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आर्टिकल 370 को हटवाना चाहते थे फारूक, पूर्व रॉ चीफ की किताब में दावा

पूर्व रॉ प्रमुख ए एस दुलत ने अपनी किताब में लिखा है कि आर्टिकिल 370 को हटाने के लिए दिल्ली के साथ मिलकर काम करना चाहते थे। अब्दुल्ला ने कहा कि कोई दोस्त इस तरह नहीं लिख सकता।

Farooq Abdullah । Photo Credit: PTI

फारूक अब्दुल्ला । Photo Credit: PTI

रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के पूर्व प्रमुख ए.एस. दुलत ने अपनी नई किताब ‘द चीफ़ मिनिस्टर एंड द स्पाई’ में जो खुलासे किए हैं, उसने नेशनल कांफ्रेंस को मुश्किल में डाल दिया है। इस किताब में उन्होंने दावा किया है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला अनुच्छेद 370 को हटाने के मुद्दे पर ‘दिल्ली के साथ काम करना चाहते’ थे।

 

दुलत का दावा है कि जम्मू कश्मीर के स्पेशल स्टेटस को लेकर फारूक अब्दुल्ला ने उनसे कहा था, ‘हम मदद करते, हमें विश्वास में क्यों नहीं लिया गया?’ बुधवार को फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि किताब में कई गलतियां हैं और इससे उन्हें दुख हुआ है। उन्होंने कहा, ‘कोई दोस्त इस तरह नहीं लिखता।’ दुलत ने अपनी किताब में लिखा, ‘जैसे बीजेपी ने कभी कश्मीर और अनुच्छेद 370 को लेकर अपनी मंशा नहीं छुपाई, वैसे ही फारूक भी दिल्ली के साथ काम करने को लेकर हमेशा खुले रहे।’

 

दुलत अपनी किताब में लिखते हैं कि जब 2020 के दौरान उनसे मुलाकात हुई तो उन्होंने कहा,‘हो सकता है, नेशनल कांफ्रेंस यह प्रस्ताव जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में भी पास करा सकती थी। हम मदद करते।’

 

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सज्जाद लोन बोले-हैरानी नहीं

इन खुलासों पर प्रतिक्रिया देते हुए पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने कहा कि उन्हें कोई हैरानी नहीं हुई।

 

लोन ने X (ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, ‘दुलत साहब ने अपनी आने वाली किताब में बताया है कि फारूक साहब निजी तौर पर अनुच्छेद 370 हटाने का समर्थन करते थे। दुलत साहब जैसे नज़दीकी व्यक्ति से यह बात सामने आना इसे बहुत विश्वसनीय बनाता है। वे फारूक साहब के सबसे करीबी दोस्त और सहयोगी रहे हैं।’

 

लोन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फारूक अब्दुल्ला तथा उनके बेटे उमर अब्दुल्ला के बीच अनुच्छेद 370 हटाने से पहले हुई मुलाकात ‘मुझसे छिपी नहीं है।’

लोन ने कहा, ‘मैं देख सकता हूं फारूक साहब को कहते हुए — ‘हमें रोने दीजिए, आप अपना काम कीजिए, हम आपके साथ हैं’, अब लगता है कि 2024, 2019 में दी गई सेवाओं का इनाम था।’

 

 

'आखिरी नकाब भी हटा'

पीडीपी के विधायक और यूथ प्रेसिडेंट वहीद पारा ने कहा कि दुलत के खुलासे ‘आख़िरी बचा हुआ नकाब भी हटा देते हैं।’

 

वहीद ने कहा, ‘तेज भाषण, बनावटी गुस्सा, ‘बीजेपी के खिलाफ लड़ाई’ की सोच-समझकर बनाई गई छवि – यह सब सिर्फ़ एक नाटक था। यह एक ऐसा अभिनय था जो जम्मू-कश्मीर की जनता को यह विश्वास दिलाने के लिए किया गया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस उनके अधिकारों की रखवाली कर रही है। जबकि असलियत में, वे चुपचाप हमारे अधिकारों को छीनने में मदद कर रहे थे, उनकी (नेशनल कॉन्फ्रेंस की) विरासत विरोध की नहीं, बल्कि सुविधाजनक चुप्पी की है, जिसे कूटनीति का रूप दे दिया गया।’

 

पीडीपी की इल्तिजा मुफ़्ती ने कहा कि यह बात पहले ही संदेह के घेरे में थी कि अनुच्छेद 370 हटाने से पहले अब्दुल्ला परिवार और प्रधानमंत्री मोदी के बीच क्या बातचीत हुई थी।

उन्होंने कहा, ‘दुलत साहब, जो अब्दुल्ला साहब के कट्टर समर्थक रहे हैं, उन्होंने बताया कि फारूक साहब ने दिल्ली की इस अवैध कार्रवाई – अनुच्छेद 370 हटाने – से सहमति जताई थी, इससे स्पष्ट होता है कि फारूक साहब ने संसद में जाने की बजाय कश्मीर में रहकर जम्मू-कश्मीर के संविधान को समाप्त करने की प्रक्रिया को सामान्य बनाने में मदद की और इसके बाद दिए जाने वाले धोखे में भी बड़ी भूमिका निभाई।’

 

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'कोई दोस्त ऐसा नहीं लिखता'

इन प्रतिक्रियाओं के बीच, श्रीनगर में फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह मुझे दोस्त कहता है, कोई दोस्त ऐसा नहीं लिखता…’ अब्दुल्ला ने कहा कि दुलत ने लिखा है कि मैंने (अब्दुल्ला ने) 1996 के चुनाव जीतने के बाद उनसे पूछा था कि किसे मंत्री बनाना है… वह कहते हैं कि मैंने (दुलत ने) उन्हें छोटी कैबिनेट बनाने को कहा। मेरी कैबिनेट में 25 मंत्री थे; मैं उनसे क्यों पूछता? उन्होंने लिखा है कि हम (नेशनल कॉन्फ्रेंस) बीजेपी से हाथ मिलाने को तैयार थे। यह बिल्कुल गलत है।’

 

आगे वह कहते हैं, ‘अगर हमें (अनुच्छेद) 370 हटाना होता तो, तो फारूक अब्दुल्ला दो-तिहाई बहुमत से विधानसभा में स्वायत्तता का प्रस्ताव क्यों पास कराते?’ उन्होंने कहा, ‘अब्दुल्ला ने कहा कि दुलत ने 1996 का चुनाव लड़ने के लिए उन्हें मनाने का श्रेय खुद को दिया है। ‘यह पूरी तरह गलत है, बल्कि तत्कालीन अमेरिकी राजदूत फ्रैंक विज़नर ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया था।’

 

'किताब को विवादित बनाना चाहते हैं दुलत'

नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता तनवीर सादिक ने कहा, ‘वह (दुलत) चाहते हैं कि उनकी प्रासंगिकता बनी रहे, वह इस किताब को विवादास्पद बनाना चाहते हैं, किताब खुद ही से विरोधाभास रखती है। इसमें लिखा है कि सात महीने तक केंद्र सरकार फारूक साहब की राय जानने की कोशिश कर रही थी अगर ये सच होता, तो फारूक साहब सात महीने बाद पीएजीडी (गुपकार डिक्लेरेशन गठबंधन) शुरू करते?’

 

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