सुप्रीम कोर्ट ने कई राज्य सरकारों के बुलडोजर एक्शन पर कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि आरोपी हो या दोषी हो, किसी के भी घर को तोड़ना सही नहीं है। कार्यपालिका जज का काम नहीं संभाल सकती है। कोर्ट और सरकारी एक्शन के बीच जिन लोगों के घर जमींदोज हो गए हैं उन्हें उचित मुआवजे का इंतजार है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सुप्रीम कोर्ट का आदेश पीड़ित लोगों को उनके घर दिला सकेगा?
राज्य सरकारों की कार्रवाई में जिन लोगों ने बुलडोजर एक्शन में अपने घर खो दिए हैं, उनके लिए लड़ाई अभी आधी ही जीती गई है। उत्तर प्रदेश से लेकर राजस्थान और मध्य प्रदेश तक इस तरह से संपत्ति खोने वाले लोग अभी भी उचित मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं। ताकि वह फिर से अपने सपनों का आशियाना बना सकें।
पीड़ित को मुआवजा मिलना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई करते हुए कहा था कि अगर घर गलत तरीके से तोड़े गए हैं तो पीड़ित को मुआवजा मिलना चाहिए। जो भी इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी हों, उन पर एक्शन होना चाहिए। दरअसल, सभी पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया है।
प्रयागराज के जावेद मोहम्मद का दर्द
प्रयागराज के जावेद मोहम्मद का घर यूपी सरकार ने बुलडोजर एक्शन में ढहा दिया था। अब उनका पूरा घर अपना घर फिर से बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है। साल 2022 को जावेद को प्रयागराज में तत्कालीन बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर पर की गई टिप्पणी के विरोध में भड़की हिंसा की कथित 'मास्टरमाइंडिंग' के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
दो दिन के बाद प्रयागराज के करेली इलाके में उनके इलाके में प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया। जावेद का कहना है कि जिस घर को उन्होंने दशकों में बनाया था, उसे ढहाया दिया गया। उन्होंने कहा कि आप कल्पना कर सकते हैं कि मुझे क्या झेलना पड़ा होगा। घर बनाने में मुझे दशकों लग गए, लेकिन इसे ढहाने में मुझे कुछ मिनट लगे।
रिश्तेदारों ने भी मुंह मोड़ा
एक अंग्रेजी बेबसाइट से बात करते हुए जावेद ने बताया कि जब वे जेल में थे तो उनके परिवार को दूसरा घर खोजने में संघर्ष करना पड़ा, यहां तक कि रिश्तेदारों ने भी उन्हें अपने घर में रखने से मना कर दिया
अपना घर ज़मीदोज़ होने के बाद जावेद ने मुआवजे के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मामला अभी भी लंबित है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला बुलडोजर कार्रवाई के लिए जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
उदयपुर के राशिद को मुआवजे की आस
कुछ इसी तरह की कहानी राजस्थान के उदयपुर में 61 साल के राशिद खान की भी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वह भी मुआवजे की आस लगाए हैं। उदयपुर में एक स्कूली छात्र ने अपने सहपाठी की चाकू घोंपकर हत्या कर दी, जिससे शहर में सांप्रदायिक तनाव फैल गया था।
इसके बाद जिला प्रशासन स्कूली बच्चे के घर को बुलडोजर से जमीदोज़ कर दिया। हालांकि, वह घर राशिद खान का था। राशिद खान ने अपना घर लड़के के परिवार को किराए पर दिया गया था।