगी।

 

डॉक्टर सुधीर गुप्ता ने एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए कहा, 'ऐसे मामलों में, आमतौर पर यात्रियों की जानकारी और उनके सीट नंबर के साथ एक फोटोग्राफिक चार्ट तैयार किया जाता है। यह सब अच्छी तरह से डॉक्यूमेंटेड होता है, जबकि लोगों ने सीटें बदली होंगी और कई लोग सीट से उठ गए होंगे फिर भी केवल हड्डियों का इस्तेमाल करके व्यक्ति की पहचान करना संभव हो जाता है।'

कई केसों में काम कर चुके हैं डॉक्टर सुधीर

डॉक्टर सुधीर गुप्ता इससे पहले कई चरखी दादरी विमान हादसे में भी काम चुके हैं। 12 नवंबर 1996 को दो विमान—एक सऊदी अरब एयरलाइंस का और दूसरा कजाकिस्तान एयरलाइंस का दिल्ली के पास चरखी दादरी के टिकाण गांव के ऊपर हवा में आपस में टकरा गए थे। इस हादसे में दोनों विमानों में सवार सभी 349 लोग मारे गए थे। इसके अलावा ड़क्टर गुप्ता 1997 में उपहार सिनेमा अग्निकांड नरसंहार में भी काम कर चुके हैं।

हड्डियां और दांत क्या बता सकते हैं?

डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि जब शव जल जाते हैं, तब भी हड्डियां बची रह जाती हैं। कलाई, हाथ या प्यूबिक बोन के नॉर्मल एक्स-रे से उम्र, जेंडर और लंबाई का पता लगाने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा, 'ऐसी घटनाओं में लगभग 30% शव पूरी तरह से जल सकते हैं लेकिन दांत मजबूत होते हैं और हवाई दुर्घटना में बच जाने की संभावना होती है। किसी व्यक्ति की पहचान इस आधार पर की जा सकती है कि उसके शरीर में फिलिंग, कैपिंग या इम्प्लांट है या नहीं।'

कई मामलों में डीएनए से भी तेज

डॉक्टर सुधीर गुप्ता ने बताया कि शारीरिक विशेषताओं के आधार पर डीएनए टेस्ट की तुलना में पहचान जल्दी की जा सकती है। उन्होंने कहा, 'हम नहीं चाहते कि जो परिवार पहले से ही शोक में हैं, उन्हें जरूरत से ज्यादा इंतजार करना पड़े। डीएनए का इस्तेमाल केवल उन मामलों में किया जाता है, जहां संदेह होता है या इमारत में आग लगने जैसी स्थिति में जहां हमें नहीं पता होता कि वहां कौन मौजूद था।'

 

उन्होंने कहा कि अधिकारी अभी भी सभी मामलों में डीएनए मिलान का विकल्प चुन सकते हैं। ये खासकर तब किया जाएगा जब शव विकृत हो। उन्होंने कहा विमान दुर्घटनाओं, खास तौर पर हवा में विमान टक्करों के बाद अक्सर पूरा शव बरामद नहीं हो पाता। जो भी शव बरामद होता है उसे मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ अंतिम संस्कार के लिए परिवार को सौंप दिया जाता है।


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