भारतीय आर्मी के हेडक्वार्टर में भारत-पाकिस्तान लड़ाई (1971) की एक तस्वीर हटाए जाने को लेकर सियासी विवाद हो गया है। इस विवाद पर आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी ने खुद आमने आकर सफाई दी है।
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि भारतीय सेना के मुख्यालय में पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण के फोटो की जगह पर कृष्ण और अर्जुन का चित्र लगाना, सेना की मौजूदा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों के आत्मसमर्पण की तस्वीर
दरअसल, विजय दिवस पर सेना मुख्यालय से 1971 की ऐतिहासिक जीत की तस्वीर हटाने को लेकर यह विवाद हुआ है। पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों के आत्मसमर्पण की इस तस्वीर को आर्मी चीफ के दफ्तर से हटाकर दिल्ली छावनी के मानेकशॉ सेंटर में लगाया गया है।
राहुल गांधी ने तर्क दिया कि था कि 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध में हार के बाद पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण की तस्वीर सेना के गौरवशाली इतिहास को दर्शाती है।
नई तस्वीर में पैंगोंग झील
बता दें कि पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण की तस्वीर के बदले में भारत-चीन सीमा पर पैंगोंग झील को दिखाया गया है। इसमें नावों, सभी इलाकों में चलने वाले वाहनों, टैंक और अपाचे हेलीकॉप्टर जैसी आधुनिक भारत की सैन्य शक्ति दिखाई गई गई है। साथ ही फोटो में महाभारत में अर्जुन के रथ का मार्गदर्शन करते भगवान कृष्ण और चाणक्य जैसे पौराणिक चरित्रों भी दिखाया गया है।
आर्मी चीफ जनरल द्विवेदी ने सेना के वार्षिक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए इस विवाद को खारिज कर दिया कि सेना में पौराणिक कथाओं को प्राथमिकता दी गई है।
'अतीत, वर्तमान और भविष्य को जोड़ना है'
उन्होंने कहा, 'यह कहा जाता है कि ये पौराणिक हैं। अगर आप मूल संविधान के अध्याय IV को खोलेंगे तो उसमें कृष्ण और अर्जुन की एक ही रथ पर बैठी पेंटिंग है। तो क्या संविधान भी पौराणिक है? आधुनिक तकनीक नई पेंटिंग में दिखाई देती है। इसलिए, अगर मुझे अतीत, वर्तमान और भविष्य को जोड़ना है, तो यह उसका प्रतीक है।'