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42 दिनों की भूख हड़ताल, जिद पर अड़े डल्लेवाल, अब कैसी है तबीयत?

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल बीते 42 दिनों से आमरण अनशन पर हैं। वह अपनी मांगों को लेकर खनौरी बॉर्डर पर डंटे हुए हैं।

Jagjit Singh Dallewal

26 नवंबर से धरने पर हैं जगजीत सिंह डल्लेवाल। (Photo Credit: PTI)

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की हालत नाजुक है। बीते 42 दिनों से लगातार आमरण अनशन पर बैठने की वजह से उन्हें दिक्कतें आईं हैं। उनका ब्लड प्रेशर लो हो गया है। किसान नेता के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए चिकित्सकों की एक टीम उनके साथ है।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित एक समिति ने सोमवार को ही पंजाब और हरियाणा की खनौरी सीमा पर बैठे जगजीत सिंह डल्लेवाल से मुलाकात की थी। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जज नवाब सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने डल्लेवाल से मुलाकात की थी।

समिति के सदस्यों ने जगजीत सिंह डल्लेवाल से अनुरोध किया था कि वह अपना इलाज कराने के लिए तैयार हो जाएं। जगजीत सिंह डल्लेवाल संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के संयोजक हैं। वह किसानों की मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं।


 कब से धरने पर हैं जगजीत सिंह डल्लेवाल?
 जगजीत सिंह डल्लेवाल बीते 26 नवंबर 2024 से आमरण अनशन पर हैं। डॉक्टरों का कहना है कि डल्लेवाल का ब्लड प्रेशर 80/56 तक गिर गया है. डॉ. अवतार सिंह ने कहा, 'उनकी हालत बिगड़ गई है। उनका ब्लड प्रेशर तेजी से गिरा है। उनकी हालत देखकर हम चिंतित हैं। हम उन्हें कोई चिकित्सकीय सहायता नहीं दे सकते।'

NGO रिवर्स हार्ट एसोसिएशन की टीम में शामिल डॉ. अवतार सिंह ने कहा, 'हमने उनके पैर ऊपर किए जिसके बाद उनके ब्लड फ्लो में थोड़ा सुधार हुआ है। 

चाहते क्या हैं किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल?

जगजीत सिंह की मांग है कि लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। खाद सस्ती हो, डीएपी खाद की किल्लत को दूर करने की कोशिश सरकार करे। फसलों की कीमत स्वामिनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर तय की जाए, जिससे किसानों का जीवन सुधरे। सभी फसलों की खरीद पर कानूनी गारंटी मिले। 

जगजीत सिंह डल्लेवाल चाहते हैं कि संविधान की पांचवी सूची को लागू किया जाए, जिससे आदिवासियों की जमीनों अवैध तरीके से न बिके। मिर्च, हल्दी और दूसरी व्यापारिक फसलों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक आयोग बने। 

उनकी मांग है कि विद्युत संशोधन विधेयक रद्द कर दिया जाए। मनरेगा में 200 दिन काम और 700 रुपये की दिहाड़ी अनिवार्य की जाए। जिन किसानों की आंदोलन के दौरान मौत हुई है, उन्हें सरकारी नौकरी दी जाए, मुआवजा मिले।

उनकी मांग है कि किसानों के हित में मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगा दी जाए। किसानों का कर्ज माफ किया जाए, किसानों को पेंशन दी जाए। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू की जाए। 

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