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देश की अर्थव्यवस्था पर सरकार की रिपोर्ट, क्या कहता है आर्थिक सर्वे?

मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंथा नागेश्वरन ने शुक्रवार को नई दिल्ली में भारत आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 जारी किया। इसके साथ ही उन्होंने मीडिया को भी संबोधित किया।

Chief Economic Advisor Anantha Nageswaran

मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंथा नागेश्वरन, Photo credit: PTI

भारत को तेजी से आर्थिक विकास के लिए अनुकूल वैश्विक परिस्थितियों का लाभ उठाने के लिए तैयार रहना होगा, ताकि 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वर ने शुक्रवार को यह टिप्पणी की हैं। नागेश्वेर ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर में कमी के लिए वैश्विक कारणों को जिम्मेदार ठहराया है। 

 

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नागेश्वर ने 2024-25 के आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया और कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान मंदी को सही संदर्भ में देखना चाहिए, क्योंकि भारत अभी भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। 

 

विकास के नए अवसर खोलने में मिलेगी मदद

सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत को जिस तेज आर्थिक विकास की जरूरत है, वह तभी संभव है जब केंद्र और राज्य सरकारें ऐसे सुधारों को लागू करना जारी रखें जो छोटे और मध्यम एंटरप्राइजेज को ऑपरेट करने और लागत-प्रभावी तरीके से प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दें। अत्यधिक विनियामक बोझ को कम करके, सरकारें व्यवसायों को अधिक कुशल बनने, लागत कम करने और विकास के नए अवसरों को खोलने में मदद कर सकती हैं। 

 

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सरकार कर रही MSME को समर्थन

आर्थिक सर्वेक्षण में यह स्वीकार किया गया है कि सरकार ने एमएसएमई (MSME) के विकास को समर्थन और बढ़ावा देने के लिए पिछले दशक में कई नीतियों और पहलों को लागू किया है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में फर्मों के लिए छोटे बने रहने की प्रवृत्ति है, जिसका उद्देश्य नियामक रडार के तहत रहना और श्रम और सुरक्षा कानूनों सहित नियमों से दूर रहना है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि इसका सबसे बड़ा नुकसान रोजगार सृजन और श्रमिक कल्याण है।

 

यह होनी चाहिए पहल

सर्वेक्षण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि व्यापार करने में आसानी (ईओडीबी) 2.0 एक राज्य सरकार की अगुवाई वाली पहल होनी चाहिए जो व्यापार करने में होने वाली असुविधा के मूल कारणों को ठीक करने पर केंद्रित हो। निर्यात-चुनौती, पर्यावरण-चुनौती, ऊर्जा-चुनौती और उत्सर्जन-चुनौती वाली दुनिया में विकास के रास्ते खोजने की आवश्यकता का मतलब है कि हमें विनियमन पर अधिक काम करने की जरूरत है। विनियमन के बिना, अन्य नीतिगत पहल अपने वांछित लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाएंगी। छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाकर, आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ाकर और समान अवसर सुनिश्चित करके, सरकारें ऐसा माहौल बनाने में मदद कर सकती हैं जहां विकास और नवाचार न केवल संभव है बल्कि जरूरी भी है।

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