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मेरा बच्चा मुझे ला दो..झांसी अग्निकांड में रोती-बिलखती महिलाओं की अपील

झांसी मेडिकल कॉलेज के चिल्‍ड्रन वार्ड (NICU) में शुक्रवार देर रात भीषण आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर शोक व्यक्त किया।

Jhansi Medical College fire

झांसी मेडिकल कॉलेज, Image credit: PTI

महिला को जब पता चलता है कि वो मां बनने वाली है तो वो अपने पेट में पल रहे नवजात की देखरेख उसी दिन से शुरू कर देती है। 9 महीने तक गर्भ में बच्चा बिल्कुल सुरक्षित रहकर इस दुनिया में जन्म लेता है। बच्चों को क्रिटिकल कंडीशन और इंफेक्शन से दूर रखने के लिए अस्पतालों में शिशु वार्ड (NISU) बनाए गए हैं, जिसमें वे सुरक्षित रह सकें। ऐसा ही कुछ झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में एक शिशु वार्ड यानी स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट बनाया गया है, जहां शुक्रवार को 10 से अधिक नवजात चैन की नींद सो रहे थे। हालांकि, वो जितने सुरक्षित मां के गर्भ में थे, यहां न रह सके।

 

शुक्रवार की रात 10 बजकर 30 मिनट पर पता चलता है कि इस यूनिट में आग लग गई है और वहां मौजूद नवजात नींद में ही दम तोड़ चुके थे। 1 नहीं बल्कि 10 नवजात बच्चों की जिंदा जलने से मौत हो चुकी थी। जैसे ही इसकी खबर माता-पिता को लगती है वह दौड़ते हुए अपने बच्चे की तलाश करने लगते है, लेकिन उन्हें क्या पता था कि अब उनका बच्चा इस जिंदगी में नहीं रहा। पूरे कैंपस में चीख-पुकार मच गई। जहां नवजात बच्चों को भर्ती किया गया था वहां से अब एक-एक करके बच्चों के शव निकल रहे थे। हालांकि, कुछ नवजात बच्चों को रेस्क्यू कर लिया गया है। 

 

विचलित कर देगी आपको ये खबर
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, घटनास्थल पर फायर ब्रिगेड लगी हुई थी। पुलिस फोर्स भी तैनात थे। माता-पिता टकटकी लगाए शिशु वार्ड की ओर इस उम्मीद में थे कि उनका बच्चा जिंदा होगा। डॉक्टर शिशु वार्ड से नवजात बच्चों को बाहर निकाल रहे थे, लेकिन वो बच्चे पूरी तरह से झुलस चुके थे। नर्स बच्चों को बचाने के लिए दौड़ रही थी और माता-पिता इस आस में दौड़ रहे थे कि शायद ये बच्चा उनका होगा।

 

वार्ड की खिड़की से बच्चों का हो रहा था रेस्क्यू
SNCU की खिड़की से नवजात बच्चों का रेस्क्यू किया जा रहा था। लाइट चले जाने के कारण चारों तरफ अंधेरा था। हर जगह से दवाई की दुर्गंध आ रही थी। 10 बच्चों की जिंदा जलने से मौत हो चुकी थी। जिन मशीनों में शिशु को रखा जाता है वो पूरी तरह से जलकर राख हो चुका था। वार्ड में कुछ था तो आग से राख हो चुकी काली दिवारें...

 

'मेरा बच्चा ला दो'
मेरा बच्चा मुझे दे दो, मेरा बेटा कोई ला दो, मेरी बेटी कहां है? एक बार मुझे मेरे बच्चे से मिला दो....हर मां की जुबान से बस एक ही बात सुनी जा रही थी। रोती-बिलखती ये महिलाएं  शांत तो हो रही थी, लेकिन बेहोशी से उठने के बाद कोई अपने पति से तो कोई अपने पिता से बस ये गुहार लगा रहा था कि उनका बच्चा उन्हें वापस कर दें। आधे धंटे के भीतर सभी की दुनिया उजड़ चुकी थी।

 

अस्पताल में दो केयर यूनिट

डीएम अविनाश कुमार ने बताया कि आंधे घंटे के भीतर ही यह घटना हुई। उन्होंने बताया कि अस्पताल में बच्चों के दो वार्ड हैं। एक यूनिट अंदर की तरफ है और दूसरी बाहर की तरफ। अंदर वाले यूनिट में क्रिटिकल कंडीशन वाले बच्चों को रखा जाता है। कई बच्चों का रेस्क्यू किया गया है। गंभीर रूप से घायल बच्चों का इलाज किया जा रहा है। 10 बच्चों की मौत होने की सूचना मिली है।

 

54 बच्चे थे भर्ती

अभी तक यह कन्फर्म नहीं हुआ था कि वार्ड में कितने बच्चे भर्ती थे। हालांकि, झांसी के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक सचिन माहोर ने बताया कि वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे। आग ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में लगी थी जो पूरे कमरे में फैल गई। 10 बच्चों की मौत हुई है। बाकी का इलाज किया जा रहा है। ऐसी घटना पहली बार नहीं हुई है, हर साल खबरें बनती है और कुछ समय बाद इसे भुला दिया जाता है। जिस मां ने 9 महीने अपने नवजात को गर्भ में सुरक्षित रखा वो अब इस दुनिया में नहीं रहा। फिर से वहीं सवाल गलती किसकी? कौन इन मौतों का जिम्मेदार? 

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