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सेना पर साइबर अटैक क्यों नहीं कर पाया PAK? सीडीएस ने बताई तकनीक

ऑपरेशन सिंदूर कई मायनों में बेहद खास रहा है। आने वाले समय में यह ऑपरेशन भविष्य के युद्ध के तरीके को बदल सकता है। यह ऑपरेशन फिजिकल कॉम्बैट के अलावा कई अन्य क्षेत्रों में लड़ा गया।

CDS Anil Chauhan

सीडीएस अनिल चौहान। Photo Credit- PTI

सिंगापुर में शांगरी-ला वार्ता में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर को बेहद अहम बताया। उन्होंने कहा कि युद्ध लड़ने के तरीके में यह ऑपरेशन बेहद अहम मोड़ साबित होगा। ऑपरेशन सिंदूर बहुक्षेत्रीय था, इसमें पारंपरिक सैन्य कार्रवाई के अलावा साइबर, खुफिया जानकारी, गलत सूचना प्रबंधन और जमीन, वायु और समुद्र से समन्वय किया गया। यह ऑपरेशन फिजिकल कॉम्बैट से कहीं अधिक था। ऐसे बदलाव युद्ध लड़ने के तरीके को बदल देता है। उन्होंने कहा कि भविष्य के युद्ध तकनीक, साइबर ऑपरेशंस और सूचना को नियंत्रित करने की क्षमता पर निर्भर होंगे।

'फर्जी खबरों से निपट रही थीं सेनाएं'

सीडीएस ने कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सबसे बड़ी चुनौतियों भ्रामक सूचना से निपटना था। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के दौरान सशस्त्र बलों ने 15 फीसदी तक अपना प्रयास फर्जी खबरों और भ्रामक बयानों से निपटने पर खर्च किया। फर्जी खबरों का मुकाबला करना एक निरंतर प्रयास था। हमने प्रतिक्रियात्मक नहीं, बल्कि संतुलित तरीके से काम करना चुना, क्योंकि गलत सूचना ऑपरेशनों के दौरान लोगों की धारणा को जल्दी से खराब कर सकती है।'

 

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साइबर अटैक से कैसे बची सेना?

ऑपरेशन के दौरान साइबर हमलों का जिक्र भी सीडीएस ने किया। उन्होंने कहा, 'साइबर अटैक दोनों तरफ से हुए। मगर सैन्य प्रणालियों पर उनका असर बेहद कम था। उन्होंने बताया कि हमारी सैन्य प्रणालियां एयर-गैप्ड हैं। इसका अर्थ है कि वे इंटरनेट से जुड़ी नहीं हैं। इस कारण से साइबर हमले में काफी हद तक सुरक्षित रहीं। स्कूल की वेबसाइट जैसे प्लेटफॉर्म पर अटैक हुए हैं, लेकिन उन्होंने ऑपरेशन सिस्टम को प्रभावित नहीं किया।' 

आज भारत हर मोर्चे पर आगे: सीडीएस

सीडीएस अनिल चौहान का कहना है, 'भारत-पाकिस्तान संबंधों पर हम बिना किसी रणनीति के काम नहीं कर रहे हैं। आजादी के समय पाकिस्तान हर पैमाने जैसे सामाजिक, आर्थिक और प्रति व्यक्ति जीडीपी में हमसे आगे था। आज भारत हर मोर्चे पर आगे है। यह कोई संयोग से नहीं हुआ है, बल्कि ये लंबे समय की रणनीति का नतीजा है। कूटनीतिक तौर पर भारत ने 2014 में पाकिस्तान से संपर्क किया। पीएम मोदी ने नवाज शरीफ को न्योता भेजा था, लेकिन ताली दोनों हाथों से बजती है। अगर हमें बदले में सिर्फ दुश्मनी मिलेगी तो अलगाव ही एक अच्छी रणनीति हो सकती है।' 

हिंद महासागर पर फोकस

सीडीएस ने आगे कहा, 'हिंद महासागर खासकर बंगाल की खाड़ी के उत्तरी भाग पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। हमारी जियोपॉलिटिकल वास्तविकता है कि हम चीन के साथ तनाव के कारण उत्तर की ओर नहीं बढ़ सकते हैं और अस्थिरता के कारण म्यांमार की तरफ भी नहीं। हम राजनीतिक रूप से मध्य और पश्चिम एशिया से जुड़े हैं, लेकिन भौगोलिक रूप से कटे हैं। इसलिए समुद्र ही एकमात्र रास्ता है। यही हमारी नियति है। हम महाद्वीपीय भूभाग का हिस्सा हैं और एक द्वीप राष्ट्र की तरह काम करते हैं। हिंद महासागर के बड़े भूभाग तक हमारी पहुंच है। इस रणनीतिक लाभ का हमें बुद्धिमानी से फायदा उठाना चाहिए।'

 

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'अन्य देशों पर निर्भर नहीं रहा जा सकता'

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देश के एयर डिफेंस सिस्टम के बारे में सीडीएस अनिल चौहान ने कहा, 'हमने न केवल आकाश मिसाइल सिस्टम जैसे स्वदेशी प्लेटफॉर्म का बेहतरीन इस्तेमाल किया, बल्कि विदेशी विक्रेताओं पर निर्भर हुए बिना एयर डिफेंस का अपना स्वयं का नेटवर्किंग तैयार किया। पूरे देश में एक नेटवर्क में कई स्रोतों से रडार को एकीकृत किया है। यह बेहद अहम है। रक्षा आधुनिकीकरण पर हम आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहे हैं। 100 फीसदी विदेश पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है। आज स्टार्टअप, एमएसएमई और रक्षा में निवेश करने वाले बड़े उद्योगों का उदय होने लगा है।'

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