दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव (DUSU) के बीच अब चुनावी धांधली और पैसों के खेल के आरोप भी गहराने लगे हैं। खबरगांव से बातचीत में AISF और AIDSO के ज्वाइंट पैनल के उम्मीदवारों ने बड़ा खुलासा किया है। उनका कहना है कि बड़ी पार्टियों के प्रत्याशी न केवल पैसे और दबदबे का इस्तेमाल करके छोटे दलों के उम्मीदवारों को डराते-धमकाते हैं, बल्कि उनसे नामांकन वापस लेने तक का दबाव बनाते हैं। छात्र राजनीति में लोकतांत्रिक माहौल पर उठ रहे इन सवालों ने चुनाव की साख और पारदर्शिता दोनों पर गंभीर बहस खड़ी कर दी है।
AISF और AIDSO के ज्वाइंट पैनल के उम्मीदवार मोहित ने आरोप लगाए हैं कि विश्वविद्यालय प्रशासन इन बड़ी पार्टियों का साथ देता है। उनका कहना है कि लिंगदोह समिति (lyngdoh committee) की सख्त गाइडलाइंस होने के बावजूद बड़े दलों के उम्मीदवार प्रचार में लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करते हैं, जबकि छोटे संगठनों को बराबरी का मौका तक नहीं मिल पाता है।
बता दें कि लिंगदोह कमेटी के गाइडलाइंस के अनुसार, DUSU के चुनाव प्रचार में किसी भी पद का उम्मीदवार 5 हजार से ज्यादा नहीं खर्च कर सकता है। अगर कोई भी उम्मीदवार ऐसा करता है, तो कमेटी के नियमानुसार, उस उम्मीदवार का नामंकन भी रद्द किया जा सकता है।
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उम्मीदवार ने बताई आपबीती
डूसू के चुनाव की ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान एक पार्टी के उम्मीदवार ने छात्र राजनीति की स्वतंत्रता और दिल्ली विश्वविघालय के चुनाव प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया है। AISF और AIDSO के ज्वाइंट पैनल के उम्मीदवार मोहित ने बातचीत के दौरान कहा, 'हम चुनाव में नामंकन करने के लिए गए थे, तभी हमारे पास NSUI के उम्मीदवार कबीर गिरसा आते हैं और कहते हैं कि आप अपना नॉमिनेशन मत फाइल करिए। जब मैंने उनसे पूछा कि मैं ऐसा क्यों करूं, तब कबीर गिरसा ने कहा कि इस चुनाव में उनका 1 करोड़ का इंवेस्टमेंट है। मोहित ने बताया कि बड़ी पार्टी के उम्मीदवार यहां रेंज रोवर, बेंटले और मर्सिडीज जैसी गाड़ियों से कैपेनिंग करते हैं।'
'पैसा देकर बाहर से बुलाते हैं लड़के'
मोहित ने आरोप लगाते हुए कहा, 'हमारे पास स्क्रीनशॉट पड़ा है, जिसमें कहा जा रहा है कि हमें चुनाव प्रचार के लिए कुछ स्टूडेंट्स चाहिए और हर लड़के को पांच-पांच सौ रुपये दिया जाएगा। यूनिवर्सिटी में एक नया रूल आया है, जिसके अनुसार इस बार हैंड रिटेन पोस्टर बैनर का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रिंटेड पोस्टर बैनर को विश्वविघालय ने बैन किया हुआ है। जब मैं क्लास कैंपेनिंग कर रहा था, तो मैंने देखा कि जो बड़ी पार्टियों के उम्मीदवारों के सपोर्टर नहीं भी हैं उनको भी पैसे देकर पोस्टर-बैनर बनवा रहे थे।'
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DUSU के चुनाव प्रशासन पर आरोप
मोहित ने अपनी बातचीत के दौरान कहा, 'जब हमारे पैनल के लोग डूसू चुनाव प्रशासन के पास शिकायत करने गए और हमने अधिकारियों से कहा कि बड़ी पार्टियों के कैंडिडेट चुनाव प्रचार में इस तरीके से करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं, तब हमारे सवालों का जवाब न देकर डूसू चुनाव प्रशासन ने हमारे पैनल को धक्के मारकर बाहर कर दिया।'
मोहित का आरोप है कि डूसू चुनाव प्रशासन भी बड़ी पार्टी के उम्मीदवारों के साथ मिला हुआ है। उनका आरोप है कि छोटी पार्टी के उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार भी नहीं करने देते हैं। मोहित ने कहा, हम कॉलेज में प्रचार करने जा रहे थे, तभी हमें वहां के गार्ड ने रोक दिया, जब मैंने उनसे पूछा कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं, तब उन्होंने कहा कि NSUI ने कहा है कि आप लोगों को अंदर न जाने दिया जाए।'