भारत जनसंख्या के हिसाब से सबसे बड़ा देश बनने की ओर है। इकोनॉमी और अन्य क्षेत्रों में भी भारत अच्छा कर रहा है। इसके बावजूद कई ऐसे क्षेत्र में जहां भारत अभी भी समस्याओं से जूझ रहा है। हेल्थ सेक्टर भारत के लिए ऐसा ही है। लगातार सुधार के बावजूद स्वास्थ्य सुविधाओं, डॉक्टरों की संख्या और अन्य मामलों में भारत की स्थिति संतोषजनक नहीं है। हाल ही में सरकार ने एक हजार व्यक्ति पर अस्पताल बेड की संख्या का डेटा सामने रखा है। यह डेटा दिखाता है कि बेड की संख्या के मामले में भारत खुद अपने और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानक के हिसाब से काफी पीछे है। शायद यही वजह है कि देश के प्रतिष्ठित अस्पतालों से लेकर छोटे अस्पतालों में भी मरीजों को बेड के लिए जूझना पड़ता है।
साल 2018 में आई लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल 16 लाख लोगों की मौत खराब हेल्थकेयर सिस्टम की वजह से हो जाती है। बता दें कि भारत अपनी जीडीपी की सिर्फ 2.1 प्रतिशत हिस्सा ही स्वास्थ्य पर खर्च करता है जबकि वैश्विक औसत 6 पर्सेंट है। ऐसा ही कुछ भारत की संसद में बताया गया है जो यह दर्शाता है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत की स्थिति इतनी खराब क्यों है।
कहां से सामने आई बात?
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के मुखिया और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने लोकसभा में सवाल पूछा था। इस सवाल में पूछा गया था, 'नेशनल हेल्थ पॉलिसी 2017 में सुझाव दिया गया था कि 1000 लोगों पर दो अस्पताल बेड होने चाहिए। क्या हमारे देश में 1000 लोगों पर सिर्फ 0.6 बेड ही हैं?' इस सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि नेशनल हेल्थ पॉलिसी 2017 के मुताबिक, 1000 लोगों पर 2 बेड होने चाहिए।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने आगे कहा है कि मौजूदा सरकार में भारत सरकार द्वारा बनाए गए इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड्स (IPHS) के मुताबिक, स्वास्थ्य सुविधाएं तय की जाती है। जवाब में आगे कहा गया है, 'IPHS 2022 के सुझाव के मुताबिक, 1000 लोगों पर कम से कम 1 बेड या इच्छा अनुसार 2 बेड हो सकते हैं। इसी के मुताबिक, 20 हजार से 30 हजार जनसंख्या पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में 6 बेड होने चाहिए। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर 30 बेड, तहसील स्तर पर 31 से 100 बेड और जिला अस्पताल स्तर पर 101 से 500 बेड होने चाहिए।'
कितना पीछे है भारत?
अपने जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय ने माना है कि 31 मार्च 2023 तक भारत में प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, तहसील स्तर के अस्पताल, जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में मिलाकर कुल 8,18,661 बेड ही थे। भारत में लगभग 138 करोड़ लोग रहते हैं। इसके हिसाब से भारत के 1000 लोगों पर 0.79 बेड ही उपलब्ध हैं, जो कि मानक से काफी कम है।
अगर इसमें प्राइवेट अस्पतालों के बेड की संख्या भी जोड़ ली जाए तब भी यह आंकड़ा 1.3 तक ही पहुंचता है जो कि 1000 व्यक्ति पर 2 बेड की संख्या से कम है। मानक के हिसाब से देखा जाए तो भारत में लगभग 24 लाख बेड की कमी है। आपको यह भी बता दें कि ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) जिसमें अमेरिका जैसे देश शामिल हैं उनमें 1000 व्यक्तियों पर 3 से लेकर 8 बेड तक उपलब्ध हैं।
राज्यों की स्थिति
राज्यों के हिसाब से देखें तो सबसे आगे केरल है लेकिन वहां भी 1000 व्यक्ति पर 1.3 बेड ही उपलब्ध हैं। तमिलनाडु में 1.07 बेड, राजस्थान में 0.82 बेड और बिहार में सिर्फ 0.22 बेड ही 1000 लोगों के लिए उपलब्ध हैं। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 1000 की जनसंख्या पर 0.33 बेड ही उपलब्ध हैं।