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EC ने राहुल गांधी को भेजा नोटिस, 'वोट चोरी' के आरोप का मांगा सबूत

कर्नाटक चुनाव आयोग ने पत्र लिखकर कहा है कि अपने दावों को साइन करके भेजें और जिन लोगों के नाम गलत तरीके से लिस्ट में जोड़े जाने का दावा किया गया है उसे भी बताएं।

rahul gandhi during a press conference । Photo Credit: PTI

राहुल गांधी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान । Photo Credit: PTI

कर्नाटक चुनाव आयोग ने गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी से उनके 'वोट चोरी' के दावे को साबित करने के लिए औपचारिक घोषणा पत्र जमा करने को कहा है। आयोग ने राहुल गांधी से उन मतदाताओं के नाम भी मांगे हैं, जिन्हें कथित तौर पर वोटर लिस्ट में गलत तरीके से शामिल किया गया है।

 

कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने राहुल गांधी को एक पत्र लिखकर कहा, 'कृपया संलग्न घोषणा पत्र/शपथ को हस्ताक्षर करके लौटाएं। साथ ही उन मतदाताओं के नाम  बताएं, ताकि जरूरी कार्रवाई शुरू की जा सके।' यह घोषणा पत्र 1960 के मतदाता पंजीकरण नियमों के तहत मांगा गया है। आयोग ने यह भी चेतावनी दी कि झूठा सबूत देना या गलत घोषणा करना भारतीय दंड संहिता की धारा 227 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 31 के तहत दंडनीय है।

 

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राहुल गांधी का जवाब  

राहुल गांधी ने कहा, 'मैं एक राजनेता हूं। मेरे शब्द ही मेरी शपथ हैं। हम जो डेटा दिखा रहे हैं, वह चुनाव आयोग का है, हमारा नहीं। उन्होंने हमारे दावों को गलत नहीं बताया। वे सच जानते हैं।' राहुल ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र, हरियाणा और मध्य प्रदेश के हाल के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पक्ष में काम किया और बड़े पैमाने पर वोटर धोखाधड़ी की। उन्होंने कहा, 'महाराष्ट्र में चुनाव आयोग ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव चुराया।'

आयोग ने क्या कहा?  

कर्नाटक चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाता सूची पूरी तरह पारदर्शी तरीके से तैयार की गई थी। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि अब कर्नाटक में सांसदों के चुनाव को चुनौती नहीं दी जा सकती, क्योंकि इसके लिए समय सीमा खत्म हो चुकी है। चुनाव परिणामों को केवल हाई कोर्ट में चुनाव याचिका के जरिए चुनौती दी जा सकती है। आयोग ने राहुल गांधी से गुरुवार शाम तक हस्ताक्षरित घोषणा पत्र और शपथ जमा करने की उम्मीद जताई है। इस मामले में आगे की कार्रवाई उनके जवाब पर निर्भर करेगी।

क्या था आरोप

राहुल गांधी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके चुनाव आयोग और बीजेपी पर वोट चोरी करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि एग्जिट पोल कुछ कहता है लेकिन जब चुनाव के नतीजे आते हैं तो कुछ का कुछ हो जाता है और ऐसे में चुनाव आयोग डिजिटल डेटा क्यों नहीं देता है।

 

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आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा था, 'हम भारत में चुनावों को देख रहे हैं। सबसे अहम बात यह है कि एक व्यक्ति, एक वोट का विचार कितना सुरक्षित है? क्या सही लोगों को वोट देने को मिल रहा है? फर्जी लोगों को वोटर लिस्ट में जोड़ा रहा है और वोटर लिस्ट सही है या नहीं?'

 

राहुल गांधी ने कहा था कि कर्नाटक के एक निर्वाचन क्षेत्र में 1,00,250 'वोट चोरी' हुई है, जिसमें एक विधानसभा क्षेत्र में 11,965 डुप्लीकेट मतदाता हैं, 40,009 मतदाता फर्जी और अवैध पते वाले हैं, 10,452 मतदाता सामूहिक या एक जैसे पते वाले हैं, 4132 मतदाता अवैध फोटो वाले हैं और 33,692 मतदाता नए मतदाताओं के फार्म 6 का दुरुपयोग कर रहे हैं।

चुनाव आयोग ने मांगे सबूत

राहुल गांधी ने जो कुछ कहा अगर वह इसे सही मानते हैं तो उन्हें 1960 के मतदाता पंजीकरण नियम 20 (3)(b) के तहत कर्नाटक चुनाव आयुक्त को घोषणापत्र साइन करके आज ही देना चाहिए ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके और जो कुछ वह कह रहे हैं अगर उसमें सच्चाई नहीं है तो उन्हें इस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए और लोगों को गुमराह करने का काम नहीं करना चाहिए।

 

 

वहीं बीजेपी सांसद संबित पात्रा ने भी राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी ने उन राज्यों पर कभी कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की, जहां उन्होंने चुनाव जीता...देश की जनता इस चुनिंदा आक्रोश को देख रही है...अगर भारत का चुनाव आयोग समझौतावादी है, जैसा कि वह कहते हैं, तो वे लोकसभा चुनाव में 99 सीटों पर अपनी जीत का जश्न कैसे मना सकते हैं...यह राहुल गांधी की हताशा की पराकाष्ठा है...हमारी पार्टी ने सबसे लंबे समय तक विपक्षी दल की भूमिका निभाई, लेकिन हमारे किसी भी नेता ने कभी भी भारत के चुनाव आयोग के अधिकारियों को धमकी नहीं दी।

 

 

 

उन्होंने कहा, 'राहुल गांधी ने उन राज्यों के खिलाफ कभी भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की जहां जहां वह जीतते हैं। जिन राज्यों में वह जीतते हैं वहां पर वह चुनाव आयोग के खिलाफ आरोप नहीं लगाते हैं। दूसरी बात उन्होंने कही कि राहुल गांधी की फ्रस्ट्रेशन की यह चरम सीमा है। चुनाव में हार जीत लगी रहती है सर्वाधिक समय तक जनसंघ और बीजेपी ने विपक्ष में समय बिताया है लेकिन बीजेपी ने कभी भी इलेक्शन कमीशन को धमकाने का काम नहीं किया।'

 

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