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क्या है शैली हाइड्रो प्रोजेक्ट केस? क्यों घिरी सुक्खू सरकार?

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को हाईकोर्ट से बड़ झटका लगा है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपू्र्ण आदेश पारित करते हुए दिल्ली मंडी हाउस स्थित हिमाचल भवन को अटैच करने का आदेश दिया हैं।

Attachment of the Himachal Bhawan in Delhi Himachal high court

हिमाचल भवन, Image Credit: PTI

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने शैली हाइड्रो प्रोजेक्ट मामले में बकाया राशि का भुगतान न किए जाने पर सोमवार को एक आदेश पारित किया है। कोर्ट ने दिल्ली स्थित राज्य सरकार के हिमाचल भवन की सपंत्ति को अटैच करने का आदेश दिया हैं। साथ ही बिजली विभाग के प्रधान सचिव को इस मामले में फैक्ट फाइंडिंग जांच के आदेश दिए हैं। 

 

हिमाचल भवन के बारें में जानिए

हिमाचल भवन मंडी हाउस के निकट सिकंदरा रोड पर स्थित है। यह भवन लंबे समय से हिमाचल प्रदेश के शीर्ष गणमान्य व्यक्तियों के लिए एक आश्रय स्थल बना हुआ है। दिल्ली दौरे के दौरान राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी इसी भवन में ठहरते हैं। हालांकि, अब इस भवन को मोजर बेयर से बकाया 64 करोड़ रुपए वसूलने के लिए नीलाम किया जा सकता है। मोजर बेयर ही वह कंपनी है जिसने 2009 में शैली हाइड्रो प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए बोली जीती थी। 

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि राज्य सरकार ने लाहौल-स्पीति में चिनाब नदी पर शैली हाइड्रो प्रोजेक्ट को अंतरराष्ट्रीय बोली प्रक्रिया के माध्यम से मोजर बेयर को दिया था। हालांकि, सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CEA) द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) के अनुमोदन में देरी, आदिवासी क्षेत्र में विरोध और बुनियादी ढांचे की बाधाओं के कारण कंपनी को 2017 में इस सौदे से पीछे हटना पड़ा।

 

इस बीच राज्य सरकार ने न केवल प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया, बल्कि कंपनी द्वारा भुगतान किए गए 64 करोड़ रुपये के अग्रिम प्रीमियम को भी जब्त करने का आदेश दिया। कंपनी ने अदालत में इस फैसले को चुनौती दी, जिसमें तर्क दिया गया कि प्रीमियम को जब्त करना संविधान के अनुच्छेद 226 का उल्लंघन है।

कोर्ट के आदेश का नहीं किया पालन

जनवरी 2023 में, उच्च न्यायालय ने मोजर बेयर के पक्ष में फैसला सुनाया और राज्य को 7 प्रतिशत ब्याज के साथ प्रीमियम वापस करने का निर्देश दिया। इसके बावजूद, राज्य सरकार  न्यायालय के आदेशों का पालन करने में विफल रही। 

 

हाईकोर्ट ने क्या दिया आदेश?

हाईकोर्ट ने इस मामले में सरकारी अधिकारियों से जवाबदेही की भी मांग की है। साथ ही पुरस्कार राशि जमा करने में देरी के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करने के लिए तथ्य-खोजी जांच का भी आदेश दिया है। बता दें कि प्रमुख सचिव (बहुउद्देशीय परियोजनाएं और बिजली) को 6 दिसंबर तक रिपोर्ट सौंपने का काम सौंपा गया है। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने कहा है, 'हम फैसले का अध्ययन करेंगे और आगे की कार्रवाई करेंगे।'

 

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