ऑपरेशन सिंदूर से समय खूब चर्चा में रहे लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई का प्रमोशन हो गया है। अभी तक डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स (DGMO) की भूमिका निभा रहे राजीव घई को अब डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (स्ट्रेटजी) बना दिया गया है। इस पद के साथ-साथ वह DGMO का काम भी संभालते रहेंगे।
उनके इस प्रमोशन के साथ ही यह भी कहा गया है कि भारतीय सेना के सभी ऑपरेशन वर्टिकल्स डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (स्ट्रेटजी) को रिपोर्ट करेंगे। ऑपरेशन सिंदूर के समय जब सेना के अधिकारी सामने आकर बयान देते थे, उनमें लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई भी हुआ करते थे। राजीव घई से ही पाकिस्तान के DGMO ने बातचीत की थी और दोनों देश संघर्ष विराम करने पर सहमत हुए थे।
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राजीव घई कौन हैं?
भारत की आर्मी में फिलहाल नंबर 2 की हैसियत रखने वाले लेफ्टिनेंट जनरल राजीव गई साल 1989 में भारतीय सेना में अफसर बने थे। इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) से ट्रेनिंग के बाद वह सेना की कुमाऊं रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट बने। समय के साथ प्रमोशन हुआ। वह काफी चुनौतीपूर्ण मानी जाने वाली चिनार कॉर्प्स के कमांडिंग इन चीफ (GOC) बी रहे। इसी पद पर रहते हुए आतंक विरोधी गतिविधियों में उनकी अहम भूमिका रही।
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ऑपरेशन सिंदूर में लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई की अहम भूमिका रही। PoK में चिह्नित किए गए टारगेट को चुनने में भी उनकी अहम भूमिका बताई जाती है। बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत की तीनों सेनाओं की भूमिका थी और सबको साथ लाकर एकजुट होकर ऑपरेशन पूरा करने की भूमिका उन्हीं पर थी। ऑपरेशन सिंदूर में उन्होंने तालमेल का जबरदस्त उदाहरण पेश किया। गोलीबारी रुकवाने का फैसला भी उनकी बातचीत के बाद ही किया गया था।