logo

ट्रेंडिंग:

UNESCO की खास लिस्ट में श्रीमद्भगवद्गीता और नाट्यशास्त्र की एंट्री

भारत को एक और उपलब्धि मिली, जब गीता और नाट्यशास्त्र को UNESCO के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर की सूची में शामिल किया गया है।

Image of Natyashastra and Gita

UNESCO की सूची में गीता और नाट्यशास्त्र शामिल।(Photo Credit: Gajendra Singh Shekhawat/ X)

भारत को एक बार फिर वैश्विक स्तर पर बड़ी पहचान मिली है। हाल ही में UNESCO ने ‘भगवद गीता’ और ‘भारत मुनि के नाट्यशास्त्र’ को अपनी ‘Memory of the World Register’ में शामिल किया है। यह उन ऐतिहासिक और ग्रंथों की सूची है, जो मानव सभ्यता के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। 

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया गर्व का क्षण

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाया गया था। यूनियन कल्चर मिनिस्टर गजेंद्र सिंह शेखावत ने इसे भारत की उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि ये ग्रंथ केवल ग्रंथ नहीं, बल्कि भारत की सोच, दृष्टिकोण और आत्मिक विकास के आधार हैं।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस अवसर को ‘हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण’ बताया और कहा कि ये ग्रंथ हजारों सालों से मानव चेतना और संस्कृति को प्रेरित करते आए हैं। आइए, जानते हैं कि ये दोनों ग्रंथ क्या हैं, इनसे जुड़ी पौराणिक मान्यताएं क्या हैं।

 

 

यह भी पढ़ें: टैरिफ का जवाब मेटल से! चीन का वह फैसला जिसने बढ़ाई ट्रंप की परेशानी?

भगवद गीता का परिचय

भगवद गीता हिंदू के महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथों में से एक है, जो महाभारत के 'भीष्म पर्व' में आता है। यह भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच कुरुक्षेत्र के युद्ध भूमि में हुआ संवाद है, जिसमें 18 अध्याय और कुल 700 श्लोक हैं, जिनमें जीवन, धर्म, कर्म, मोक्ष और आत्मा के रहस्यों को समझाया गया है।

 

भगवद गीता की रचना महर्षि वेदव्यास द्वारा मानी जाती है, जिन्होंने महाभारत की रचना की थी। पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले अर्जुन युद्धभूमि में खड़े होकर जब अपने ही संबंधियों के विरुद्ध युद्ध करने से हिचकते हैं, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें आत्मा, धर्म और कर्तव्य का ज्ञान कराते हैं। यह संवाद ही 'भगवद गीता' बन गया, जो आज भी दुनियाभर में पढ़ी और सुनी जाती है।

नाट्यशास्त्र: भारत का पहला रंगमंच पर आधारित ग्रंथ

भारत मुनि नाट्यशास्त्र भारत के सबसे प्राचीन नाट्य और कला से संबंधित ग्रंथ है। इसमें नाटक, संगीत, नृत्य, अभिनय, मंच साज-सजावट, भाव-भंगिमा, वेशभूषा आदि का गहरा विवरण है। यह ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखा गया है और इसमें कुल 36 अध्याय और लगभग 6000 श्लोक हैं।

 

नाट्यशास्त्र की रचना भारत मुनि द्वारा की गई थी, जो एक महान ऋषि थे। कहा जाता है कि उन्हें देवताओं ने यह ज्ञान प्रदान किया था, ताकि वह इसे मानव कल्याण हेतु लिख सकें। भारत मुनि को 'भारतीय नाट्य कला का जनक' माना जाता है।

 

पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं ने ब्रह्मा जी से निवेदन किया कि वह मनोरंजन का एक माध्यम बनाएं जो शिक्षा भी दे सके। तब ब्रह्मा ने चारों वेदों से तत्व लेकर 'नाट्यवेद' की रचना की और इसे भारत मुनि को सौंपा। भारत मुनि ने इस ज्ञान को व्यवस्थित करके नाट्यशास्त्र के रूप में प्रस्तुत किया।

 

नाट्यशास्त्र सिर्फ रंगमंच से संबंधित कला तक सीमित नहीं है, यह भाव की भाषा को समझाने वाला विज्ञान भी माना जाता है। इसमें 'रस सिद्धांत' जैसे गूढ़ विचार दिए गए हैं, जो आज भी नाट्यकला, फिल्म, नृत्य और साहित्य में इस्तेमाल किए जाते हैं। 'नवरस' (श्रृंगार, वीर, करुण, रौद्र आदि) का सिद्धांत यहीं से आया है।

 

यह भी पढ़ें: चीन की वह ताकत जिसके दम पर US से ले लिया पंगा, टैरिफ वॉर की पूरी कहानी

UNESCO द्वारा दिए जाने वाले खिताब

यूनेस्को (UNESCO – जिसका पूरा नाम United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization है, जो विश्व की सांस्कृतिक, शैक्षिक और वैज्ञानिक धरोहरों को पहचान और संरक्षण देने के लिए जानी जाती है। यूनेस्को मुख्य रूप से तीन प्रकार की उपाधियां देती हैं, जिनमें- विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Sites), मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर (Memory of the World Register) और अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (Intangible Cultural Heritage) शामिल हैं।

 

बता दें कि विश्व धरोहर स्थल में ऐसे स्थल जिन्हें ऐतिहासिक, सांस्कृतिक या प्राकृतिक दृष्टि से खास माना जाता है, उन्हें इस सूची में शामिल किया जाता है। इसके साथ Memory of the World Register में ऐसे दस्तावेज, पांडुलिपियां, किताबें या ग्रंथ शामिल किए जाते हैं, जिन्हें मानव सभ्यता के लिए जरूरी और प्रेरणादायक माना जाता है। अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर में ऐसी परंपराएं, कला रूप, नृत्य, रीतियां और लोक परंपराएं शामिल की जाती हैं, जो पीढ़ियों से चली आ रही हैं।

 

भारत के भी कई धार्मिक और पर्यटन स्थल, परंपराएं और ग्रंथों को UNESCO के इन सूचियों में शामिल किया गया है। बता दें कि भारत में 42 वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स हैं, जिनमें ताजमहल, कुतुब मीनार, खजुराहो मंदिर, अजंता-एलोरा की गुफाएं, सुंदरबन आदि शामिल हैं। इसके साथ योग परंपरा, कुंभ मेला, छऊ नृत्य, नवरोज, रामलीला, बौद्ध जप परंपराएं आदि को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा मिला है। हाल ही में भगवद गीता और नाट्यशास्त्र को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया गया है। इसके अलावा ऋग्वेद की पांडुलिपियां और तैत्तिरीय संहिता भी सूची में दर्ज हैं।

Related Topic:#Bhagwat Gita#UNESCO

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap