23 जून, 1980 यानी आज से ठीक 42 साल पहले एक विमान क्रैश होता हुआ दिल्ली के अशोका होटल के पीछे धड़ाम से गिर जाता है। विमान से गहरा काला धुंआ निकल रहा था, लेकिन आग नहीं लगी थी। लोग विमान के नजदीक पहुंचे तो देखा दो शव पड़े हुए थे। सभी हैरान थे क्योंकि मरने वालों में एक उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी थे। विमान के मलबे से चार फीट की दूरी पर संजय गांधी का शव पड़ा हुआ था तो दूसरी ओर कैप्टेन सुभाष सक्सेना के शरीर का निचला हिस्सा विमान के मलबे से दबा हुआ था।
हादसे से दो दिन पहले खुश थे संजय
हादसे से दो दिन पहले संजय बेहद खुश थे क्योंकि उनका टू सीटर विमान ‘पिट्स एस 2ए’ भारत पहुंच चुका था। आनन-फानन में संजय को बस कार की स्पीड की तरह उस विमान को आसमान में उड़ाना था। विमान सफदरजंग हवाई अड्डे स्थित दिल्ली के फ्लाइंग क्लब में रखवाया गया था। मौत से दो दिन पहले यानी 21 जून, 1980 को संजय ने पहली बार पिट्स की कमान अपने हाथों में ली थी। दूसरे दिन यानी 22 जून को संजय ने अपनी पत्नी मेनका गांधी, मां इंदिरा गांधी के विशेष सहायक आर के धवन और धीरेंद्र ब्रह्मचारी को लेकर उड़ान भरी। लगभग 40 मिनट तक उस विमान को उड़ाने वाले संजय को नहीं पता था कि ये उनकी पत्नी के साथ आखिरी उड़ान होगी।
23 जून की सुबह क्या हुआ?
23 जून की सुबह दिल्ली फ्लाइंग क्लब के पूर्व इंस्ट्रक्टर सुभाष सक्सेना ने विमान में बैठने से पहले चाय ऑर्डर की। उन्होंने बस एक घूंट ही लिया था कि उनका सहायक भागता हुआ आया और बोला कि संजय गांधी विमान में बैठ चुके हैं और उन्हें तुरंत बुला रहे हैं। पिट्स के अगले हिस्से में बैठे सक्सेना और पिछले हिस्से में बैठकर विमान की कमान संजय गांधी ने संभाली। ठीक 7 बजकर 58 मिनट पर विमान टैक ऑफ हुआ। रिहायशी इलाके के ऊपर संजय ने तीन लूप लगाए और चौथी बारी में विमान का इंजन काम करना बंद कर दिया। पिट्स तेजी से मुड़ते हुए सीधे जमीन पर आकर धड़ाम से गिर जाता है। कंट्रोल टावर में बैठे सभी लोग अवाक हो जाते है और आसमान से निकलते देखते है काले धुंए का गुबार।
इंदिरा गांधी खुद को मानती थीं जिम्मेदार
पत्रकार और कॉलमिस्ट निरजा चौधरी की एक किताब ‘How Prime Minister Decide’ में उन्होंने लिखा है कि संजय गांधी की मौत के लिए इंदिरा गांधी खुद को जिम्मेदार मानती थीं। दरअसल, संजय की मौत से एक दिन पहले इंदिरा को चामुंडा देवी की पूजा-अर्चना के लिए हिमाचल रवाना होना था, लेकिन किसी वजह से वो दौरा रद्द हो गया। माना जाता है कि संजय की मौत के बाद इंदिरा गांधी चामुंडा देवी मंदिर गईं थी। किताब में लिखा गया है कि वह मंदिर में देवी मां के पास केवल रोती रहीं। सवाल है कि क्या वह संजय की मौत पर शोक मना रही थीं, या वह देवी से माफी मांग रही थीं? अभी भी संजय गांधी की मौत विवादास्पद हैं, लेकिन इस बात को भी अस्वीकारा नहीं जा सकता कि ये केवल मानवीय भूल थी।