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डिपोर्ट हुए पंजाबियों के अधूरे सपने...US जाने के लिए चुकाए 43 करोड़

अमेरिका जाने के लिए 127 पंजाबी अवैध प्रवासियों ने ट्रैवल एजेंटों को लगभग 43 करोड़ रुपये दिए। पंजाब सरकार ने यह डेटा जारी किया है।

deported punjabis in US

पंजाबी निर्वासित, Photo Credit: PTI

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अमेरिकी सपने को साकार करने के लिए पंजाब के लगभग 127 अवैध अप्रवासियों ने ट्रैवल एजेंटों को 43 करोड़ रुपये से अधिक पैसे दिए लेकिन अमेरिकी सीमा पर पहुंचते ही उनके सभी सपने टूट गए। अब ये सभी हाथों में हथकड़ी और जंजीरों में जकड़े वापस भारत लौट आए हैं। पंजाब सरकार के अधिकारियों द्वारा संकलित एक दस्तावेज में यह आंकड़े जारी किए गए। बता दें कि 127 पंजाबी उन 332 भारतीयों में शामिल थे, जिन्हें अमेरिका ने तीन बैचों में सैन्य विमानों से वापस भेजा था, जो 5, 15 और 16 फरवरी को अमृतसर में लैंड हुए थे। 

 

पंजाब के अधिकारियों द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, राज्य से निर्वासित 31 लोगों के पहले बैच ने एजेंटों को 4.95 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। इस बैच के सभी निर्वासितों ने एजेंटों को दिए धनराशि का कोई खुलासा नहीं किया। 65 लोगों के दूसरे बैच ने बताया कि एजेंटों को लगभग 26.97 करोड़ रुपये की घनराशि मिली थी। वहीं, 31 निर्वासितों के तीसरे बैच ने अपने एजेंटों को 11.37 करोड़ रुपये का भुगतान किया। इन एजेंटों ने इन सभी लोगों को अमेरिकी में एंट्री कराने का वादा किया था। 

 

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पूछे गए सवाल, जवाब देने से बचें निर्वासित भारतीय

बता दें कि यह डेटा अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरने के बाद निर्वासितों द्वारा बताई गई जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है। डिपोर्ट किए गए हर एक व्यक्ति से उनके एजेंट का नाम, भुगतान की गई राशि और जिस मार्ग से वे अमेरिकी सीमा तक पहुंचे, उसका खुलासा करने के लिए कहा गया था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पहले बैच के कई निर्वासित भारतीयों ने जानकारी साझा नहीं की। वहीं, दूसरे और तीसरे बैच के लगभग सभी निर्वासितों ने अपने एजेंटे से लेकर सारी जानकारियों दीं।

 

इस डेटा से पता चलता है कि पंजाब से निर्वासित प्रत्येक व्यक्ति ने अपने एजेंटों को 40-45 लाख रुपये का भुगतान किया। ये एजेंट पाकिस्तान से लेकर दुबई, इटली से लेकर स्पेन, मैक्सिको से लेकर अमेरिका, ब्रिटेन और पंजाब के गांवों और शहरों में स्थित थे। कुछ निर्वासित लोगों ने यह भी कहा कि वे अपने एजेंटों के नाम नहीं जानते हैं और कुछ ने कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से एजेंटों से संपर्क किया था।

 

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एजेंट के खिलाफ कराएंगे केस?

डेटा से यह भी खुलासा हुआ कि अधिकांश निर्वासितों ने एजेंटों को कैश दिया लेकिन उसके बदले में उन्हें कोई भी रसीद नहीं दी गई। हालांकि, कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्होंने ऑनलाइन मोड के माध्यम से भुगतान किया और उनके पास लेन-देन का रिकॉर्ड भी उपलब्ध है। बता दें कि तीसरे बैच के 31 निर्वासितों में से 4 ने कहा कि वे अपने एजेंट के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं कराना चाहते हैं। वहीं, 6 ने कहा कि वे अपने परिवारों के साथ बैठकर इस पर चर्चा करेंगे और फिर कोई फैसला लेंगे। कम से कम 18 लोगों ने कहा कि वे अपने एजेंटों के खिलाफ केस करना चाहते हैं। 


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