चीन एक बार फिर से अरुणाचल प्रदेश के सहारे भारत पर दबाव बनाने की नापाक कोशिश कर रहा है। इस बार चीन ने अपने स्तर पर भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में कुछ जगहों के नाम बदल दिए हैं। भारत ने चीन की कोशिशों को 'व्यर्थ एवं बेतुकी' बताकर सिरे से खारिज कर दिया है। भारत सरकार ने बुधवार को कहा कि इस तरह के प्रयासों से यह निर्विवाद सच्चाई नहीं बदलेगी कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा।
भारत ने अरुणाचल प्रदेश के स्थानों का नाम बदलने की चीन की हरकतों पर जोरदार प्रतिक्रिया दी है। दरअसल, चीन बिना किसी ठोस बात के दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश तिब्बत का दक्षिणी भाग है।
नाम रखने से सच्चाई नहीं बदलेगी- भारत
विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हमने देखा है कि चीन भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नामकरण के अपने व्यर्थ और बेतुके प्रयास किए हैं। हम इस तरह के प्रयासों को अपने सैद्धांतिक रुख के अनुरूप स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं। नए नाम रखने से यह निर्विवाद वास्तविकता नहीं बदलेगी कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न एवं अविभाज्य अंग था, है और हमेशा रहेगा।'
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'पिछले साल अप्रैल में भी जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 30 स्थानों के 'मानकीकृत नामों' की लिस्ट जारी की थी तब भी भारत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताई थी।'
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तिब्बत को स्वतंत्र बनाना होगा- रिटायर्ड मेजर
इस बीच विदेश मंत्रालय के बयान पर रिटायर्ड मेजर जनरल ध्रुव सी कटोच ने कहा, 'चीन के ये प्रयास निंदनीय हैं। बिना किसी कारण के चीन अरुणाचल प्रदेश में हस्तक्षेप करना जारी रखे हुए है। दुनिया को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि चीन क्या कर रहा है, खासकर तिब्बत में देखना चाहिए। भारत तिब्बत की आजादी के लिए नेतृत्व कर सकता है और दुनिया, खासकर अमेरिका, इस कदम का समर्थन कर सकता है। एक बार तिब्बत स्वतंत्र देश बन जाए तो चीन के साथ हमारी सभी समस्याएं हल हो जाएंगी। तिब्बत का स्वतंत्र देश बनना एशिया में स्थिरता के लिए दीर्घकालिक समाधान होगा।'
2017 से ही नाम बदलने की कोशिश कर रहा है चीन
बता दें कि चीनी नागरिक मामलों के मंत्रालय ने जंगनान में छह स्थानों के मानकीकृत नामों की पहली लिस्ट 2017 में जारी की थी, जबकि 15 स्थानों की दूसरी लिस्ट 2021 में जारी की गई थी। इसके बाद 2023 में 11 स्थानों के नामों के साथ एक और लिस्ट जारी की गई थी।
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चीन ने अरुणाचल प्रदेश के स्थानों के नामों की नई लिस्ट जारी करने का फैसला ऐसे समय में लिया है जब दोनों देश पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध से प्रभावित संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयास कर रहे हैं। भारत और चीन ने लगभग पांच सालों के बाद पिछले महीने कैलाश मानसरोवर यात्रा को बहाल करने का फैसला किया जिसे संबंध सुधारने के प्रयास के रूप में देखा गया।
पीएम मोदी शी से कर चुके हैं वार्ता
कोविड-19 महामारी और उसके बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों पक्षों के बीच सैन्य गतिरोध के कारण 2020 में मानसरोवर यात्रा स्थगित कर दी गई थी। भारत और चीन ने पिछले साल 21 अक्टूबर को हुए एक समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग में टकराव वाले दो स्थानों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी कर ली थी। इसके बाद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने रूस के शहर कजान में बात की और विभिन्न द्विपक्षीय वार्ता तंत्रों को बहाल करने पर सहमति व्यक्त की। मोदी और शी की वार्ता के बाद पिछले कुछ महीनों में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के उद्देश्य से कई बैठकें कीं।