इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्स छूट के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक व्यापक जांच अभियान शुरू किया है। यह अभियान उन लोगों के खिलाफ है जो गलत तरीके से टैक्स लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अनुसार, यह एक संगठित रैकेट है जिसमें कुछ पेशेवर मीडिएटर और इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) तैयार करने वाले लोग शामिल हैं। ये लोग कमीशन के बदले टैक्सपेयर्स को ज्यादा रिफंड का लालच देते हैं।
सीबीडीटी ने बताया कि इस धोखाधड़ी में बहुराष्ट्रीय कंपनियों, सरकारी संस्थानों, शैक्षणिक संस्थानों और उद्यमियों के कर्मचारी शामिल हैं। विभाग ने 150 स्थानों पर जांच शुरू की है। इस कार्रवाई का उद्देश्य उन लोगों को पकड़ना है जो आयकर कानून के तहत दी जाने वाली छूट का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।
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क्या है यह धोखाधड़ी?
आयकर कानून में कुछ खर्चों पर छूट दी जाती है, जैसे मकान का किराया, राजनीतिक दलों को डोनेशन, एजुकेशन लोन का ब्याज, मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम, पहली बार घर के लिए लिए गए ऋण का ब्याज और गंभीर बीमारियों के इलाज का खर्च।
लेकिन जांच में पता चला है कि कुछ लोग नकली दस्तावेजों के जरिए इन छूट का गलत फायदा उठा रहे हैं। कुछ मामलों में तो फर्जी टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (टीडीएस) रिटर्न दाखिल कर ज्यादा रिफंड मांगा जा रहा है। डिपार्टमेंट खास तौर पर 10(13A), 80GGC, 80E, 80D, 80EE, 80EEB, 80G, 80GGA and 80DDB के तहत दिए जाने वाले छूट को लेकर जांच कर रहा है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस धोखाधड़ी को पकड़ने के लिए तीसरे पक्ष से मिले फाइनेंशियल डेटा, जमीनी स्तर की जानकारी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स का इस्तेमाल किया है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, गुजरात, पंजाब और मध्य प्रदेश में हाल ही में की गई तलाशी और जब्ती कार्रवाइयों में फर्जी दावों के सबूत मिले हैं। इन मामलों में बिना वैध कारण के टैक्स छूट ली गई है।
कम्युनिकेशन में कमी बड़ी समस्या
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की पूरी प्रणाली डिजिटल होने के बावजूद, टैक्सपेयर्स तक सही जानकारी पहुंचाने में दिक्कत हो रही है। सीबीडीटी ने बताया कि कुछ आईटीआर तैयार करने वाले लोग अस्थायी ईमेल आईडी बनाते हैं, जिनका इस्तेमाल वे कई रिटर्न दाखिल करने के लिए करते हैं। बाद में ये ईमेल आईडी छोड़ दी जाती हैं, जिसके कारण विभाग के नोटिस पढ़े नहीं जाते।
विभाग की पहल और सख्ती
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ‘पहले टैक्सपेयर्स पर भरोसा’ के सिद्धांत के तहत स्वैच्छिक अनुपालन पर जोर दिया है। पिछले एक साल में विभाग ने एसएमएस और ईमेल के जरिए टैक्सपेयर्स को सही रिटर्न दाखिल करने के लिए प्रेरित किया है। इसके अलावा, जमीनी स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए गए हैं। नतीजतन, पिछले चार महीनों में करीब 40,000 टैक्सपेयर्स ने अपने रिटर्न में सुधार किया और 1,045 करोड़ रुपये के गलत दावों को वापस लिया।
हालांकि, कुछ लोग अभी भी गलत रिटर्न दाखिल कर रहे हैं, संभवतः इस रैकेट के मास्टरमाइंड के प्रभाव में ऐसा किया जा रहा है। सीबीडीटी ने चेतावनी दी है कि अब ऐसी धोखाधड़ी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसमें जुर्माना और कानूनी कार्रवाई शामिल हो सकती है। 150 स्थानों पर चल रही जांच में डिजिटल रिकॉर्ड सहित महत्वपूर्ण सबूत मिलने की उम्मीद है, जो इन रैकेट्स को तोड़ने में मदद करेंगे।
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टैक्सपेयर्स को सलाह
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्सपेयर्स से अपील की है कि वे अपनी आय और संपर्क जानकारी सही-सही दें। अनधिकृत एजेंटों या मध्यस्थों के बहकावे में न आएं, जो गलत रिफंड का वादा करते हैं। विभाग ने कहा कि सही रिटर्न दाखिल करने से न केवल कानूनी परेशानियों से बचा जा सकता है, बल्कि यह देश के टैक्स सिस्टम को पारदर्शी और मजबूत बनाने में भी मदद करेगा।