देश में बढ़ रहे साइबर अपराधों के बीच आंध्र प्रदेश से दिलचस्प खबर सामने आई है। दरअसल, आंध्र प्रदेश में साइबर क्राइम केशों में सजा देने की दर पूरे देश में सबसे कम है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में साइबर क्राइम की जांच कोर्ट में धीमी गति से चल रही है, जबकि पुलिस के स्तर पर साइबर अपराधों को बेहतर ढंग से निपटाया जा रहा है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि राष्ट्रीय स्तर पर पुलिस और एजेंसियां, न्यायलयों से ज्यादा तेजी से काम कर रही हैं।
हालांकि, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के जारी 'क्राइम इन इंडिया' डेटा के मुताबिक, राज्य में पुलिस और कोर्ट के मामलों के निपटारे के बीच का अंतर बहुत बड़ा है।
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आंध्र पुलिस ने 5,228 केस निपटाए
इसमें बताया गया है कि 2023 में आंध्र प्रदेश पुलिस ने 5,228 साइबर क्राइम केस निपटाए। इसके बावजूद आंध्र में 34.3% आरोप-पत्र दर और 77.7% लंबित रेट दिखा। यह प्रदर्शन राष्ट्रीय आरोप-पत्र औसत 33.9% और लंबित रेट 62.4% के काफी करीब है लेकिन आंध्र प्रदेश में लंबित केस काफी ज्यादा है।
किस राज्य में कितने लंबित केस?
पुलिस निपटारे की कार्यक्षमता में आंध्र प्रदेश मध्यम प्रदर्शन वाले राज्यों में से एक है। इसमें मध्य प्रदेश में 93.7%, बिहार में 82.7% और छत्तीसगढ़ में 84.4% जैसे राज्यों में सबसे अधिक आरोप-पत्र दर दर्ज किए गए हैं। वहीं, कर्नाटक में 18.1% और असम में 18.3% आरोप-पत्र दर के साथ पीछे हैं। आंध्र प्रदेश का केस दर्ज करने और कोर्ट में इन केसों को ले जाने में एक जैसा रवैया दिखाता है कि राज्य में साइबर क्राइम की जांच तेजी से हो रही है।
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132 केस में ट्रायल
रिपोर्ट में बताया गया है कि एक बार जब साइबर केस कोर्ट में पहुंच जाते हैं, तो इसमें सुनवाई करने की रफ्तार धीमी हो जाती है। NCRB डेटा के मुताबिक, आंध्र प्रदेश की अदालतों ने 132 केस में ट्रायल पूरे किए और 159 केसों का निपटारा किया है। जबकि 1,768 केस पेंडिंग हैं, राज्य में यह 91.7% पेंडेंसी रेट दिखता है। इसमें सजा देने का रेट महज 1.5 फीसदी है, जो देश में सबसे कम है।
इसकी तुलना में, साइबर क्राइम केस के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सजा देने का रेट 27.6 फीसदी है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर लंबित रेट 92.6 फीसदी है। वहीं, कर्नाटक और राजस्थान साइबर अपराधियों के सजा देने के मामले में देश में सबसे आगे हैं।