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HMPV के कितने केस, क्या हैं तैयारियां, क्या करें-क्या न करें? समझिए

HMPV वायरस पर केंद्र और राज्य सरकारें अलर्ट पर हैं। किन राज्यों में इस संक्रमण के केस मिले हैं, तैयारियां क्या हैं, विस्तार से समझिए।

HMPV

HMPV वायरस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अलर्ट पर है। (Photo Credit: PTI)

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) से संक्रमित 5 मरीज भारत में सामने आए हैं। बेंगलुरु में एक 3 महीने की बच्ची भी इस वायरस से संक्रमित थी, जिसका अस्पतालमें इलाज चल रहा है। 2 महीने का एक बच्चा भी अहमदाबाद में संक्रमित हुआ है। चेन्नई और तमिलनाडु के सेलम में भी एक-एक संक्रमण के मामले सामने आए हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि जो बच्चे संक्रमित हुए हैं, उनके परिवार की हाल में कोई भी ट्रैवल हिस्ट्री सामने नहीं आई है। HMPV वायरस के मामले चीन में तेजी से बढ़े थे, अब भारत में इस संक्रमण के 5 मामले सामने आए हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि जिन लोगों को संक्रमण हुआ है, उनकी विदेश जाने की कोई ट्रैवेल हिस्ट्री भी नहीं है।

स्वास्थ्य मंत्रालय की क्या है तैयारी?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि HMPV वायरस की निगरानी की जा रही है। इंडियन मेडिकल काउंसिल ऑफ रिसर्च (IMCR) अब पूरे साल HMPV पर लोगों को जागरूक करेगी। कर्नाटक, महाराष्ट्र और दिल्ली की सरकारों ने HMPV संक्रमण को रोकने के लिए कोविड-19 प्रोटोकॉल अपनाने की लोगों को सलाह दी है।

किन्हें ज्यादा सतर्क रहने की है जरूरत?
HMPV वायरस पहली बार साल 2001 में सामने आया था। यह एक सांस संबंधी बीमारी है, जिसके लक्षण फ्लू जैसे हैं। लोगों में खांसी-जुकाम के लक्षण देखे जाते हैं। यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। कम उम्र के बच्चे, बड़े और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों के लिए इस बीमारी का जोखिम ज्यादा है। 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा है?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा है, 'HMPV वायरस नया वायरस नहीं है। इसके लक्षण साल 2001 में ही देखे गए थे। चिंता की कोई बात नहीं है।'

HMPV वायरस है क्या?
HMPV वायरस एक सांस संबंधी बीमारी है। चीन में यह बीमारी तेजी से फैली है। यह एक वायरल फ्लू है, जिसकी वजह से सांस संबंधी दिक्कतें आती हैं। साल 2001 में इस बीमारी की पहचान की गई थी।

HMPV से बचने के लिए क्या करें?
महाराष्ट्र सरकार ने लोगों को HMPV संक्रमण से बचने और संक्रमित होने की स्थिति में क्या करें, क्या न करें से संबंधित एक प्रोटोकॉल बताया है। 

क्या करें?
- जब भी छींक या खांसी आए, नाक को रुमाल या टिशू पेपर से ढकें। 
- हाथ को सैनिटाइज करें।
- अगर आप बुखार, खांसी से संक्रमित हैं तो सार्वजनिक स्थलों पर न जाएं। 
- पौष्टिक आहार लें, खूब पानी पिएं। 
- संक्रमण से बचने के लिए वेंटिलेशन का ख्याल रखें।

क्या न करें? 
हाथ मिलाने से बचें। इस्तेमाल किए गए टिशू पेपर और रूमाल से परहेज करें। बीमार लोगों से संपर्क न साधें। बार-बार अपने नाक, आंख, कान और मुंह को न छुएं। डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा न लें। 

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