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वोटिंग से ठीक पहले ED की छापेमारी, झारखंड में कइयों की सांस अटकी

झारखंड में पहले चरण की वोटिंग से ठीक पहले ईडी की छापेमारी से खलबली मच गई है। यह छापेमारी अवैध घुसपैठ और देह व्यापार से जुड़े मामलों से संबंधित बताई जा रही है।

Ed office

प्रवर्तन निदेशालय

विजय देव झा, झारखंड विधानसभा के पहले चरण के चुनाव से 24 घंटे पूर्व प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ के मामले में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए रांची और पाकुड़ सहित पश्चिम बंगाल के कई स्थानों पर छापेमारी की। ईडी के एक अधिकारी ने बताया कि यह मामला अवैध देह व्यापार और अवैध घुसपैठ से जुड़ा हुआ है। इसमें एक बड़ा संगठित गिरोह शामिल है। कुल 17 ठिकानों पर छापेमारी चल रही है। भारी संख्या में फर्जी आधार कार्ड, पासपोर्ट, अवैध हथियार और प्रॉपर्टी से संबंधित कागजात मिले हैं। हमें उम्मीद से अधिक सबूत मिले हैं और ये सबूत काफी विस्फोटक हैं। इस मामले में कई सिंडिकेटों और प्रभावशाली लोगों के तार जुड़े हुए हैं।

 
इस विधानसभा चुनाव की खास बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ, आदिवासी जनसंख्या में कमी, भूमि और लव जिहाद के मुद्दों को बड़े जोर-शोर से उठा रही है, जिससे राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और इंडी गठबंधन असहज हो गए हैं। यह रांची में एक सेक्स रैकेट से जुड़ा मामला है, जब इस साल जून में पुलिस ने एक रिसोर्ट से तीन लड़कियों को देह व्यापार के मामले में गिरफ्तार किया था। जांच में पता चला कि ये लड़कियां बांग्लादेश से आई हैं और उन्हें देह व्यापार के लिए भारत लाया गया है।

बड़ा और खतरनाक है यह रैकेट 

 

जांच में यह भी खुलासा हुआ कि एक संगठित गिरोह उन्हें पश्चिम बंगाल के रास्ते भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा की बाड़ काटकर अवैध रूप से भारत में प्रवेश कराता है। यह गिरोह उनके नकली आधार कार्ड भी तैयार करता है। एफआईआर के मुताबिक, उन तीन लड़कियों में से एक, निपाह अख्तर खुशी (21 वर्ष), ने जांच एजेंसी को बताया कि कोलकाता की एक महिला, मनीषा राय और उसकी सहयोगी झूमा ने उसे बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत लाने में मदद की थी, जिसमें निजी एजेंटों की मिलीभगत थी। ऐसी खबरें आती रही हैं कि बंगाल से लेकर झारखंड तक कई संगठित गिरोह बांग्लादेशी लड़कियों को अवैध रूप से भारत लाकर उनसे देह व्यापार करवा रहे हैं। झारखंड का यह पहला मामला है, जब किसी केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है।

 

आजकल नेताओं, नौकरशाहों और ठेकेदारों की सुबह की शुरुआत इस डर के साथ होती है कि कहीं प्रवर्तन निदेशालय की कोई छापेमारी तो नहीं चल रही है। आज की कार्रवाई देह व्यापार और घुसपैठ कराने वाले इंटरस्टेट सिंडिकेट के विरुद्ध थी, लेकिन विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि छापेमारी के दौरान जांच एजेंसी को कई महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं, जो बताते हैं कि कई सरकारी अधिकारी उनके ग्राहक और संरक्षक हैं। आज की छापेमारी के बाद बीजेपी ने एक बार फिर से राज्य की झामुमो-कांग्रेस-राजद सरकार को घुसपैठ के मुद्दे पर घेरना शुरू कर दिया है।

चुनावी मुद्दा बन गई है अवैध घुसपैठ
 
बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल नाथ शाहदेव ने कहा, 'अवैध घुसपैठ के कारण संथाल परगना में आदिवासियों की अस्मिता, पहचान, उनकी जल-जंगल-ज़मीन सभी गंभीर खतरे में हैं। मगर घुसपैठियों की समर्थक सरकार इस सच्चाई को झुठलाने में लगी है। पहले बांग्लादेशी घुसपैठ को सरकार का संरक्षण, और अब घुसपैठियों के जरिए देह व्यापार-ऐसे में कहने-सुनने के लिए कुछ नहीं बचता।'

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घुसपैठ को चुनावी मुद्दा बना दिया है। बीजेपी बार-बार ‘जमाई टोला’ का मुद्दा उठा रही है। जमाई टोला संथाल परगना में उन मोहल्लों को कहा जाता है, जहां कोई मुसलमान स्थानीय लड़की से विवाह कर बस गया हो।

 

बीजेपी के वरिष्ठ नेता कमल भगत, जो 1983 से घुसपैठ के खिलाफ अभियान चला रहे हैं, का दावा है, 'ये जमाई टोले मुस्लिम बस्तियां हैं, जो मुख्य रूप से बांग्लादेशी घुसपैठियों से भरी हुई हैं। ये बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल के रास्ते झारखंड में प्रवेश करते हैं, शुरू में मजदूर के रूप में काम करते हैं, बाद में आदिवासी महिलाओं से विवाह कर आदिवासी एवं सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा कर लेते हैं। इसीलिए इन क्षेत्रों को जमाई टोला कहा जाता है। इनकी चिंताजनक संख्या संथाल परगना जिलों की जनसांख्यिकी को बदल रही है, और ऐसे कई जमाई टोले हैं।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जमशेदपुर में रैली को संबोधित करते हुए झामुमो और कांग्रेस पर बांग्लादेशियों और रोहिंग्या की बढ़ती घुसपैठ पर आंख मूंदने का आरोप लगाया।

 

संथाल परगना पर जोर

 

संथाल परगना में कुल 18 विधानसभा सीटें हैं और यह झामुमो का गढ़ है। बीजेपी यहां घुसपैठ और घटती आदिवासी जनसंख्या के मुद्दों को उठाकर अपनी जमीन मजबूत करने का प्रयास कर रही है। बीजेपी का दावा है कि संथाल परगना के छह में से चार जिले—पाकुड़, साहिबगंज, गोड्डा और दुमका—अवैध घुसपैठ से सबसे अधिक प्रभावित हैं। ये जिले पश्चिम बंगाल से सटे हुए हैं।


अवैध घुसपैठ का मुद्दा केवल राजनीतिक नहीं है, बल्कि यह मामला अदालत में भी है। झारखंड हाई कोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा दायर एक शपथ पत्र में यह खुलासा हुआ है कि संथाल परगना में आदिवासी जनसंख्या में 16% की गिरावट आई है। साथ ही मुस्लिम जनसंख्या में 20-40% और ईसाई जनसंख्या में 6000 गुना वृद्धि हुई है। केंद्र सरकार का कहना है कि ये जनसांख्यिकीय परिवर्तन विशेष रूप से साहिबगंज और पाकुड़ के रास्ते हो रहे हैं। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने शपथ पत्र में यह भी कहा कि घुसपैठियों द्वारा आदिवासी भूमि कानूनों जैसे दानपत्र का दुरुपयोग कर भूमि पर अवैध कब्जा किया जा रहा है। संथाल परगना संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम के तहत शासित है, जो आदिवासी भूमि की खरीद-फरोख्त और हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाता है।

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