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चंदन की हत्या के दोषियों को जिंदगी भर जेल में रहना होगा? जानें

कासगंज के चंदन गुप्ता हत्याकांड के 28 दोषियों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। ऐसे में जानते हैं कि उम्रकैद की सजा का मतलब क्या होता है?

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उत्तर प्रदेश से कासगंज में हुए चंदन गुप्ता हत्याकांड में कोर्ट ने सभी 28 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। चंदन गुप्ता की हत्या 26 जनवरी 2018 को हो गई थी। इस घटना के 7 साल बाद NIA कोर्ट ने 28 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।


2018 की 26 जनवरी को कासगंज में तिरंगा यात्रा पर पत्थरबाजी हुई थी। गोलियां भी चली थी। गोलीबारी में चंदन गुप्ता की मौत हो गई थी। चंदन की मौत के बाद इलाके में जबरदस्त तनाव बढ़ गया था। तब 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था और 3 दिन तक इंटरनेट बंद रहा था।


चंदन गुप्ता हत्याकांड के सभी दोषियों को IPC की धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी ठहराया गया है। इस धारा में उम्रकैद या फिर मौत की सजा का ही प्रावधान है। 


अब जब चंदन गुप्ता के दोषी उम्रकैद की सजा काटेंगे तो ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि ये सजा कितने साल की होती है? साथ ही ये भी जानेंगे कि वो कौनसे अपराध हैं, जिनमें सजा होने पर ताउम्र जेल में बिताना पड़ता है?

उम्रकैद मतलब कितनी सजा?

आमतौर पर माना जाता है कि उम्रकैद की सजा 14 या 20 साल की होती है। मगर ऐसा नहीं है। साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में साफ कर दिया था कि उम्रकैद की सजा का मतलब आजीवन कारावास से है। यानी, अगर किसी को उम्रकैद मिली है तो उसे जीवनभर जेल में ही रहना होगा।


हालांकि, कोर्ट का काम सिर्फ सजा सुनाना है। उसे एग्जीक्यूट करने का काम राज्य सरकार का है। कानूनन अगर कोई दोषी 14 साल जेल में काट लेता है तो उसके केस को सेंटेंस रिव्यू कमेटी के पास भेजा जाता है। कमेटी उसके बर्ताव को देखते हुए सजा को कम कर सकती है। इसलिए उम्रकैद की सजा पाया कोई दोषी 14 साल या 20 साल में ही जेल से बाहर आ जाता है।

किन अपराधों में ताउम्र जेल में बिताने पड़ते हैं?

पिछले साल 1 जुलाई से नए क्रिमिनल लॉ लागू हो गए हैं। भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS) को लागू किया गया है। भारतीय न्याय संहिता में कुछ ऐसे अपराध हैं, जिनमें अगर दोषी को उम्रकैद होती है तो उसे फिर ताउम्र जेल में बिताने पड़ेंगे।


इसके मुताबिक, नाबालिग से दुष्कर्म का दोषी ठहराए जाने पर अगर उम्रकैद हुई है तो फिर जिंदगीभर जेल में ही रहना होगा। इसका प्रावधान धारा 65 में किया गया है। इसी तरह धारा 66 के तहत, अगर दुष्कर्म के दौरान महिला की मौत हो जाती है या वो कोमा में चली जाती है तो उम्रकैद होने पर दोषी को जिंदगीभर जेल में ही गुजारना होगा। इसके अलावा धारा 70 में ये प्रावधान किया गया है कि अघर नाबालिग से गैंगरेप के मामले में सभी दोषियों को उम्रकैद हुई है तो उन्हें भी जिंदगीभर जेल में ही गुजारने पड़ेंगे।


BNS की धारा 71 कहती है कि अगर कोई व्यक्ति रेप या गैंगरेप से जुड़े मामले में दोषी ठहराया जा चुका है और फिर से इसी अपराध में दोषी ठहराया जाता है तो उसे उम्रकैद पर जिंदगीभर जेल में रहना होगा। 

 

धारा 104 के मुताबिक, उम्रकैद की सजा काट रहा दोषी किसी की हत्या करता है तो उसे उम्रकैद या फांसी की सजा हो सकती है। उम्रकैद हुई तो जिंदगी जेल में ही बितेगी। वहीं, धारा 109 (2) कहती है कि हत्या के मामले में सजा काट रहा दोषी किसी को नुकसान पहुंचाता है तो उम्रकैद होने पर उसे मरते दम तक जेल में ही रहना होगा।

 

इसके अलावा, धारा 139 के तहत किसी बच्चे से भीख मंगवाने या उसे अपंग करने या धारा 139 के तहत मानव तस्करी के मामले में दोषी ठहराए जाने पर भी उम्रकैद की सजा में ताउम्र जेल में ही रहना होगा।

 

वैसे तो उम्रकैद के दोषियों की सजा माफ की जा सकती है, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में जिन अपराधों में जिंदा रहने तक उम्रकैद की सजा काटने का प्रावधान है, उनमें सजा माफ नहीं की जा सकती।

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