भारतीय नागरिक बड़ी संख्या में कबूतरबाजी का शिकार होकर कनाडा जाते हैं फिर वहां से उन्हें अमेरिका भेजा जाता है। ह्युमन ट्रैफिकिंग के इस रैकेट में कई रैकेट शामिल हैं, जिनके एजेंट फर्जी दस्तावेजों के जरिए हिंदु्स्तानियों को जाल में फंसाते हैं। इस काम में कनाडा के कई कॉलेजों का भी नाम सामने आया है। ईडी ने यह दावा किया है।
तीन साल पहले 19 जनवरी 2022 को एक गुजराती परिवार के साथ एक हादसा हुआ था, जिसकी जब जांच हुई तो हैरान कर देने वाली वजह सामने आई। जगदीश और उनकी वैशाली पटेल अपने 11 साल की बेटी और 3 साल के बेटे के साथ अमेरिका-कनाडा सीमा पर ठंड की वजह से मर गए थे।
कैसे गई थी जगदीश पटेल की जान?
मैनिटोबा के रास्ते जगदीश पटेल का परिवार अमेरिका जाने की कोशिश में खत्म हो गया था। सर्दी इतनी भीषण पड़ी, पारा -37 डिग्री सेल्सियस तक चला गया। शुरुआत में कुछ दूर चलने की उन्होंने कोशिश की लेकिन बाद में ठंड की वजह से एक-एक करके दम तोड़ते चले गए। मानव तस्वकरों ने उन्हें बर्फीले तूफान में अकेला छोड़ दिया था और खुद फरार हो गए थे। अब ईडी ने एक हैरान कर देने वाला खुलासा किया है।
कॉलेज बन रहे मानव तस्करी के टूल
ईडी की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि मानव व्यापार में शामिल साजिशकर्ताओं के संबंध कनाडा के 260 से कॉलेजों से थे, जिनके जरिए भारतीय नागरिकों को स्टूडेंट वीजा जारी किया जाता था। स्टूडेंट वीजा पर वे कनाडा आते, यहीं से वे कनाडा की सीमा के रास्ते अमेरिका जाते।
स्टूडेंट वीजा फिर डंकी रूट से अमेरिका
ईडी अब इस जांच में जुटी है कि इन कॉलेजों के जरिए कितने पैसे भारत भेजे जाते हैं। मनी लॉन्ड्रिंग के इस केस का कारोबार कितना है। स्टूडेंट वीजा पर कनाडा बुलाए गए हिंदुस्तानियों को डंकी रूट के रास्ते अमेरिका भेजे जाते हैं। उन्हें एजेंट्स को 50 से 60 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं. कितने कॉलेज अवैध प्रवासियों से पैसे कमाते हैं, इसी भी जांच की जाएगी।
कनाडा बना है अमेरिकी घुसपैठ का केंद्र
ईडी ने अपनी जांच में कहा है, 'जांच में खुलासा हुआ है कि जिन भारतीयों को अमेरिका भेजा जाता है,उन्हें पहले कनाडा के स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालयों में जगह दी जाती है। जैसे ही वह कनाडा पहुंचते हैं, उन्हें डंकी रूट के जरिए अमेरिका भेज दिया जाता है।'
कैसे खुला राज?
10 दिसंबर और 19 दिसंबर को ED ने मुंबई, नागपुर, गांधीनगर और वडोदरा में कई जगहों पर ट्रैवेल एजेंटों के ठिकाने पर रेड की जो अवैध तरीके के भारतीय नागरिकों को कनाडा भेजते हैं।
हजारों लोगों को विदेश भेजता है सिर्फ एक रैकेट
ईडी ने बुधवार को कहा है कि कनाडा में सिर्फ दो एजेंटों के जरिए हर साल 35 हजार से ज्यादा भारतीय नागरिकों को अवैध तरीके से विदेश भेजा जाता है। जांच में यह सामने आया है गुजरात में 1700 एजेंट हैं वहीं पूरे देश में 3500 से ज्यादा ऐसे एजेंट हैं जो ऐसे कामों में लगे हैं। ईडी का कहना है कि 800 से ज्यादा लोग अब भी शामिल हैं।
ईडी ने एक्शन क्या किया?
ईडी ने आरोपियों के बैंक अकाउंट को सीज किया है। 19 लाख रुपये बैंक अकाउंट में भेजे गए हैं। उनके पास से डिजिटल दस्तावेज और कंप्युटर बरामद हुए हैं। जिन नागरिकों को अवैध तरीके से भेजा जा रहा था, उनके दस्तावेज असली दस्तावेजों की तरह तैयार किए जा रहे थे। अहमदाबाद पुलिस ने आरोपी भवेश पटेल के खिलाफ साल 2022 में अवैध तरीके से जगदीश पटेल और उनके परिवार को कनाडा भेजने के आरोप में साल 2022 में केस दर्ज किया था।
डंकी रूट क्या है?
ग्वाटेमाला और कानाड के रास्ते एजेंट, हिंदुस्तानियों को अमेरिका में भेजा जाता है। एजेंट मेक्सिको के जरिए अमेरिका में दाखिल होने वाले रूट से भी अवैध तरीके से लोगों को दाखिल करा रहे हैं। डंकी रूट के जरिए अवैध प्रवासी पहले उन देशों में वीजा के जरिए दाखिल होते हैं, जहां पहुंचना आसान होता है। जैसे ही एक बार लोग उस देश में पहुंचते हैं, विकसित देशों में घुसने के लिए दूसरे रास्ते एजेंट बताते हैं। घुसपैठ उन्हीं देशों में ज्यादा होती है, जहां मानवाधिकारों के आधार पर घुसपैठियों के साथ भी ठीक बर्ताव होता है। फ्रांस और अमेरिका जैसी जगहों पर डंकी ट्रिक अपनाकर ज्यादा जाते हैं।