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महिलाओं को 'Divorcee' कहने-लिखने पर कोर्ट ने क्यों लगाई रोक? समझिए

13 फरवरी, 2025 को एक ऐतिहासिक फैसले में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। अब कानूनी कार्यवाही में महिलाओं के लिए 'तलाकशुदा' शब्द का इस्तेमाल नहीं होगा।

ban of use of word divorcee

तलाकशुदा महिला, Photo Credit: freepik

'आज के दौर में भी एक तलाकशुदा महिला को इस तरह अदालती कागजात में डाइवोर्सी लिखा जा रहा है जैसे कि यह उसका कोई सरनेम हो। ऐसा करना एक बुरी आदत है जिस पर तुरंत रोक लगनी चाहिए।' ये टिप्पणी जस्टिस विनोद चटर्जी ने एक मामले की सुनवाई के दौरान की है। हाल ही में, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने तलाकशुदा महिलाओं को 'डाइवोर्सी' कहकर संबोधित करने पर रोक लगाई है। 

 

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि आज भी महिलाओं को तलाकशुदा पुकारना कष्टदायक है। जस्टिस कौल ने निचली अदालतों को सख्त निर्देश जारी कर कहा कि चाहे मामला विवाह का हो या कोई और.. सभी अर्जी, अपील और अदालती दस्तावेजों में तलाकशुदा महिलाओं को डाइवोर्सी पार्टी कहने के बजाय उनका पूरा नाम लिखा जाए।

 

क्या लगेगा जुर्माना? 

महिला के लिए तलाकशुदा शब्द के इस्तेमाल पर 20 हजार का जुर्माना लगेगा। इस जुर्माने को एक महीने के अंदर जमा कराना होगा। ऐसा नहीं करने पर कोर्ट हर तरह की कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगी। अदालत ने निर्देश दिया है कि अगर किसी याचिका या अपील में महिला को 'डाइवोर्सी' कहकर संबोधित किया जाता है, तो वह याचिका रजिस्टर्ड नहीं की जाएगी। इस निर्णय का उद्देश्य महिलाओं की गरिमा और सम्मान की रक्षा करना है, ताकि उन्हें तलाकशुदा होने के आधार पर किसी प्रकार का सामाजिक कलंक न झेलना पड़े।

 

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क्या कहता है 'तलाकशुदा' शब्द का इतिहास

भारत में 'तलाकशुदा' शब्द का इस्तेमाल विवाह विच्छेद (डाइवोर्स) के कानूनी मान्यता प्राप्त होने के बाद शुरू हुआ। यह शब्द ब्रिटिश शासन के दौरान अस्तित्व में आया, जब हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 और मुस्लिम पर्सनल लॉ जैसे कानून लागू किए गए।  पहले समाज में तलाक को कलंक माना जाता था लेकिन कानूनी सुधारों के बाद इसे वैध अधिकार के रूप में स्वीकार किया गया।

 

प्राचीन भारत में हिंदू विवाह को इंसेपरेबल बॉन्ड (Inseparable bond) माना जाता था और तलाक की परंपरा बहुत सीमित थी। 1955 में हिंदू विवाह अधिनियम लागू हुआ, जिसमें कानूनी रूप से हिंदू, बौद्ध, जैन, और सिख महिलाओं को तलाक लेने का अधिकार मिला। वहीं, मुस्लिम समुदाय में तलाक की प्रथा पहले से मौजूद थी और शरिया कानून के तहत इसे मान्यता प्राप्त थी। हालांकि, मुस्लिम महिला (तलाक अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को अपराध घोषित किया गया।


दरअसल, भारत में अंग्रेजों के शासन के दौरान 'डाइवोर्सी' शब्द खूब प्रचलित हुआ। बाद में इसका हिंदी नाम आया तलाकशुदा जिसे महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा। अब जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने तलाकशुदा महिलाओं को 'डाइवोर्सी' कहने पर प्रतिंबध लगा दिया है और कहा कि यह शब्द महिलाओं के सम्मान के खिलाफ है। इसके तहत दस्तावेजों और कानूनी फाइलों में अब इस शब्द का उपयोग नहीं करने की हिदायत दी गई है।

 

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'तलाकशुदा' कहने या दस्तावेजों में लिखे होने से क्या आती है दिक्कतें?

वैसे को तलाकशुदा शब्द का इस्तेमाल महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए किया जाता है लेकिन अधिकत्तर इसका इस्तेमाल महिलाओं के लिए होता है। समझें महिलाएं भी इस शब्द को सुनने की आदि हो चुकी हैं। ऐसे में इन्हें कई तरह की सामाजिक, मानसिक और कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 

 

कलंक- भारतीय समाज में तलाक को अब भी एक गलत नजरिए से देखा जाता है, खासकर महिलाओं के लिए। तलाकशुदा महिला को समाज में कमतर समझा जाता है जिससे दोबारा शादी करने, नौकरी पाने या रिश्ते बनाने में दिक्कतें आती हैं। 

 

पारिवारिक दबाव- कई परिवार तलाकशुदा महिलाओं को आर्थिक और मानसिक सहयोग देने से कतराते हैं। वहीं, तलाकशुदा शब्द के कारण नए रिश्ते बनाना मुश्किल हो सकता है।
दोबारा शादी में कई लोग तलाकशुदा व्यक्ति को अपनाने में हिचकिचाते हैं।

 

कानूनी और प्रशासनिक दिक्कतें- अगर किसी महिला के आधार कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड या अन्य सरकारी दस्तावेजों में 'तलाकशुदा' लिखा हो, तो उसे कई जगहों पर भेदभाव का सामना करना पड़ सकता है। कुछ मामलों में बैंक लोन, सरकारी योजनाओं या बच्चों की कस्टडी में यह शब्द नुकसानदायक साबित हो सकता है।

 

मानसिक और भावनात्मक दिक्कतें- जब भी सरकारी या निजी दस्तावेजों में 'तलाकशुदा' लिखा होता है, तो ऐसे में व्यक्ति को बार-बार अपना अतीत याद दिलाया जाता है। इससे मानिसक तनाव बढ़ सकता है और आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंच सकता है। 

 

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हालिया बदलाव लाएगा नई उम्मीद?

जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का आदेश

बता दें कि तलाकशुदा शब्द का इस्तेमाल आम बोलचाल और सरकारी या कानूनी दस्तावेज में होता है। ऐसे में अब कोर्ट ने कहा है कि तलाकशुदा महिलाओं को 'Divorcee' कहना या सरकारी कागजों में यह लिखना महिलाओं के सम्मान के खिलाफ है। इस शब्द का उपयोग कानूनी दस्तावेजों में करने से बचने की सलाह दी गई है। ऐसे में सरकारी रिकॉर्ड में Marital Status (वैवाहिक स्थिति) के तहत सिर्फ विवाहित और अविवाहित या सिंगल जैसे ऑप्शंस दिए जा सकते है। 

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