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7 साल में यौन उत्पीड़न के 151 केस, JNU में ये क्या हो रहा है?

इंटरनल कंप्लेंट कमेटी के काम करने के तरीके को लेकर छात्रों का एक धड़ा आवाज उठाता रहा है। छात्र संघठनों का कहना है कि यह संस्था पारदर्शी नहीं है।

JNU Sexual Harassment

JNU कैंपस में स्टूडेंट प्रोटेस्ट भी हुए थे। (तस्वीर-PTI)

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जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में साल 2017 से लेकर अब तक 151 यौन उत्पीड़न के मामले सामने आ चुके हैं। साल 2017 में ही जेंडर सेंसिटाइजेशन कमेटी अगेंस्ट हैरेसमेंट (GSCASH) की जगह इंटरनल कंप्लेंट कमेटी(ICC) बनाई गई थी। यह आंकड़ा, साल 2017 से लेकर 2024 तक के बीच का है।

एक RTI के जवाब में विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया है कि 98 प्रतिशत शिकायतों का निपटारा, आंतरिक समिति (ICC) ने ही कर ली है। 3 मामलों की जांच चल रही है। यह सवाल, सूचना के अधिकार (RTI) के तहत पूछा गया था, जिसका जवाब JNU प्रशासन ने दिया है। 

समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक RTI में यह भी पूछा गया था कि पीड़ित लड़कियों ने किस तरह की शिकायतें दर्ज कराई हैं, दोषियों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई है। जवाब में JNU प्रशासन ने इस प्रकरण में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया है और कहा कि यह गोपनीय मामला है, जिसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।

ICC नहीं, GSCASH की क्यों होती है मांग?

साल 2017 में ही GSCASH को हटाने का फैसला लिया गया था। इस मुद्दे पर जमकर बवाल भड़का था। कुछ छात्रों ने इसके विरोध प्रदर्शन भी किाया था। छात्र संघ और शिक्षक संघ ने भी इसका विरोध किया था। मांग उठाई गई थी कि GSCASH को बहाल कर दिया जाए। 

जेएनयू छात्रसंघ और शिक्षक संघ का कहना था कि आंतरिक समिति में पारदर्शिता का अभाव है। यह स्वायत्त नहीं है, यह प्रशासन के दबाव में काम करती है। प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में है। GSCASH स्वतंत्र रूप से यौन उत्पीड़न के मामलों को निपटाने में सक्षम संस्था थी। 

किस साल, कितने यौन उत्पीड़न के केस सामने आए?

RTI के आंकड़े बताते हैं कि साल 2018 से 2019 के बीच में सबसे ज्यादा 63 शिकायतें मिली हैं। ICC बनने से पहले साल 20116 में 38 रिकॉर्ड मामले दर्ज हुए है। कोविड-19 महामारी के दौरान साल 2019 से लेकर 2021 के बीच में केवल 6 शिकायतें मिली थीं। कैंपस गतिविधियां बाधित थीं,जिसकी वजह से शिकायतें कम मिलीं।  साल 2022 से लेकर 2023 और 2022 से 2023 के बीच 30 शिकायतें दर्ज हुईं। 2017-18 में 17 मामले, 2018 से 2019 के बीच में 63, 2019-2020 में 5 केस, 2020-21 में एक केस, 2021 से 2022 के बीच 5 मामले दर्ज हुए। 

साल 2015 में दिल्ली महिला आयोग (DCW) ने बताया था कि JNU में 2013 से 2015 के बीच, दिल्ली के शैक्षणिक संस्थानों में से सबसे ज्यादा 51 केस दर्ज हुए थे। हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आए, जिसके बाद यौन उत्पीड़नों की वजह से कैंपस चर्चा के केंद्र में आया। 

फ्रेशर पार्टी में छेड़छाड़, कैंपस छोड़ना पड़ा, JNU में ये क्या हुआ?

अक्तूबर में 47 छात्राओं ने शिकायत की थी कि फ्रेशर पार्टी के दौरान उनका यौन उत्पीड़न हुआ, मारपीट की गई। अप्रैल में एक छात्रा 12 दिनों तक लगातार कैंपल में हड़ताल पर बैठी थी। छात्रा का कहना था कि उसकी शिकायत नहीं सुनी जा रही है। प्रदर्शन में शामिल रहने वाले छात्रों के खिलाफ एक्शन लिया गया था। अप्रैल में JNUSU ने दावा किया कि एक छात्रा के साथ एक प्रोफेसर ने छेड़छाड़ की थी, उसे कैंपस छोड़ना पड़ा। आंतरिक समिति के काम करने के तरीके पर सवाल भी उठे थे। 

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