logo

ट्रेंडिंग:

कैसे थे इंदिरा गांधी के आखिरी पल?

इंदिरा गांधी के रखवाले ही उनके कातिल बन गए। उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों की मनाही के बाद भी 'भरोसा' नहीं छोड़ा था। उन्हें यकीन था कि वे एक बेहतर दुनिया में रह रही हैं, जहां अपने दगा नहीं देते हैं।

Indira Gandhi

भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी। (इमेज क्रेडिट- inc.in)

मौत से पहले किसी को मौत का एहसास होता है? कुछ लोगों के बयान तो इस ओर इशारा करते हैं। वरना क्या पड़ी थी इंदिरा गांधी को जो 30 अक्तूबर 1984 के दिन ये कहतीं कि मैं आज यहां हूं, कल शायद न रहूं। आखिरी सांस तक आप लोगों की सेवा करती रहूंगी और जब मरूंगी तो मेरे खून का एक-एक कतरा भारत को मजबूत करने में लगेगा।'

उनकी बात सच थी। भारत मजबूत हुआ, इतना मजबूत कि वे काम भी हुए, जिनकी किसी को उम्मीद नहीं थी लेकिन इस बयान के ठीक 24 घंटे बाद, इंदिरा गांधी की 31 अक्तूबर 1984 को हत्या हो जाती है। अगर उनके भाषण पर गौर करें  तो यह इशारा मिलता है कि वे जानती थीं कि वे मरने वाली हैं। 

इंदिरा गांधी को मारने वाले कोई और नहीं उनके बॉडीगार्ड ही थे। उन्हें बेअंत सिंह और सतवंत सिंह भून डालते हैं। क्या ये सिर्फ एक हत्या थी या इसकी नींव पहले रखी जा चुकी थी। आखिर क्यों सिख बॉडीगार्ड उन्हें मारना चाहती थीं, उनकी छवि क्यों एंटी सिख बन गई थी, आइए जानते हैं इसकी पूरी कहानी। 

इंदिरा से क्यों नफरत करते थे सिख?

देश में एक वक्त ऐसा आया जब पंजाबी सिखों का एक तबका पाकिस्तान की राह पर चल पड़ा था। कुछ आतंकी पैदा हो गए थे, जिन्हें हिंदुस्तान से नफरत थी। इस आंदोलन का सबसे बड़ा सरगना था जनरैल सिंह भिंडरांवाले। वह पवित्र स्वर्ण मंदिर में बैठा था और पंजाब को सुलगा रहा था। सिक आतंकवादियों के हौसले इतने बढ़ गए थे कि पूरा राज्य ही अराजकता की चपेट में आ गया था।

ऐसे रची गई हत्या की कहानी 

इंदिरा गांधी, ऐसे तेवरों को बर्दाश्त करने वाली राजनेता नहीं थीं। उन्होंने पाकिस्तानी आतंकियों को सबक सिखाते हुए बांग्लादेश का विभाजन कर दिया था तो वे इसे भारत में कैसे बर्दाश्त करतीं। 5 जून 1984 को उन्होंने आदेश दिया कि ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू किया जाए।

अलगाववाद की राह पर चल पड़ा था पंजाब

इस ऑपरेशन का मकसद था कि पंजाब से आतंकवाद का खात्मा। इस मिशन में सेना उतरी थी। स्वर्ण मंदिर के भीतर सेना दाखिल हुई थी और आतंकियों ठिकाने लगा दिया गया था। खालिस्तानियों का सबसे बड़ा नेता भिंडरावाला मारा गया था। स्वर्ण मंदिर के कुछ हिस्सों पर गोलियों के निशान भी पड़े। सिख समुदाय को यह बात अखर गई। 

इंदिरा को आगाह कर रहे थे अधिकारी
खुफिया विभाग के अधिकारियों ने इंदिरा को सतर्क किया था सिख आतंकी हत्या कर सकते हैं। रॉ के पूर्व चीफ आरएन काव इंदिरा गांधी के सुरक्षा सलाह कार थे, उन्होंने आनन-फानन में बेअंत सिंह और सतवंत सिंह जैसे सिख सुरक्षाकर्मियों को उनकी सुरक्षा की ड्यूटी से हटा दिया था। 

इंदिरा की अच्छाई ले गई उनकी जान 

इंदिरा ने किसी की नहीं सुनी। उन्होंने कहा कि जिन सिख गार्डों को दिल्ली पुलिस में भेजा गया है, उन्हें वापस तैनात किया जाए। इस फैसले का सिख समाज में गलत संदेश जाएगा।

बेअंत सिंह और सतवंत सिंह सोचकर आए थे कि इंदिरा गांधी मार डालेंगे। इंदिरा गांधी पर एक डॉक्यूमेंट्री बनने वाले थी, जिसे पत्रकार पीटर उस्तीनोव शूट कर रहे थे। उसी दिन वे ब्रिटिश के पूर्व प्रधानमंत्री जेम्स कैलाहन से भी मिलने वाली थीं लेकिन मारी गईं। 

कैसे थे इंदिरा गांधी के आखिरी लम्हे?

इंदिरा गांधी एक इंटरव्यू के लिए सुबह 9 बजे अपने घर से निकलीं। वे बंगले 1 अकबर रोड की ओर जाने के लिए बढ़ीं, यहीं पीटर उस्तीनोव से वे मुलाकात करने वाली थीं। जैसे ही वे विकेट गेट की ओर पहुंची, उन्होंने एक अधिकारी से कुछ कहा। संतरी बूथ पर तैनात कांस्टेबल सतवंत और बेअंत सिंह को उन्होंने नमस्ते किया और तभी उनसे अपनी रिवॉल्वर निकाल ली। इंदिरा डरीं, उन्होंने पूछा ये क्या कर रहे हो?  वह ताड़तोड़ गोलियां दागने लगता है। बेअंत सिंह ने 4 गोलियां इंदिरा पर उतार दीं। उसने पेट पर ही सारी गोलियां दागी, दूसरी तरफ उसका साथी सतवंत भी खड़ा होता है। उसके पास स्टेनगन होता है, वह एक के बाद एक लगातार 25 गोलियां पीएम पर दाग देता है। 

दोनों जवानों को ITBP के जवान धर दबोचते हैं। वे चिल्लाते हैं कि हमें जो करना था वो कर गए। तभी कोई बेअंत सिंह को गोली मार देता है, वह मौके पर ही दम तोड़ देता है। 

गोलियां लगने की वजह से इंदिरा गांधी अचेत हो जाती हैं। उन्हें अस्पताल ले जाने की तैयारी की जाती है लेकिन एंबुलेंस का ड्राइवर गायब होता है। उन्हें इंदिरा गांधी के सुरक्षाकर्मी दिनेश भट्ट इंदिरा गांधी को एंबेसडर की पिछली सीट पर लिटा देते हैं। एंबेसडर में उनकी बहू सोनिया गांधी भी बैठ जाती हैं, सड़क पर ट्रैफिक ही ट्रैफिक होता है, उनके शरीर से खून बह रहा होता है। AIIMS पहुंचते-पहुंचते सुबह के 9.30 हो जाते हैं, इंदिरा का शरीर काम करना बंद कर देता है। वहां मौजूद डॉक्टरों को भनक लग जाती है कि ये पीएम इंदिरा हैं। उन्हें एलेक्ट्रोकार्डियाग्राम ट्रीटमेंट दी जाती है लेकिन कोई लाभ नहीं होता है। 

 

उन्हें 88 बोतल खून चढ़ाया जाता है लेकिन उनकी जिंदगी नहीं बचती है। खून का बहना रुकता ही नहीं है क्योंकि वे गोलियों से छलियों हो चुकी होती हैं। उनके पेट और चेस्ट का ऑपरेशन होता है लेकिन हर ट्रीटमेंट फेल हो रही थी। AIIMS की बदइंतजामी ऐसी थी कि इंदिरा गांधी का VIP विभाग बंद था। उन्हें लोग कैजुएलटी डिपार्टमेंट व्हील चेयर पर बैठाकर ले गए, उन्हें हार्ट ट्रीटमेंट दी गई लेकिन हर कोशिश नाकाम रही। 

डॉक्टरों के मुताबिक उनके लिवर का दाहिना हिस्सा डैमेज हो गया था, बड़ी आंत में 12 गोलियां लगी थीं, रीढ़ की हड्डी टूट गई थी। बस दिल धड़क रहा था। जल्दी-जल्दी 31 गोलियों को निकाला गया। उनकी मौत हो चुकी थी लेकिन जब राजीव गांधी 2 बजकर 23 मिनट पर एम्स आए तो इंदिरा गांधी की मौत की जानकारी सार्वजनिक की गई। प्रधानमंत्री की मौत हुई थी तत्काल राजीव गांधी को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेनी पड़ी। शपथ लेने के ठीक बाद यह ऐलान किया गया कि इंदिरा गांधी नहीं रहीं।

अगर ये गलती न करतीं इंदिरा तो बच जाती जान 


इंदिरा गांधी से उनके सुरक्षा सलाहकारों को ये बात पता थी कि बेअंत सिंह कुछ संदिग्धों से मुलाकात कर रहा है। इंदिरा के सुरक्षा सलाहकार ने उसे दिल्ली पुलिस में ट्रांसफर कर दिया लेकिन इंदिरा ने ही उसकी बहाली कराई। सतवंत सिंह ने बहाना प्लान बनाकर टॉयलेट के पास अपनी तैनाती ली और बेअंत की भी उसी के पास तैनाती हो गई। दोनों ने ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला ले लिया। सब इंस्पेक्टर बेअंत सिंह को इंदिरा 9 साल से जान रही थीं। राहुल गांधी ने कई इंटरव्यू में कहा है कि वे दोनों को अपना दोस्त बताती थीं। बेअंत सिंह राहुल गांधी के साथ खेलता था। बेअंत सिंह मोती बाग गुरुद्वारा जाता था, वहां वो किसी सिख अलगाववादी से मुलाकात करता था। सतवंत सिंह खुद गुरदास पुर जाकर लौटा था। दोनों ने मिलकर, आयरन लेडी कही जाने वाले इंदिरा गांधी को मार डाला था। 

Related Topic:

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap