अगर आप अपनी बेटी की ससुराल में घरवालों और दोस्तों के साथ लंबे समय तक टिक जाते हैं तो इसे क्रूरता कहा जा सकता है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने इसे क्रूरता कहा है। एक दंपति की शादी 2005 में हुई थी। कोलाघाट में यह दंपति रह रहा था। पत्नी साल 2008 में कोलकाता आई। तर्क दिया कि वह यहां काम कर सकती है। उसका परिवार भी उसके पति के घर पर ही रहने लगा। इससे दुखी पति कोर्ट पहुंच गया।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने इसे थोपा जाना बताया है। कोर्ट ने कहा है कि पत्नी के परिवार या दोस्तों का उसके पति के घर रहना, वह भी तब जब पत्नी कई-कई दिनों के लिए बाहर हो, लगातार यही दोहराना, पति पर क्रूरता है। इस तरह रहना, याचिकाकर्ता के लिए मुश्किल भरा हो सकता है। यह क्रूरता है।
क्यों पति ने मांगा तलाक?
एक पति ने साल 2008 में तलाक की अर्जी दाखिल की थी। जब शादी के 3 साल बीत गए तो पति ने कोर्ट का रुख किया। उनकी शादी साल 2006 में पश्चिम बंगाल के नबाद्वीप में हुई थी। दोनों साल 2006 में कोलाघाट चले गे थे। वहीं याचिकाकर्ता काम करता था।
साल 2008 में याचिकाकर्ता की पत्नी कोलकाता के नारकेलडांगा चली गई। वह सियालदाह में काम करती थी। उसका कहना था कि वह जहां काम करती है, वहां से यह जगह नजदीक है। क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान उसने कहा कि वह अपने पति से इसलिए दूर हो गई कि ऐसी परिस्थिति ही बन पड़ी।
पति के घर ही टिक गए थे दोस्त और ससुरालवाले
साल 2008 से याचिकाकर्ता की पत्नी कोलाघाट रहने लगी। उसके पति के घर ही उसका एक दोस्त परिवार रहने लगा। साल 2016 में पत्नी उत्तरपाड़ा चली गई। पति ने क्रूरता के आधार पर पत्नी से तलाक मांग लिया। पति ने कहा कि वह अपनी पत्नी से अलग रह रहा है। पति ने कहा कि वह न तो वैवाहिक अधिकारों में रुचि रखती है, न ही वह बच्चा चाहती है कोर्ट ने इसी आधार पर तलाक की मंजूरी दे दी।