अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट ने दी अंतरिम जमानत, SIT करेगी जांच
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर गिरफ्तार हुए अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया है।

अली खान महमूदाबाद। (Photo Credit: Khabargaon)
अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत देते हुए रिहा करने के आदेश दिए हैं। अली खान महमूदाबाद को ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
महमूदाबाद को हरियाणा के सोनीपत की एक अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया था। हालांकि, अब उन्हें रिहा कर दिया जाएगा। उन्हें हरियाणा की मजिस्ट्रेट कोर्ट में बॉन्ड जमा करने की शर्त पर सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई कुछ शर्तें
महमूदाबाद को अंतरिम जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने कुछ शर्तें भी लगाईं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त आदेश दिया है कि रिहा होने के बाद महमूदाबाद अपनी पोस्ट को लेकर ऑनलाइन न तो कुछ पोस्ट करेंगे और न ही कुछ बोलेंगे।
Supreme Court orders release of Ali Khan Mahmudabad, associate professor and head of the Political Science department at Ashoka University in Haryana, against his arrest over a social media post on Operation Sindoor. SC grants interim bail to Mahmudabad subject to furnishing of… pic.twitter.com/Ua9Kc6YyqU
— ANI (@ANI) May 21, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सख्त हिदायत दी है कि महमूदाबाद न तो आतंकी हमलों पर कोई टिप्पणी करेंगे और न ही ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कुछ बोलेंगे। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उनसे पासपोर्ट जमा करने को भी कहा है।
यह भी पढ़ें-- आतंक के सबूत, भारत का ऐक्शन; PAK को बेनकाब करने वाले डोजियर में क्या?
एसआईटी करेगी जांच
सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन करने का आदेश भी दिया है। कोर्ट ने कहा है कि मामले की जांच के तीन IPS अफसरों की एक SIT बनाई जाए। इस SIT में एक महिला अफसर भी होंगी, जो राज्य से बाहर की होंगी। आदेश के मुताबिक, इस SIT की अध्यक्षता IG रैंक के ऑफिसर करेंगे। बाकी दो अफसर SP रैंक के होंगे।
Supreme Court directs that SIT to be constituted within 24 hours, the associate professor shall join the investigation and fully co-operate the investigation.
— ANI (@ANI) May 21, 2025
अदालत ने आदेश दिया है कि इस SIT का गठन 24 घंटे के भीतर किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने महमूदाबाद को भी जांच में सहयोग करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद महमूदाबाद की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अपील की कि इस मामले पर आगे और कोई FIR दर्ज न की जाए। जस्टिस कांत ने इस पर मौखिक तौर पर कहा, 'ऐसा कुछ नहीं होगा।'
सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने महमूदाबाद की फेसबुक और इंस्टाग्राम पर की गई पोस्ट दिखाते हुए कहा, 'यह बेहद देशभक्ति से भरे बयान' हैं। हालांकि, इस पर कोर्ट ने कहा कि 'शुरुआत में युद्ध के बारे में टिप्पणी करने के बाद वे राजनीति की तरफ मुड़ गए।'
जस्टिस कांत ने कहा, 'हर किसी को अपनी बात कहने का अधिकार है लेकिन क्या कब इतनी सांप्रदायिकता की बात करने का समय आ गया है? देश ने एक बड़ी चुनौती का सामना किया है। राक्षस हर तरफ से आए और हमारे मासूमों पर हमला किया। हम एकजुट रहे लेकिन ऐसे मौके पर इतनी सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का क्या मतलब है?'
यह भी पढ़ें-- ड्रोन अटैक में कैसे बच गया अमृतसर का स्वर्ण मंदिर? सेना ने दिखाया डेमो
महमूदाबाद की टिप्पणी पर कोर्ट ने क्या कहा?
कपिल सिब्बल ने कोर्ट से पूछा कि महमूदाबाद ने ऐसी पोस्ट करके क्या अपराध कर दिया? इस पर जस्टिस कांत ने कहा, 'हर कोई अधिकारों की बात करता है। मानो देश पिछले 75 साल से अधिकार बांट रहा हो।' जस्टिस कांत ने कहा कि उनकी टिप्पणी 'डॉग-व्हिसलिंग' की तरह थी, उन्हें 'तटस्थ और समानजनक भाषा' का इस्तेमाल करना चाहिए था।
डॉग व्हिसलिंग असल में एक मुहावरा है, जिसका मतलब है कि कोई बात दिखने में तो सामान्य लगती है लेकिन उसका मकसद किसी को भड़काना होता है।
जस्टिस सूर्यकांत ने आगे कहा, 'जब शब्दों का चयन जानबूझकर दूसरों को अपमानित करने या असहज करने के लिए किया जाता है तो प्रोफेसर के पास शब्दों की कमी नहीं हो सकती। वह दूसरों को चोट पहुंचाए बिना सरल भाषा में उन्हीं भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं। दूसरों की भावनाओं का थोड़ा सम्मान करें। सरल और तटस्थ भाषा का इस्तेमाल करें।'
ऐसा क्या लिखा था महमूदाबाद ने?
पहलगाम अटैक बाद भारतीय सेना के 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर महमूदाबाद ने आपत्तिजनक पोस्ट की थी। ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग देने वालीं कर्नल सोफिया चौधरी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को लेकर उन्होंने लिखा था।
8 मई को उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा था, 'कई सारे दक्षिणपंथी टिप्पणीकार कर्नल सोफिया कुरैशी की तारीफ कर रहे हैं। यह देखकर मैं खुश हूं लेकिन उन्हें मॉब लिंचिंग के पीड़ितों, मनमाने ढंग से बुलडोजर चलाने और बीजेपी के नफरत फैलाने के शिकार लोगों की आवाज भी उठानी चाहिए कि इन लोगों को भी भारतीय नागरिक के तौर पर सुरक्षा दी जाए।'
प्रोफेसर महमूदाबाद ने लिखा था, 'दो महिला सैनिकों के जरिए जानकारी देने का नजरिया अहम है लेकिन इस नजरिए को हकीकत में भी बदलना चाहिए, नहीं तो यह केवल पाखंड होगा।'
उन्होंने अपनी पोस्ट में भारत की विविधता की तारीफ करते हुए लिखा था, 'सरकार जो दिखाने की कोशिश कर रही है, उसकी तुलना में जमीन पर आम मुसलमानों की हकीकत बिल्कुल अलग है। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से पता चलता है कि भारत अपनी विविधता में एकजुट है और एक विचार के रूप में पूरी तरह से मरा नहीं है।'
उनकी इस पोस्ट को सेना और महिला सैनिकों के अपमान से जोड़कर देखा गया। उनके खिलाफ हरियाणा पुलिस ने केस दर्ज किया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में हरियाणा के महिला आयोग ने भी उनसे जवाब मांगा था।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap