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PAK से डीलिंग या कुछ और, कैसे बदला ट्रंप का रुख? पढ़ें पूरी कहानी

डोनाल्ड ट्रंप के पहले और मौजूदा कार्यकाल में पाकिस्तान के प्रति उनके व्यवहार में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहा है। पहले जहां वे काफी सख्त थे तो अब पाकिस्तान की तारीफ करते दिखते हैं।

Donald Trump

डोनाल्ड ट्रंप। (AI Generated Image)

पाकिस्तान के खिलाफ अक्सर सख्त रुख अपनाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का व्यवहार अब बदला-बदला सा दिख रहा है। इसकी चर्चा अमेरिका से इंडिया तक हो रही है। कभी ट्रंप पाकिस्तान को खुलकर 'आतंकी देश' कहते थे, लेकिन अब बदले परिदृश्य में उसे 'महान राष्ट्र' बताने लगे हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का श्रेय भी लेने की कोशिश की। 2018 से अब तक पाकिस्तान के प्रति डोनाल्ड ट्रंप के रूख में कितना बदलाव आया है? आइए जानते हैं।

 

CREW की रिपोर्ट के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में बतौर राष्ट्रपति अन्य देशों से 160 मिलियन डॉलर तक कमाई की थी। राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान ट्रंप का व्यापार खूब फला-फूला। अब यह बात सामने आ रही है कि ट्रंप के परिवार की कंपनी ने पाकिस्तान से क्रिप्टो डील की है। ट्रंप को खुश करने के उद्देश्य से पाकिस्तान ने अपने यहां स्ट्रैजिक बिटकॉइन रिजर्व स्थापित करने पर हामी भरी है। माना जाता है कि इसी डील के बाद ट्रंप का नजारिया पाकिस्तान के प्रति बदला है। वे अब पाकिस्तान को आतंकवाद नहीं, बल्कि व्यापार के चश्मे से देख रहे हैं।

क्रिप्टो डील से पसीजा ट्रंप का दिल

ट्रंप के परिवार ने पिछले साल क्रिप्टो कंपनी वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) का गठन किया। कंपनी में उनके बेटे एरिक और डोनाल्ड ट्रंप जूनियर व जेरेड कुशनर की हिस्सेदारी है। इसी कंपनी ने पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल के साथ समझौता किया है। पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल के सीईओ बिलाल बिन साकिब हैं। माना जाता है कि इसी डील ने ऑपरेशन सिंदूर के वक्त पाकिस्तान को बचाने में मदद की। अब अमेरिकी सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने इस समझौते की जांच की मांग की है। 

झूठ बोल रहा ट्रंप का परिवार

अपने पिछले कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप और उनके परिवार ने दावा किया था कि सभी विदेशी सौदों को रोक दिया गया है। अब राष्ट्रपति पद पर हितों का टकराव नहीं होगा। उनके बेटे एरिक और ट्रंप जूनियर ने भी कहा था, 'मैं और मेरे पिता व्यापार के बारे में बिल्कुल भी बात नहीं करते हैं। उनका कोई हितों से टकराव नहीं है।' अक्टूबर 2019 में एरिक ने फॉक्स न्यूज पर अपनी बात दोहराई और कहा, 'जब मेरे पिता इस देश के कमांडर इन चीफ बने तो हम सभी अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय से बाहर हो गए थे।' जांच में सामने आया कि ट्रंप परिवार ने ऐसा नहीं किया, बल्कि अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए नए समझौते को अमली जामा पहनाया। पाकिस्तान के साथ क्रिप्टो डील ने भी यह साबित किया है। 

आर्थिक मदद रोकने से जारी करने तक

1 जनवरी 2018 को डोनाल्ड ट्रंप ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा था, 'पिछले 15 वर्षों से अमेरिका ने मूर्खतापूर्ण तरीके से पाकिस्तान को 33 बिलियन डॉलर से अधिक की मदद की। उन्होंने हमारे नेताओं को मूर्ख समझा और हमें झूठ व धोखे के अलावा कुछ नहीं दिया। वे उन आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह देते हैं, जिनकी तलाश हम अफगानिस्तान में कर रहे हैं। अब और नहीं! 

 

19 नवंबर 2018 को ट्रंप ने नया बयान दिया और कहा, 'हमें ओसामा बिन लादेन को बहुत पहले ही पकड़ लेना चाहिए था। मैंने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले से ठीक पहले अपनी किताब में उसका जिक्र किया था। हमने पाकिस्तान को अरबों डॉलर की सहायता भेजी, लेकिन उन्होंने हमें कभी नहीं बताया कि वह वहां छिपा है? बता दें कि यह रुख ट्रंप के पहले कार्यकाल का था। दूसरे कार्यकाल में पाकिस्तान के प्रति उनका मिजाज बदल चुका है।

 

जनवरी 2025 में ट्रंप ने दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ ली। अगले ही महीने उन्होंने पाकिस्तान को 397 मिलियन डॉलर की सुरक्षा सहायता जारी कर दी। इसमें कहा गया कि धनराशि को एफ-16 विमानों के रखरखाव में खर्च किया जाएगा, ताकि पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ अभियान में कोई बाधा न पहुंचे। यह भी कहा गया कि इन विमानों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ न किया जाए, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद ऐसी खबरें आई हैं कि पाकिस्तान ने शर्तों का उल्लंघन किया है। 

आतंकवाद का जिक्र क्यों नहीं किया?

इस बार भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव मामले में खास बात यह रही कि ट्रंप और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियों ने अपने बयान में सीमा पार आतंकवाद का जिक्र तक नहीं किया। उनका कहना था कि लाखों लोगों की हमने जान बचाई है, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ मुखर रहने वाले ट्रंप का नया व्यवहार सभी को हैरत में डाल रहा है। पहले कार्यकाल में आतंकवाद को समर्थन देने पर ट्रंप अक्सर पाकिस्तान की आलोचना करते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया।

 

इतना ही नहीं, एक कदम आगे बढ़कर उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश भी कर दी, जबकि वे अपने पहले कार्यकाल में भी यही गलती कर चुके हैं। भारत की नाराजगी के बाद अमेरिका के विदेश विभाग ने तब सफाई दी थी कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है। इसे भारत और पाकिस्तान बातचीत से हल करेंगे, लेकिन इस बार ट्रंप के बयान पर अमेरिकी विदेश विभाग की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

पाकिस्तान को 'महान' देश तक बता डाला

11 मई को डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर बयान जारी किया कि वे पाकिस्तान के साथ व्यापार बढ़ाएंगे। उनका यह बयान भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर के एक दिन बाद आया। अपने बयान में ट्रंप ने भारत के अलावा पाकिस्तान को महान देश बताया। ये वही पाकिस्तान है, जिसे कभी ट्रंप आतंक की पनाहगाह कहते थे, लेकिन आज उसके साथ व्यापार बढ़ाने का दंभ भरते दिख रहे हैं। 

 

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