logo

ट्रेंडिंग:

'हिंदी-अंग्रेजी से खत्म हो रहा बच्चों का टैलेंट', कर्नाटक CM ने छेड़ा भाषा विवाद

कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार पर कन्नड़ भाषा की उपेक्षा का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि केंद्र भाषा को बढ़ावा देने के लिए जरूरी धन मुहैया नहीं करवा रही है।

Karnataka CM Siddaramaiah.

कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया ने केंद्र पर साधा निशाना। (Photo Credit: X/@siddaramaiah)

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

दक्षिण के राज्यों में भाषा विवाद थमता नहीं दिख रहा है। तमिलनाडु के बाद अब कर्नाटक ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है। शनिवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप मढ़ा। उनका कहना है कि केंद्र कन्नड़ की उपेक्षा कर रहा है। जबरन हिंदी को थोपा जा रहा है। बता दें कि कर्नाटक से पहले तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने भी त्रिभाषा विवाद पर अपना विरोध दर्ज कराया था। वहीं महाराष्ट्र में भी हिंदी बनाम मराठी पर खूब सियासत हुई। 

 

बेंगलुरु में कर्नाटक के स्थापना दिवस पर सीएम सिद्धारमैया ने दावा किया कि केंद्र सरकार कर्नाटक के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। कर्नाटक 4.5 लाख करोड़ रुपये राजस्व के तौर पर केंद्र को देता है। मगर प्रदेश को उसका वाजिब हिस्सा की जगह बहुत कम धनराशि मिलती है। प्रदेश को विकास कार्यों के लिए भी धन नहीं दिया जा रहा है।

 

यह भी पढ़ें: आंध्र प्रदेश के वेंकटेश्वर मंदिर में भगदड़ में 9 लोगों की मौत कई घायल

कन्नड़ के साथ अन्याय हो रहा: सिद्धारमैया

सिद्धारमैया ने अपने संबोधन में भाषा विवाद भी छेड़ा। उन्होंने प्रदेश के लोगों से कन्नड़ की खिलाफत करने वाले लोगों का विरोध करने की अपील की। सीएम सिद्धारमैया ने कहा, 'हिंदी को थोपने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। हिंदी और संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए अनुदान दिया जाता है, जबकि देश की अन्य भाषाओं की उपेक्षा की जाती है।' 

 

उन्होंने आगे आरोप लगाया, 'शास्त्रीय भाषा कन्नड़ को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त धनराशि नहीं दी जा रही है। यह कन्नड़ के साथ अन्याय है। हमें उन सभी का विरोध करना होगा, जो कन्नड़ विरोधी हैं।' 

 

यह भी पढ़ें: ऐक्टर्स से संपर्क, फिल्म पर चर्चा; रोहित आर्य ने बंधक बनाने का कैसे बुना जाल?

'मातृभाषा में पढ़ाने का कानून बने'

सीएम ने दावा किया कि शिक्षा के क्षेत्र में कन्नड़ भाषा की उपेक्षा से कई समस्याएं जन्मी हैं। विकसित देशों के बच्चे अपनी मातृभाषा में सोचते, सीखते और सपने देखते हैं। मगर यहां हालात इसके उलट हैं। हिंदी और अंग्रेजी हमारे बच्चों के टैलेंट को कमजोर कर रही हैं। इसी कारण मातृभाषा को शिक्षा के माध्यम के तौर पर लागू करने की खातिर कानून बनाने की जरूरत है। मैं जोर देकर कहता हूं कि केंद्र को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए।

 

 

Related Topic:#karnataka

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap