बिल्डिंग गिरेगी तो नहीं? घर खरीदने से पहले पता लगाने का तरीका जानिए
यह बिल्डिंग मजबूत है कि नहीं, अगर गिर गई तो? क्या घर खरीदने से पहले आपके मन में भी ऐसे ही सवाल आते है? क्या है सही तरीका जानने का यहां पढ़ें।

मुस्तफाबाद इमारत, Photo Credit: PTI
दिल्ली के मुस्तफाबाद में 19 अप्रैल को हुए चार मंजिला इमारत ढहने की घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे में 11 लोगों की मौत हुई और 20 से अधिक घायल हुए है। इस घटना के बाद दिल्ली जैसे मेट्रो सिटी की इमारतों की स्ट्रक्चरल सेफ्टी को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। इस घटना में मुख्य कारण लोड-बेयरिंग दीवार यानी भार सहने वाली दीवार जैसे नींव, कॉलम को हटाना बताया गया, जिसके कारण इमारत पैनकेक ढहाव की तरह ढह गई। पैनकेक ढहाव का मतलब इमारत की मंजिलें एक के ऊपर एक ढेर होकर गिरती हैं। यह इमारतों के ढहने का सबसे खतरनाक रूप माना जाता है। इसी कड़ी में कैसे आप यह जांच सकते हैं कि कोई इमारत भार सहने लायक है या नहीं, खासकर दिल्ली जैसे क्षेत्रों में जहां अनाधिकृत निर्माण आम हैं।
कैसे पता करें कि इमारत भार सहने लायक है या नहीं?
इमारत की स्ट्रक्चरल सुरक्षा जांचने के लिए सबसे पहले उसका बिल्डिंग प्लान या ब्लूप्रिंट देखना जरूरी होता है, जिसमें इमारत के भार को सहारा देने वाली दीवारें, कॉलम और बीम की स्थिति की जानकारी होती है। ये डॉक्यमेंट आमतौर पर इमारत के मालिक, बिल्डर या नगर निगम (एमसीडी) के पास उपलब्ध होते हैं। इसके साथ ही यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि इमारत का कंस्ट्रक्शन लोकल अथॉरिटी जैसे एमसीडी से मान्य है या नहीं। उदाहरण के तौर पर मुस्तफाबाद की घटना में इमारत अनधिकृत कॉलोनी में बनी थी, जहां सेफ्टी स्टैंडर्ड का पालन नहीं किया गया था। इसके अलावा, निर्माण के समय स्ट्रक्चरल इंजीनियर द्वारा जारी किया गया स्ट्रक्चरल सर्टिफिकेट भी देखना चाहिए।
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भार को सहन करने वाली इमारत कैसी होती है?
भार-वहन दीवारें आमतौर पर 9 इंच या उससे अधिक मोटी होती हैं, जबकि गैर-लोड-बेयरिंग दीवारें 4-6 इंच पतली होती हैं। ये दीवारें इमारत के बाहरी हिस्सों, नींव के पास, या कॉलम/बीम के बीच में होती हैं। मुस्तफाबाद में एक दुकान के लिए भार-वहन दीवार हटाई गई थी, जिससे ढहाव हुआ। इसके अलावा दीवार पर हल्के से हथौड़े से ठकठकाएं। ऐसी दीवारें ठोस आवाज देगी, जबकि खोखली दीवार में गूंज होगी। अगर किसी इमारत की सुरक्षा को लेकर संदेह हो, तो एमसीडी या अपने शहर या इलाके के लोकल अथॉरिटी से संपर्क करना आवश्यक है।
मुस्तफाबाद घटना के बाद, एमसीडी ने विशेष रूप से पांचवीं या छठी मंजिल तक बनी इमारतों की स्ट्रक्चरल जांच शुरू की है। आप भी अपने क्षेत्र में ऐसी जांच के लिए MCD से औपचारिक अनुरोध कर सकते हैं। अगर किसी इमारत को लेकर संदेह है तो एमसीडी के बिल्डिंग डिपार्टमेंट में शिकायत दर्ज कर सकते हैं, जिसके बाद वे जांच के लिए जूनियर इंजीनियर भेजते हैं। इसके अलावा, एमसीडी हर साल मानसून से पहले दिल्ली की पुरानी और जर्जर इमारतों का सर्वे करती है। आप यह जानकारी भी हासिल कर सकते हैं कि आपके क्षेत्र में यह सर्वे कब और कैसे किया गया है या उसकी क्या स्थिति है।
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इन संकेतों पर ध्यान दें
दीवारों, छत, या कॉलम में बड़ी या गहरी दरारें का मतलब है कि भार को सहन करने वाली इमारत में कमी हैं। अगर इमारत या उसका कोई हिस्सा झुका हुआ दिखे, तो इसका मतलब है कि उसकी नींव कमजोर है। लगातार रिसाव से भी नींव और दीवारें कमजोर हो सकती हैं। मुस्तफाबाद में दुकानों को मिलाने के लिए एक खंभा हटाया गया था, जो गलत था। अगर आपके आसपास ऐसा हो रहा है, तो तुरंत एमसीडी या अपने स्थानीय अथॉरिटी को सूचना दें।
इमारत की उम्र और स्थिति देखें
पुरानी इमारतें (20-30 साल से अधिक) जोखिम भरी हो सकती हैं, खासकर अगर रखरखाव न हुआ हो। मुस्तफाबाद की इमारत 20 साल पुरानी थी। पूछें कि क्या इमारत में अतिरिक्त मंजिलें, दीवारें हटाना, या अन्य बदलाव किए गए हैं। मुस्तफाबाद में दुकानों के लिए दीवार हटाई गई थी। आसपास के निवासियों से इमारत की स्थिति, मरम्मत इतिहास, या समस्याओं के बारे में पूछें। दिल्ली में 1,797 अनधिकृत कॉलोनियां हैं (2023 तक), जहां निर्माण मानकों का पालन कम होता है। जांचें कि इमारत ऐसी कॉलोनी में तो नहीं।
मुस्तफाबाद की घटना ऐसी ही कॉलोनी में हुई थी। अगर इमारत के खिलाफ पहले कोई शिकायत (जैसे असुरक्षित होने की) दर्ज है, तो MCD से RTI दाखिल कर जानकारी लें। इसके अलावा दिल्ली भूकंपीय जोन IV में आती है, जहां मध्यम से उच्च भूकंप जोखिम है। सुनिश्चित करें कि इमारत भूकंपरोधी मानकों (IS 1893:2016) के अनुसार बनी हो। अगर इमारत यमुना के पास या निचले इलाके में है, तो बाढ़ से नींव को नुकसान का खतरा हो सकता है। दिल्ली नगर निगम या DDA से बाढ़ जोखिम क्षेत्रों की जानकारी लें।
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मुस्तफाबाद घटना से क्या सबक मिलता है?
इमारत 20 साल पुरानी थी और 60 वर्ग गज के छोटे प्लॉट पर बनी थी। यह अनधिकृत कॉलोनी में थी, जहां सुरक्षा मानकों का पालन नहीं हुआ। दुकानों को जोड़ने के लिए एक भार-वहन दीवार हटाई गई, जिससे पूरी इमारत पैनकेक की तरह ढह गई। यह तब होता है जब इमारत की मंजिलें एक के ऊपर एक गिरती हैं, जिससे जीवित बचने की संभावना कम हो जाती है। MCD ने अब क्षेत्र में सर्वे शुरू किया है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा किया है।
अनधिकृत कॉलोनियों में घर खरीदने से बचना चाहिए, जब तक कि उस क्षेत्र की आधिकारिक गारंटी न हो। ऐसी कॉलोनियों में निर्माण कार्य अक्सर बिना मानकों के होता है, जिससे भविष्य में कानूनी और सुरक्षा संबंधी समस्याएं बनती हैं। किसी भी इमारत में संरचनात्मक बदलाव, जैसे दीवार या खंभा हटाने से पहले स्ट्रक्चरल इंजीनियर से सलाह लेना बेहद जरूरी है, क्योंकि ऐसे बदलाव इमारत को प्रभावित कर सकते हैं। वहीं, पुरानी इमारतों के मामले में स्ट्रक्चरल ऑडिट कराना अनिवार्य है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इमारत अब भी रहने योग्य और सुरक्षित है।
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